5 दिन में उखड़ी सड़क: घटिया सामग्री और लापरवाही का हिसार के ग्रामीणों ने उठाया मुद्दा

5 दिन में उखड़ी सड़क: घटिया सामग्री और लापरवाही का हिसार के ग्रामीणों ने उठाया मुद्दा
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किरतान-खारिया रोड पर घटिया निर्माण सामग्री का इस्तेमाल: जनता के पैसे की बर्बादी और विभाग की लापरवाही

घटिया निर्माण का सच: तीन दिन में उखड़े पैचवर्क ने खोली पोल

हिसार के किरतान-खारिया रोड पर हाल ही में किए गए पैचवर्क का हाल महज तीन दिन में बुरी तरह खराब हो गया। बारिश और घटिया सामग्री के कारण सड़कों के गड्ढे भरने के बजाय नई समस्या खड़ी हो गई। ग्रामीणों ने इसे प्रशासन की घोर लापरवाही और सार्वजनिक धन की बर्बादी बताया। उनका आरोप है कि बीएंडआर विभाग ने सड़कों की मरम्मत के लिए निम्न गुणवत्ता की सामग्री का उपयोग किया।

वर्षों से उपेक्षित सड़क और स्थानीय निवासियों का संघर्ष

यह रोड लंबे समय से खराब स्थिति में है और इसके निर्माण की मांग बार-बार की जा रही थी। रोड पर बने बड़े-बड़े गड्ढे ग्रामीणों के लिए रोजाना की परेशानी बने हुए थे। जब पैचवर्क शुरू किया गया, तो ग्रामीणों ने उम्मीद जताई थी कि उनकी समस्या का समाधान होगा। मगर तीन दिन बाद ही स्थिति और भी दयनीय हो गई।

बारिश का प्रभाव या लापरवाही का सबूत?

बीएंडआर विभाग के एक्सईएन जतिन खुराना ने सफाई देते हुए कहा कि पैचवर्क के बाद बारिश हो गई, जिससे सामग्री टिक नहीं सकी। उनका दावा है कि जैसे ही मौसम साफ होगा, दोबारा से काम शुरू किया जाएगा। हालांकि, ग्रामीणों का कहना है कि यह केवल एक बहाना है, असल कारण घटिया सामग्री और बिना प्लानिंग के किया गया काम है।

ग्रामीणों ने उठाई सख्त कार्रवाई की मांग

गुस्साए ग्रामीणों ने दोषी अधिकारियों और ठेकेदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। उनका कहना है कि पैचवर्क में घटिया सामग्री का इस्तेमाल जनता के विश्वास के साथ छलावा है। यह सीधे-सीधे भ्रष्टाचार का मामला है, और यदि इस पर कड़ा कदम नहीं उठाया गया, तो वे बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन करेंगे।

हिसार में निर्माण कार्यों की अनियमितताओं का लंबा इतिहास

यह कोई पहली घटना नहीं है, जब सड़कों की मरम्मत या निर्माण में लापरवाही देखने को मिली है। इससे पहले धांसू-धिकताना रोड के मामले में भी निर्माण कार्य के दौरान घटिया सामग्री का आरोप लगा था। इस पर तत्कालीन लोकनिर्माण मंत्री ने एक्सईएन, एसडीओ और जेई को निलंबित किया था।

गंगवा से आर्यनगर रोड भी ऐसी ही स्थिति का शिकार हुई थी, जहां मरम्मत के कुछ ही समय बाद सड़क उखड़ने लगी थी। उस प्रकरण में संबंधित अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। यह घटनाएं बीएंडआर विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करती हैं।

सार्वजनिक धन का सही उपयोग: एक अनिवार्य आवश्यकता

सरकारी सड़कों के निर्माण और रखरखाव में हो रहे भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के कारण जनता का विश्वास बार-बार हिलता है। विशेषज्ञों का मानना है कि सड़कों के निर्माण में गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए सभी स्तरों पर सख्त निरीक्षण होना चाहिए। हर निर्माण प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही आवश्यक है।

रोड निर्माण में तकनीकी और पर्यावरणीय मानकों का उल्लंघन

बारिश के बहाने से विभाग बचने की कोशिश कर रहा है, लेकिन असल समस्या निर्माण तकनीकों और पर्यावरणीय मानकों की अनदेखी है। सड़क निर्माण के दौरान मौसम का ध्यान न रखना बड़ी लापरवाही को दर्शाता है। सही तकनीकी उपायों और गुणवत्तापूर्ण सामग्री के अभाव में सार्वजनिक परियोजनाएं अक्सर असफल साबित होती हैं।

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सड़क की गुणवत्ता सुधारने के उपाय

  1. निर्माण में इस्तेमाल होने वाली सामग्री की गुणवत्ता की सख्त जांच।
  2. कार्यवाही से पहले मौसम की अनुकूलता का ध्यान।
  3. निर्माण कार्य की नियमित और स्वतंत्र निरीक्षण।
  4. दोषी अधिकारियों और ठेकेदारों पर त्वरित कार्रवाई।
  5. सार्वजनिक शिकायतों का त्वरित समाधान।

ग्रामीणों का बड़ा सवाल: अब आगे क्या?

ग्रामीण इस बार सख्त कदम उठाने के मूड में हैं। उनका कहना है कि विभाग दोषियों पर कार्रवाई नहीं करता, तो वे बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन करेंगे। साथ ही, वे उच्च अधिकारियों से इस मुद्दे को लेकर मिलेंगे।

विश्वास बहाली के लिए विभाग की जिम्मेदारी

बीएंडआर विभाग की प्रतिष्ठा अब दांव पर है। उन्हें दोषियों पर कार्रवाई के साथ-साथ सड़कों की मरम्मत का काम जल्द और सही तरीके से पूरा करना होगा। केवल इसी से वे जनता का खोया हुआ विश्वास वापस पा सकते हैं।

निष्कर्ष: किरतान-खारिया रोड पर घटिया निर्माण सामग्री और लापरवाही की कहानी बीएंडआर विभाग के लिए एक चेतावनी है। यह घटना न केवल सार्वजनिक धन की बर्बादी है, बल्कि लोगों की सुरक्षा और विश्वास पर भी एक बड़ा आघात है। ग्रामीणों और विभाग दोनों के लिए यह वक्त है, जब ईमानदार कदम उठाए जाएं और सुधार की पहल की जाए।

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