करनाल में 850 दुकानें बंद: खाद बीज कानून पर मचा हड़कंप, किसानों की बढ़ी चिंता | करनाल खाद बीज हड़ताल 2025

करनाल में 850 दुकानें बंद: खाद बीज कानून पर मचा हड़कंप, किसानों की बढ़ी चिंता | करनाल खाद बीज हड़ताल 2025
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नई नीति से व्यापारियों में आक्रोश, किसानों में चिंता की लहर

करनाल: हरियाणा सरकार द्वारा हाल ही में लागू किए गए सीड्स व पेस्टीसाइड एक्ट 2025 के विरोध में करनाल सहित प्रदेशभर के खाद, बीज व दवा विक्रेता सात दिवसीय हड़ताल पर हैं। सोमवार को इस हड़ताल का पहला दिन था और करनाल में इसका व्यापक असर देखा गया। जिले की लगभग 850 दुकानें पूरी तरह बंद रहीं, जिससे किसानों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।

क्या है सीड्स व पेस्टीसाइड एक्ट 2025, क्यों हो रहा विरोध?

इस नए कानून के तहत खाद, बीज व कीटनाशक बेचने वाले विक्रेताओं पर सख्त शर्तें लागू की गई हैं। व्यापारियों के अनुसार:

  • गैर-जमानती अपराध की श्रेणी में शामिल किया गया है।
  • तीन साल तक की सजाभारी आर्थिक दंड का प्रावधान किया गया है।
  • कानून में कई ऐसी असंगत धाराएं हैं जो व्यापारियों को अपराधी की तरह ट्रीट करती हैं।

फर्टिलाइजर, पेस्टिसाइड एवं सीड ट्रेडर्स एसोसिएशन के जिला प्रधान रामकुमार गुप्ता का कहना है कि यह कानून व्यापारियों की स्वतंत्रता पर हमला है और इसे वापस लिया जाना चाहिए।

करनाल में ठप हुआ बीज बाजार, मंडियों में पसरा सन्नाटा

करनाल शहर की लगभग 125 दुकानों समेत पूरे जिले की 850 खाद, बीज व कीटनाशक दुकानें पूरी तरह से बंद रहीं। बीज मार्केट और कृषि मंडियों में सन्नाटा पसरा रहा। हड़ताल का असर न केवल व्यापारियों तक सीमित रहा बल्कि इससे किसान भी काफी प्रभावित हुए हैं।

पांच हजार से ज्यादा व्यापारी एकजुट, प्रदेशभर में समर्थन

जिले के व्यापारी ही नहीं, बल्कि हरियाणा के सभी जिलों में लगभग पांच हजार से अधिक बीज उत्पादक, पेस्टीसाइड निर्माता और विक्रेता इस आंदोलन में शामिल हैं। यह हड़ताल सिर्फ करनाल तक सीमित नहीं रही, बल्कि पूरे प्रदेश में व्यापारियों ने अपनी दुकानें बंद कर सरकार के खिलाफ रोष जताया।

बड़े ब्रांड्स और कंपनियों ने भी जताया विरोध

रामकुमार गुप्ता के अनुसार, देश के कई राज्यों से बड़ी-बड़ी बीज और कीटनाशक कंपनियों व एसोसिएशनों ने हरियाणा में सप्लाई बंद करने का निर्णय लिया है। इससे आने वाले खरीफ सीजन में बीज और कीटनाशकों की किल्लत हो सकती है। किसानों को बुवाई में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।

कानून के खिलाफ ज्ञापन सौंपे, विधायकों को चेताया

जिला करनाल फर्टिलाइजर, पेस्टिसाइड एवं सीड ट्रेडर्स एसोसिएशन की ओर से जिले के सभी विधायकों को इस कानून के विरोध में ज्ञापन सौंपे गए। ज्ञापन सौंपने वालों में प्रमुख रूप से शामिल रहे:

  • महासचिव: गुरमेज सिंह
  • कोषाध्यक्ष: बृजलाल गर्ग
  • नीलोखेड़ी ब्लॉक प्रधान: देवेंद्र चौहान
  • घरौंडा प्रधान: सुशील गर्ग
  • इंद्री प्रधान: रमन कुमार
  • निसिंग प्रधान: विनोद गोयल
  • करनाल प्रधान: विकास बंसल
  • असंध प्रधान: महेंद्र गोयल
  • अन्य सदस्य: राधेश्याम राणा, पवन अग्रवाल, गोपीचंद आर्य, पवित्र सिंह, अशोक गुप्ता, प्रवीण शर्मा, नवीन गुप्ता व सुमित कुमार

“काला कानून” कह कर कर रहे विरोध – क्या है व्यापारियों की मांग?

व्यापारियों का मानना है कि यह कानून किसानों और विक्रेताओं दोनों के हितों के खिलाफ है। इस कानून में:

  • अत्यधिक सजा का प्रावधान है।
  • लाइसेंस रद्द करने की प्रक्रिया आसान बना दी गई है।
  • अधिकारियों को अधिक अधिकार दे दिए गए हैं, जिससे भ्रष्टाचार की आशंका बढ़ जाती है।

व्यापारियों की सीधी मांग है कि सरकार इस कानून को तुरंत रद्द करे या इसमें व्यापक बदलाव लाए

असंध में भी विरोध तेज, दुकानों पर ताले और नाराज़गी

असंध क्षेत्र में भी बीज विक्रेताओं ने सोमवार को दुकानें बंद रखीं और विरोध प्रदर्शन किया। ब्लॉक प्रधान महेंद्र गोयल ने कहा कि यदि यह कानून इसी तरह लागू रहा तो लाखों लोग बेरोजगार हो जाएंगे।

महेंद्र गोयल का बयान:

“यह कानून कीटनाशक, खाद और बीज उत्पादकों व विक्रेताओं की कमर तोड़ देगा। इससे कृषि का पूरा सिस्टम बर्बाद हो जाएगा और किसान सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे।”

इस विरोध प्रदर्शन में अन्य व्यापारी जैसे राजेश, हिम्मत, नरेन्द्र, गजेन्द्र, गुलशन, रोबिन, सुरेश दूहन, रोहित राणा, अशोक शर्मा, बलकार सिंह प्रमुख रूप से शामिल रहे।

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कृषि उपज पर पड़ेगा सीधा असर, बुआई पर मंडरा रहा संकट

जल्द ही खरीफ सीजन की बुआई शुरू होने वाली है। यदि यह हड़ताल लंबी चली और कानून में बदलाव नहीं किया गया, तो बीज, खाद और कीटनाशकों की आपूर्ति ठप हो सकती है। इसका सीधा असर किसानों की उपज पर पड़ेगा।

इससे न केवल किसानों को आर्थिक नुकसान होगा, बल्कि प्रदेश की कृषि अर्थव्यवस्था भी प्रभावित हो सकती है

क्या कहती है सरकार? – अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं

हड़ताल के पहले दिन बीतने के बावजूद राज्य सरकार की ओर से अब तक कोई ठोस प्रतिक्रिया या आश्वासन नहीं दिया गया है। व्यापारी और किसान दोनों ही सरकार की चुप्पी को लेकर नाराज़ हैं।

क्या हल निकलेगा? व्यापारी बोले – वार्ता को तैयार, पर शर्तों के साथ

व्यापारियों का कहना है कि वे सरकार से बातचीत को तैयार हैं, बशर्ते सरकार उनकी बातों को गंभीरता से सुने और तर्कसंगत समाधान निकाले।

अगर सरकार ने जल्द कोई समाधान नहीं किया तो यह आंदोलन और भी व्यापक रूप ले सकता है।

निष्कर्ष: किसान और व्यापारी दोनों की चिंता वाजिब है

सीड्स व पेस्टीसाइड एक्ट 2025 के लागू होने से किसानों और व्यापारियों में असमंजस और डर है। यदि सरकार ने इस मसले को गंभीरता से नहीं लिया तो:

  • बीज व खाद का संकट पैदा हो सकता है।
  • कृषि उत्पादन प्रभावित हो सकता है।
  • व्यापारियों का रोजगार संकट में पड़ सकता है।

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