वेतनमान विवाद में हाईकोर्ट का सख्त रुख: आदेश नहीं मानने पर 50,000 रुपये का जुर्माना
हरियाणा के अधिकारियों को हाईकोर्ट का कड़ा संदेश पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने वेतनमान विवाद में हरियाणा के एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अमित अग्रवाल को सख्त चेतावनी दी है। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि अगर उन्होंने 04 फरवरी 2025 तक आदेश का पालन करते हुए अनुपालन रिपोर्ट दाखिल नहीं की, तो उन्हें अगली सुनवाई में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना होगा और अपनी जेब से 50,000 रुपये जुर्माने के रूप में भरने होंगे।
यह मामला लोक संपर्क विभाग की कर्मचारी सोनिया व अन्य द्वारा दायर अवमानना याचिका से जुड़ा है, जिसमें विशेष वेतनमान देने के आदेश का पालन न होने का आरोप लगाया गया है। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि जूनियर कर्मचारियों को यह लाभ दिया गया, लेकिन उन्हें अब तक इससे वंचित रखा गया है।
वेतनमान के आदेश की अनदेखी अगस्त 2022 में कोर्ट ने निर्देश दिया था कि सभी संबंधित कर्मचारियों को विशेष वेतनमान का लाभ दिया जाए। हालांकि, याचिकाकर्ताओं ने बताया कि आदेश के दस महीने बाद भी उनका वेतनमान नहीं बढ़ाया गया है।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के वकील ने यह भी कहा कि अन्य कर्मचारियों को इसका लाभ देकर प्रशासन ने भेदभावपूर्ण रवैया अपनाया है। हाईकोर्ट ने इस मामले में सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि आदेश का पालन सुनिश्चित किया जाए।
सीनियर अधिकारियों के वेतनमान की मांग याचिकाकर्ताओं ने बताया कि जिला सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी (DIPRO) क्लास-2 राजपत्रित अधिकारी होते हैं, लेकिन उनका वेतनमान लगातार कम किया गया है। इसके विपरीत, जूनियर अधिकारियों को पदोन्नत कर उनसे वरिष्ठ बना दिया गया है, जिससे यह मामला और जटिल हो गया।
उन्होंने समान अधिकार के सिद्धांत के तहत वेतनमान में सुधार की मांग की और कोर्ट से न्याय की गुहार लगाई।
आठ सप्ताह का वादा हुआ विफल 2024 में सरकारी वकील ने कोर्ट में भरोसा दिलाया था कि याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व आठ सप्ताह के भीतर निपटा दिया जाएगा। इस पर कोर्ट ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश देकर याचिका का निपटारा कर दिया। लेकिन जब अधिकारी समय पर आदेश का पालन करने में असफल रहे, तो अवमानना याचिका दायर की गई।
कोर्ट का सख्त आदेश हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि आदेश न मानने वालों पर कड़ी कार्रवाई होगी। अमित अग्रवाल को विशेष तौर पर आदेश दिया गया कि वह 04 फरवरी 2025 तक अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करें। ऐसा न होने पर उनके खिलाफ जुर्माने के साथ-साथ व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश भी दिया गया है।
वेतनमान विवाद का प्रभाव यह मामला हरियाणा में लंबे समय से चले आ रहे वेतनमान विवाद की ओर इशारा करता है। यदि हाईकोर्ट के आदेश पर सही समय पर कार्रवाई होती है, तो यह समानता और पारदर्शिता को बढ़ावा देगा। इससे अन्य कर्मचारियों को भी प्रोत्साहन मिलेगा जो अपने वेतनमान के सुधार की मांग कर रहे हैं।
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सरकारी कर्मचारियों की आशा यदि प्रशासनिक अधिकारी आदेश का पालन करते हैं, तो यह वेतनमान से संबंधित लंबे विवाद को सुलझाने में मील का पत्थर साबित हो सकता है। इसके साथ ही, यह भविष्य में प्रशासनिक पारदर्शिता को सुनिश्चित करेगा।जर अब यह देखना होगा कि क्या हरियाणा सरकार और अमित अग्रवाल 04 फरवरी 2025 तक इस आदेश का पालन कर कोर्ट को अनुपालन रिपोर्ट पेश करते हैं। यदि ऐसा होता है, तो यह मामला आसानी से सुलझ सकता है। लेकिन आदेश की उपेक्षा उन्हें और अधिक जटिलताओं की ओर ले जा सकती है।
संभावित असर: कर्मचारियों के वेतन विवाद का हल यदि कोर्ट का आदेश सही समय पर लागू किया गया, तो इससे सरकारी विभागों में समानता और पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा। इसके साथ ही, यह उन सरकारी कर्मचारियों को भी प्रोत्साहित करेगा जो लंबे समय से वेतनमान में सुधार के लिए संघर्ष कर रहे हैं।