शौर्य की मिसाल: शहीद लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ यादव को श्रद्धांजलि देने पहुंचे केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत
हरियाणा की वीर भूमि रेवाड़ी ने एक और बहादुर सपूत को देश की रक्षा में खो दिया। 2 अप्रैल 2025 को गुजरात के जामनगर में भारतीय वायुसेना का जगुआर लड़ाकू विमान क्रैश हो गया, जिसमें फ्लाइट लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ यादव शहीद हो गए। सिद्धार्थ की शहादत की खबर से पूरे इलाके में शोक की लहर दौड़ गई।
घर पहुंची संवेदना: शहीद के परिवार से मिले केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह
वीरवार को केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह शहीद सिद्धार्थ यादव के रेवाड़ी स्थित सेक्टर-18 के निवास पर पहुंचे। उन्होंने परिजनों से मिलकर न सिर्फ सांत्वना दी, बल्कि हरसंभव सहायता का भरोसा भी दिलाया। केंद्रीय मंत्री के साथ बीजेपी जिला अध्यक्ष डॉ. वंदना पोपली भी मौजूद रहीं, जिन्होंने शहीद के परिवार को ढांढस बंधाया।
परिवार की मांगें: शहीद के नाम से हो पहचान
परिजनों ने केंद्रीय मंत्री को एक ज्ञापन सौंपते हुए निम्नलिखित पांच प्रमुख मांगें रखीं:
- एम्स रेवाड़ी के किसी ब्लॉक का नाम शहीद सिद्धार्थ यादव के नाम पर रखा जाए।
- गढ़ी बोलनी चौक का नाम बदलकर शहीद फ्लाइट लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ चौक किया जाए।
- गढ़ी बोलनी सड़क का नामकरण शहीद के नाम पर हो।
- नारनौल बाईपास के इंटरसेक्शन पर बने चौक का नाम शहीद सिद्धार्थ के नाम पर रखा जाए।
- स्थानीय स्तर पर उनकी शहादत को अमर बनाने के लिए एक स्मारक की स्थापना की जाए।
स्वास्थ्य मंत्री आरती राव ने भी दिया साथ, पर जताई चिंता
केंद्रीय मंत्री से पहले हरियाणा की स्वास्थ्य मंत्री और राव इंद्रजीत की पुत्री आरती राव भी शहीद के घर पहुंचीं। उन्होंने भी परिजनों की बात सुनी और सरकार की ओर से हरसंभव सहायता का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा,
“मैं खुद प्रयास करूंगी कि एम्स रेवाड़ी के किसी हिस्से का नाम शहीद सिद्धार्थ यादव के नाम पर रखा जाए, लेकिन यह प्रक्रिया आसान नहीं है।”
इस बात पर राव इंद्रजीत सिंह ने भी सहमति जताई कि एम्स के नामकरण में कई तकनीकी और प्रशासनिक अड़चनें आती हैं, लेकिन फिर भी सरकार प्रयास करेगी।
केंद्रीय मंत्री बोले – “सिद्धार्थ का बलिदान हम कभी नहीं भूल सकते”
राव इंद्रजीत सिंह ने भावुक स्वर में कहा,
“सिद्धार्थ का बलिदान पूरे राष्ट्र के लिए एक गर्व की बात है। उन्होंने जान की बाजी लगाकर देश की रक्षा की और हम उनके साहस को सलाम करते हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि ऐसे वीर जवानों की वजह से ही आज हम अपने घरों में सुरक्षित हैं। सरकार शहीद के परिवार के साथ खड़ी है और उनके लिए जो भी संभव होगा, किया जाएगा।
सिर्फ एक अफसर नहीं, एक बेटा, मंगेतर और सपना था सिद्धार्थ
फ्लाइट लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ यादव न सिर्फ एक अफसर थे, बल्कि एक बेटे, मंगेतर और देश के लिए बड़ा सपना देखने वाले युवा भी थे। इस साल के अंत में उनकी शादी तय थी। परिवार शादी की तैयारियों में व्यस्त था, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था। उनकी शहादत ने पूरे परिवार और शहर को झकझोर दिया।
शहीद की माँ ने कहा – “मुझे अपने बेटे पर गर्व है”
सिद्धार्थ की माँ ने आंसुओं के बीच कहा,
“मेरा बेटा शेर था। उसने देश के लिए जान दी। मैं रो तो रही हूं, लेकिन गर्व भी है कि वह देश के लिए मरा। बस सरकार से यही विनती है कि उसके नाम को अमर कर दिया जाए।”
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रेवाड़ी: एक वीरों की भूमि
स्वास्थ्य मंत्री आरती राव ने भी इस बात को दोहराया कि रेवाड़ी सदैव से वीरों की भूमि रही है। सिद्धार्थ जैसे जवानों की शहादत इस भूमि की गौरवशाली परंपरा को और भी मजबूत बनाती है।
“उनकी शहादत आने वाली पीढ़ियों को देश सेवा के लिए प्रेरणा देती रहेगी।”
जगुआर क्रैश की जांच जारी, सरकार ने दिए निर्देश
गुजरात के जामनगर में हुए इस हादसे की जांच भारतीय वायुसेना की एक विशेष टीम कर रही है। रक्षा मंत्रालय ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए तकनीकी और ऑपरेशनल पहलुओं की जांच के निर्देश दिए हैं। इस हादसे में फ्लाइट लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ अकेले विमान में थे और उन्होंने आखिरी समय तक नियंत्रण बनाए रखने की कोशिश की।
आम नागरिकों की भी यही पुकार – “सिद्धार्थ के नाम को मिले सम्मान”
रेवाड़ी ही नहीं, हरियाणा और देशभर से सोशल मीडिया पर भी मांग उठ रही है कि शहीद फ्लाइट लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ यादव के नाम पर किसी सार्वजनिक स्थान का नामकरण किया जाए। ट्विटर, इंस्टाग्राम और फेसबुक पर हैशटैग #SiddharthYadavAmarRahe ट्रेंड कर चुका है।
क्या कहती है नीति? नामकरण में क्या हैं अड़चनें?
सरकारी नीतियों के अनुसार, किसी भी संस्थान या सड़क आदि के नामकरण के लिए केंद्र और राज्य सरकारों की मंजूरी, लोकल निकायों की सहमति और कैबिनेट अप्रूवल की जरूरत होती है। एम्स जैसे संस्थान में ब्लॉक नामकरण करना एक जटिल प्रक्रिया है, लेकिन सरकार यदि चाहे तो विशेष प्रस्ताव लाकर इसे मूर्त रूप दे सकती है।
निष्कर्ष: शौर्य की पहचान को अमर बनाना होगा
फ्लाइट लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ यादव ने अपने प्राणों की आहुति देकर इस देश को एक बार फिर यह याद दिला दिया कि हमारे देश के जवान हर परिस्थिति में तैयार रहते हैं। अब यह देश, समाज और सरकार की जिम्मेदारी है कि उनके नाम और बलिदान को हमेशा के लिए संजोकर रखा जाए।