हरियाणा में कन्या भ्रूण हत्या का काला सच: 12 CHC अधिकारियों पर कार्रवाई, 5 जिलों में लिंगानुपात सबसे खराब

हरियाणा में कन्या भ्रूण हत्या का काला सच: 12 CHC अधिकारियों पर कार्रवाई, 5 जिलों में लिंगानुपात सबसे खराब
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हरियाणा में बेटियों पर संकट! घटते लिंगानुपात पर सरकार ने दिखाई सख्ती, 12 CHC अधिकारी घेरे में

हरियाणा में कन्या भ्रूण हत्या एक गंभीर सामाजिक और कानूनी चुनौती बन चुकी है। बीते वर्षों में सरकार की तमाम योजनाओं और जागरूकता अभियानों के बावजूद, राज्य में लड़कियों की संख्या लगातार घटती जा रही है। इस चिंताजनक स्थिति को लेकर हरियाणा स्वास्थ्य विभाग ने अब बड़ा कदम उठाया है। प्रदेश के 12 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (CHC) के वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारियों (SMO) को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं। यह कार्रवाई प्रदेश में गिरते लिंगानुपात और कन्या भ्रूण हत्या की बढ़ती घटनाओं के मद्देनज़र की गई है।

घटता लिंगानुपात: क्यों बढ़ा सरकार का सिरदर्द?

हरियाणा का लिंगानुपात पहले से ही देश में सबसे निचले पायदानों पर रहा है। कुछ क्षेत्रों में यह अनुपात 850 से भी नीचे जा चुका है। 2024 की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, कई जिलों में जन्म के समय लड़कों की तुलना में लड़कियों की संख्या बेहद कम दर्ज की गई। यह असंतुलन भविष्य के लिए सामाजिक, सांस्कृतिक और जनसांख्यिकीय संकट का संकेत है।

इन 12 CHC अधिकारियों पर कार्रवाई: कौन-कौन शामिल?

स्वास्थ्य विभाग ने जिन 12 CHC के वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारियों को नोटिस भेजे हैं, वे हैं:

  1. नाहर – जिला रेवाड़ी
  2. तोशाम – जिला भिवानी
  3. दनौदा – जिला जींद
  4. कुंजपुरा – जिला करनाल
  5. ताऊरू – जिला नूंह
  6. तिगांव – जिला फरीदाबाद
  7. भट्टू कलां – जिला फतेहाबाद
  8. अटेली – जिला महेंद्रगढ़
  9. उकलाना – जिला हिसार
  10. बड़ोपल – जिला फतेहाबाद
  11. निसिंग – जिला करनाल
  12. लाडवा – जिला कुरुक्षेत्र

इन सभी CHC में लिंगानुपात की स्थिति बेहद खराब पाई गई, जिसके आधार पर वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। विभाग ने स्पष्ट किया है कि यदि उनका जवाब असंतोषजनक पाया गया, तो उन्हें चार्जशीट किया जाएगा।

सबसे खराब लिंगानुपात वाले 3 CHC अधिकारी होंगे चार्जशीटेड

सूत्रों के अनुसार, जिन 3 CHC में लिंगानुपात सबसे अधिक चिंताजनक पाया गया, उनके अधिकारियों को सीधा चार्जशीट करने की तैयारी की जा रही है। विभागीय जांच टीम उन केंद्रों का डाटा, रजिस्टर और रैफरल सिस्टम की बारीकी से जांच कर रही है।

नोडल अधिकारियों में फेरबदल: 5 जिलों में तुरंत बदलाव

स्वास्थ्य विभाग ने हरियाणा के 5 जिलों में PNDT (Pre-Natal Diagnostic Techniques) एक्ट के नोडल अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से हटा दिया है। यह जिले हैं:

  1. चरखी दादरी
  2. रेवाड़ी
  3. रोहतक
  4. गुरुग्राम
  5. फरीदाबाद

इन जिलों में लिंगानुपात की स्थिति गंभीर होने के कारण यह फैसला लिया गया। अधिकारियों की निष्क्रियता और निगरानी में लापरवाही मुख्य कारण रहे हैं।

हिसार में PNDT नोडल अधिकारी सस्पेंड, दलाल पर FIR

हिसार जिले में PNDT के नोडल अधिकारी को निलंबित कर दिया गया है। साथ ही अवैध गर्भपात में शामिल एक महिला दलाल उषा के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया गया है। सिविल सर्जन द्वारा इस पर FIR दर्ज करवाई गई है। जानकारी के अनुसार, उषा लंबे समय से गर्भपात रैकेट चला रही थी जिसमें कई निजी क्लिनिक भी शामिल हैं।

केस स्टडी: रोहतक और सोनीपत में ‘पूजा केस’ की दोबारा जांच

एक और गंभीर मामला रोहतक और सोनीपत जिलों से सामने आया है, जिसे ‘पूजा केस’ के नाम से जाना जा रहा है। इस मामले में लड़की के गर्भपात की सूचना मिली थी। सिविल सर्जन ने इस केस को दोबारा ट्रैक करना शुरू कर दिया है। परिवार और संबंधित डॉक्टर की जांच जारी है।

विभाग की रणनीति: तकनीकी निगरानी, क्लिनिक ऑडिट और सोशल कैम्पेन

स्वास्थ्य विभाग अब गंभीरता से तकनीकी निगरानी के नए उपायों की ओर बढ़ रहा है। अल्ट्रासाउंड मशीनों की ट्रैकिंग, निजी नर्सिंग होम्स और क्लिनिक्स की गहन ऑडिट, और क्षेत्रीय स्तर पर बेटियों के समर्थन में जनजागरण अभियान शुरू किए गए हैं।

  • ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान को नए रंग में प्रस्तुत किया जा रहा है।
  • समुदाय स्तर पर आंगनवाड़ी और आशा वर्कर्स को विशेष ट्रेनिंग दी जा रही है ताकि वे संदिग्ध गतिविधियों की सूचना समय रहते दें।

सामाजिक जागरूकता बनाम ज़मीनी हकीकत

हालांकि सरकार और NGOs लगातार बेटियों को बचाने के लिए अभियान चला रहे हैं, लेकिन सामाजिक सोच में बदलाव की रफ्तार धीमी है। ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी बेटियों को बोझ समझा जाता है, और परिवार लिंग परीक्षण के लिए अवैध तरीकों का सहारा लेते हैं।

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विशेषज्ञों की राय

प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता और ‘सेव द गर्ल चाइल्ड’ मिशन की संस्थापक डॉ. सविता शर्मा कहती हैं:

“जब तक समाज में मानसिकता नहीं बदलेगी, तब तक सरकारी योजनाएं सिर्फ आंकड़ों तक सीमित रहेंगी। लोगों को बेटियों की अहमियत समझाने के लिए शिक्षा और संवाद की आवश्यकता है।”

निष्कर्ष: अब नहीं चेते तो भविष्य संकट में

हरियाणा में कन्या भ्रूण हत्या की स्थिति अत्यंत गंभीर मोड़ पर पहुंच चुकी है। राज्य सरकार ने कार्रवाई शुरू कर दी है, लेकिन असली बदलाव तभी संभव है जब समाज और प्रशासन मिलकर इस कुप्रथा के खिलाफ एकजुट हों। लिंगानुपात सिर्फ आंकड़ा नहीं, समाज की सेहत का आईना है। अब भी समय है—बेटियों को बचाएं, उन्हें जीने का हक दें।

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