“क्रिकेट के मैदान पर शतक, दिल के मैदान पर प्यार… यह कहानी है सचिन तेंदुलकर और अंजलि की, जो किसी फिल्म से कम नहीं।”
मैनचेस्टर का शतक और मुंबई में मोहब्बत की शुरुआत
सचिन तेंदुलकर और अंजलि की लव स्टोरी भारतीय खेल इतिहास की सबसे खूबसूरत और प्रेरणादायक कहानियों में से एक है। 14 अगस्त 1990 को, महज 17 साल और 107 दिन की उम्र में, सचिन तेंदुलकर ने मैनचेस्टर में इंग्लैंड के खिलाफ नाबाद 119 रन बनाकर न केवल भारत को हार से बचाया, बल्कि क्रिकेट की दुनिया में अपने आने की जोरदार दस्तक दी। यह शतक केवल रन का आंकड़ा नहीं था, बल्कि एक युवा बल्लेबाज के साहस, धैर्य और प्रतिभा का अद्भुत प्रदर्शन था।
इस शतक के एक दिन बाद देश ने 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाया, लेकिन सचिन के जीवन में एक और खास मोड़ आने वाला था — क्रिकेट के मैदान से बाहर, दिल के मैदान में।
जब हार की कगार पर था भारत
मैनचेस्टर टेस्ट के आखिरी दिन भारतीय टीम को 408 रनों का विशाल लक्ष्य मिला था। स्कोरबोर्ड पर 183 पर छह विकेट गिर चुके थे और हार लगभग तय मानी जा रही थी। लेकिन तभी मैदान में उतरे सचिन तेंदुलकर ने मनोज प्रभाकर के साथ 160 रनों की अटूट साझेदारी कर टीम को बचा लिया। स्कोर 343/6 पर पहुंचा और मैच ड्रॉ हो गया।
उस पारी ने सचिन तेंदुलकर को क्रिकेट फैंस के दिलों में बसा दिया, लेकिन उन्हें शायद अंदाज़ा भी नहीं था कि इस इंग्लैंड दौरे के बाद मुंबई में उनकी मुलाकात किसी ऐसे शख्स से होगी, जो हमेशा के लिए उनकी जिंदगी बदल देगा।
एयरपोर्ट पर हुई पहली मुलाकात
इंग्लैंड दौरे से लौटने के बाद, मुंबई एयरपोर्ट पर सचिन तेंदुलकर की मुलाकात अंजलि से हुई। अंजलि अपनी मां को रिसीव करने आई थीं और उनके साथ उनकी फ्रेंड डॉ. अपर्णा भी थीं। डॉ. अपर्णा ने सचिन को देखते ही अंजलि से कहा — “ये वही है जिसने इंग्लैंड में सेंचुरी बनाई है।”
अंजलि ने तुरंत सचिन तेंदुलकर को पहचान लिया और ऑटोग्राफ लेने के लिए उनके पीछे दौड़ पड़ीं। सचिन, जो स्वभाव से काफी शर्मीले थे, चुपचाप अपनी कार में बैठ गए, जहां उनके भाई अजीत और नितिन उनका इंतजार कर रहे थे। मजेदार बात यह रही कि अंजलि सचिन से बात करने में इतनी मग्न हो गईं कि अपनी मां को रिसीव करना ही भूल गईं।
पहली कॉल और दोस्ती की शुरुआत
एयरपोर्ट वाली मुलाकात के बाद अंजलि किसी भी तरह सचिन तेंदुलकर से बात करना चाहती थीं। दोस्तों की मदद से उन्होंने सचिन का फोन नंबर हासिल किया और कॉल कर दी। फोन पर उन्होंने कहा, “मैंने आपको एयरपोर्ट पर देखा था।” सचिन ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “हाँ, मैंने भी आपको देखा था, आप मेरे पीछे भाग रही थीं।”
यह फोन कॉल उनकी दोस्ती की पहली सीढ़ी थी। धीरे-धीरे फोन पर बातचीत बढ़ी और दोनों मिलने के मौके तलाशने लगे।
पहली मुलाकात का प्लान और चुनौतियां
एक बार रात 8:30 बजे मिलने का प्लान बना। सचिन तेंदुलकर समय पर पहुंच गए, लेकिन अंजलि घर से निकल नहीं पाईं। उस दौर में न मोबाइल फोन थे और न ही व्हाट्सऐप — पब्लिक फोन बूथ से कॉल करना भी मुश्किल था। नतीजा यह हुआ कि सचिन बिना मिले लौट गए।
सचिन तेंदुलकर की लोकप्रियता बढ़ चुकी थी, और पब्लिक प्लेस में मिलना जोखिम भरा हो गया था। ऐसे में वह अंजलि से मिलने ग्रांट मेडिकल कॉलेज और जेजे हॉस्पिटल जाते थे, जहां अंजलि डॉक्टर बनने की ट्रेनिंग ले रही थीं।
प्यार की मजबूती और पारिवारिक चुनौतियां
सचिन बेहद शर्मीले थे और अपने घरवालों से अंजलि के बारे में कुछ कह नहीं पा रहे थे। आखिरकार, अंजलि ने खुद पहल की और सचिन के परिवार से मिलीं। सचिन बाद में मजाक में कहते हैं कि अंजलि से शादी के बारे में परिवार से पूछना, दुनिया के सबसे तेज़ गेंदबाज का सामना करने से भी कठिन था।
पांच साल का इंतजार और शादी
करीब पांच साल के अफेयर के बाद, 24 अप्रैल 1994 को न्यूजीलैंड दौरे के दौरान उनकी सगाई हुई। इसके ठीक एक साल बाद, 24 मई 1995 को सचिन और अंजलि शादी के बंधन में बंध गए।
शादी के बाद अंजलि ने अपने करियर से ज्यादा परिवार और सचिन को प्राथमिकता दी। उन्होंने डॉक्टर की प्रोफेशनल लाइफ छोड़ दी ताकि सचिन बिना चिंता के क्रिकेट खेल सकें।
सचिन का क्रिकेट और अंजलि का योगदान
सचिन ने कई बार इंटरव्यू में कहा है कि अगर अंजलि का साथ न होता, तो वह क्रिकेट में इतना लंबा और सफल करियर नहीं खेल पाते। अंजलि ने घर की जिम्मेदारियां, बच्चों की परवरिश और सचिन की मानसिक शांति का पूरा ख्याल रखा।
आज भी उतना ही मजबूत रिश्ता
चाहे सचिन के मैदान पर 100 अंतरराष्ट्रीय शतक हों या करियर के उतार-चढ़ाव, अंजलि हमेशा उनके साथ रहीं। दोनों का रिश्ता आज भी उतना ही मजबूत और प्रेरणादायक है, जितना 35 साल पहले था।