हरियाणा को ऊर्जा के क्षेत्र में बड़ी छलांग: ऊर्जा मंत्री अनिल विज ने किया यमुनानगर थर्मल प्लांट का निरीक्षण
हरियाणा के ऊर्जा मंत्री अनिल विज ने हाल ही में यमुनानगर स्थित दीन बंधू छोटूराम थर्मल पावर प्लांट का निरीक्षण कर राज्य में ऊर्जा उत्पादन के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया। यह दौरा महज औपचारिकता नहीं था, बल्कि एक तकनीकी और प्रशासनिक गहराई से जुड़ी समीक्षा थी, जिसका उद्देश्य राज्य की ऊर्जा जरूरतों को समझना और भविष्य की योजनाओं को मजबूती देना है।
गार्ड ऑफ ऑनर के साथ हुआ स्वागत, थर्मल प्लांट की हर प्रक्रिया पर रही पैनी नजर
जैसे ही ऊर्जा मंत्री विज प्लांट परिसर में पहुंचे, उन्हें पारंपरिक गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। इसके बाद मुख्य अभियंता रमन सोबती ने उन्हें थर्मल पावर स्टेशन की कार्यप्रणाली, उत्पादन प्रक्रिया और तकनीकी ढांचे की विस्तृत जानकारी दी। मंत्री विज ने बॉयलर से लेकर टरबाइन और जनरेटर तक हर यूनिट का बारीकी से निरीक्षण किया और उनकी संचालन प्रणाली को समझा।
प्रस्तावित 800 मेगावाट यूनिट का भी किया स्थल निरीक्षण
यात्रा का सबसे महत्वपूर्ण पहलू था 7272 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली नई 800 मेगावाट अल्ट्रा-सुपरक्रिटिकल यूनिट का निरीक्षण। ऊर्जा मंत्री ने निर्माण स्थल पर जाकर स्थल की वर्तमान स्थिति, निर्माण प्रक्रिया और तय समयसीमा की जानकारी ली।
मुख्य अभियंता ने बताया कि यह यूनिट सुपर क्रिटिकल तकनीक पर आधारित होगी, जो पारंपरिक तकनीक से कहीं ज्यादा ऊर्जा दक्षता और पर्यावरण सुरक्षा प्रदान करती है। इससे न केवल बिजली उत्पादन में वृद्धि होगी, बल्कि प्रदूषण स्तर भी नियंत्रित रहेगा।
मशीनों की तकनीकी दक्षता का परीक्षण, रखरखाव को बताया प्राथमिकता
निरीक्षण के दौरान मंत्री ने प्लांट की मशीनों की स्थिति को गंभीरता से लिया। उन्होंने बॉयलर, टरबाइन, जनरेटर और कंट्रोल यूनिट्स की कार्यप्रणाली का अवलोकन करते हुए अधिकारियों से रखरखाव की समयबद्ध योजना प्रस्तुत करने को कहा। विज ने यह भी निर्देश दिए कि तकनीकी खराबियों को न्यूनतम स्तर पर लाने के लिए एडवांस मॉनिटरिंग सिस्टम लगाए जाएं।
कर्मचारियों से सीधी बातचीत, समस्याओं को जानने की पहल
अनिल विज ने न केवल प्लांट की तकनीकी समीक्षा की, बल्कि प्लांट कर्मचारियों से सीधा संवाद भी किया। उन्होंने ऑपरेटर, इंजीनियर और ग्राउंड स्टाफ से उनकी कार्यशैली, समस्याएं और सुझावों के बारे में जानकारी ली। कर्मचारियों ने बताया कि समय-समय पर उपकरणों के पुराने हो जाने से कार्य में दिक्कतें आती हैं, जिस पर मंत्री ने नई तकनीक और संसाधनों के शीघ्र उपलब्ध करवाने का आश्वासन दिया।
ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में अहम कदम
हरियाणा सरकार का लक्ष्य है कि राज्य को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाया जाए। वर्तमान में राज्य की कुल ऊर्जा आवश्यकता का एक बड़ा हिस्सा अन्य राज्यों से आयातित बिजली से पूरा किया जाता है। लेकिन नई 800 मेगावाट यूनिट के शुरू होने से यह निर्भरता काफी हद तक कम हो जाएगी। इससे न केवल राज्य की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा, बल्कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित की जा सकेगी।
बिजली उपभोक्ताओं को मिलेगा सीधा लाभ
हरियाणा में अक्सर गर्मी के मौसम में बिजली कटौती की शिकायतें आती हैं। लेकिन इस नई यूनिट के चालू होने से घरेलू, औद्योगिक और कृषि क्षेत्र के उपभोक्ताओं को स्थिर बिजली आपूर्ति मिलेगी। साथ ही, हरियाणा जैसे तेजी से विकसित हो रहे राज्य में औद्योगिक निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, जिससे रोज़गार के नए अवसर पैदा होंगे।
राज्य की ऊर्जा नीति में शामिल होंगे नए आयाम
ऊर्जा मंत्री ने बताया कि थर्मल प्लांटों के साथ-साथ सरकार सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को भी प्राथमिकता दे रही है। हर जिले में सोलर पार्क और रूफटॉप प्रोजेक्ट्स पर काम किया जा रहा है। इन सभी योजनाओं का उद्देश्य है – “हरियाणा को ग्रीन और क्लीन एनर्जी स्टेट” बनाना।
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परियोजना की प्रमुख विशेषताएं
तत्व | विवरण |
---|---|
परियोजना का नाम | 800 मेगावाट अल्ट्रा-सुपरक्रिटिकल यूनिट |
स्थान | दीन बंधू छोटूराम थर्मल पावर प्लांट, यमुनानगर |
अनुमानित लागत | ₹7272 करोड़ |
तकनीक | अल्ट्रा-सुपरक्रिटिकल |
उद्देश्य | बिजली उत्पादन में वृद्धि, ऊर्जा आत्मनिर्भरता |
अनुमानित लाभ | बिजली कटौती में कमी, औद्योगिक विकास को बढ़ावा, पर्यावरण संतुलन |
भविष्य की संभावनाएं और सरकार की दूरदर्शी योजना
हरियाणा सरकार की यह परियोजना केवल एक निर्माण कार्य नहीं, बल्कि एक दीर्घकालिक रणनीतिक निवेश है। यह कदम राज्य की ऊर्जा नीति को मजबूती देने के साथ-साथ राष्ट्रीय ऊर्जा ग्रिड में योगदान देने की भी संभावना रखता है। ऊर्जा मंत्री ने कहा कि यदि यह परियोजना निर्धारित समय में पूरी होती है, तो हरियाणा उत्तर भारत का एक ऊर्जा उत्पादक केंद्र बन सकता है।
निष्कर्ष: एक ठोस कदम, उज्जवल भविष्य की ओर
ऊर्जा मंत्री अनिल विज का यमुनानगर दौरा केवल एक औपचारिक निरीक्षण नहीं था, बल्कि एक नीतिगत निर्णयों को ज़मीन पर उतारने की दिशा में ठोस पहल थी। 800 मेगावाट की अल्ट्रा-सुपरक्रिटिकल यूनिट का निर्माण, हरियाणा को ऊर्जा आत्मनिर्भरता, औद्योगिक विकास और उपभोक्ता संतुष्टि के रास्ते पर अग्रसर करेगा। आने वाले वर्षों में इस परियोजना का लाभ हर हरियाणवी को महसूस होगा – चाहे वह किसान हो, उद्योगपति हो या आम उपभोक्ता।