ट्रंप का नेशनल गार्ड आदेश: क्या अब विरोध प्रदर्शन दबेंगे?

ट्रंप का नेशनल गार्ड आदेश: क्या अब विरोध प्रदर्शन दबेंगे?
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अमेरिका में सेना बनाम प्रदर्शन : कानूनी, संवैधानिक और राजनीतिक सवाल

संयुक्त राज्य अमेरिका में लॉस एंजेलिस में 2,000 नेशनल गार्ड सैनिकों को सक्रिय करने का हालिया घटनाक्रम बेहद विवादित और चिंताजनक है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने नेशनल गार्ड आदेश यह निर्णय ऐसे समय लिया जब इमिग्रेशन छापों (immigration raids) के विरोध में प्रदर्शनकारी कोर्ट और समुदायों में भारी प्रदर्शन कर रहे थे—और इन प्रदर्शनों के दौरान पुलिस तथा फेडरल एजेंट्स के साथ झड़प की घटनाएँ भी देखने को मिलीं ।

सैन्य तैनाती का कानूनी आधार: ‘Title 10’ और ‘Insurrection Act’

ट्रम्प प्रशासन का दावा है कि यह तैनाती Title 10, Section 12406 के तहत की गई – जो राष्ट्रपति को यह अधिकार देती है कि वह राज्य की सहमति के बिना नेशनल गार्ड को फेडरल कमा में लाए जब “विद्रोह” या कानून-व्यवस्था प्रभावित हो रही हो।

हालांकि, इस मामले में Insurrection Act of 1807 लागू नहीं किया गया। यही कानून 1992 में Rodney King दंगों के दौरान कैलिफोर्निया के गवर्नर की मदद से लागू किया गया था।

जुलाई तक नहीं की गई राज्य सरकार की सहमति: शक्ति संतुलन का संकट

प्रोफेसर डेनियल उरमैन (Northeastern University) ने खुलकर चेतावनी दी है कि बिना राज्य सरकार की सहमति, यह रक्षा-तैनाती संघीय और राज्य सरकारों के बीच शक्ति संतुलन को गहराई से प्रभावित कर सकती है। उनका कहना है:

“यह ऐसा कदम है जो आलोचना के दायरे से परे है, ऐसा लगता है कि इसका मकसद विरोध को दबाना है।”

गवर्नर न्यूज़म का गुस्सा : ‘भड़काने वाला कदम’

कैलिफोर्निया के गवर्नर गेविन न्यूज़म ने इस कदम को ‘जानबूझकर भड़काने वाला’ बताया और इसे राज्य संप्रभुता का उल्लंघन कहा । उनका कहना था कि यह कदम अराजकता को बढ़ावा देता है, जबकि राज्य के पास पहले से ही कानून और व्यवस्था कितनी असरदार तरीके से संभालने की क्षमता है।

Posse Comitatus Act: सेना की सीमाएं

Posse Comitatus Act (1878) के तहत, फेडरल सैनिकों को जब तक Insurrection Act या कांग्रेस अनुमति नहीं देती, तब तक नागरिक कानून प्रवर्तन में सक्रिय भूमिका निभाने से रोक दिया गया है। ट्रम्प की तैनाती लाइनों के भीतर सुरक्षा का ढोंग हो सकती है, लेकिन इससे विरोध-प्रदर्शन की स्वतंत्रता पर असर पड़ सकता है।

अभिव्यक्ति अधिकार पर छाया सवाल

पहला संशोधन (First Amendment) के तहत नागरिकों की विरोध और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को नुकसान पहुँचना इस फैसले का खतरनाक पहलू है। प्रोफेसर उरमैन के अनुसार,

“अगर हर बार विरोध होता है तो फौज भेज दी जाएगी, लोग घायल या गिरफ्तार होंगे, उससे भविष्य में किसी को विरोध करने की हिम्मत नहीं होगी।”

ऐतिहासिक संदर्भ: कब-कब हुआ सेना का उपयोग?

  • 1965, ऑलाबामा: लिंडन बी. जॉनसन द्वारा बिना गवर्नर की सहमति सेना तैनात – गृह अशांति के दौरान नागरिक अधिकार प्रदर्शनों को संरक्षित करने हेतु ।
  • 1992, Rodney King दंगे: गवर्नर के अनुरोध पर Insurrection Act के तहत सैनिकों की तैनाती।
  • 2020, जॉर्ज फ्लॉयड विरोध: ट्रम्प ने सक्रिय सैन्य बल तैनात करने की धमकी दी थी लेकिन रक्षा सचिव ने रोका, और ऐसा नहीं हुआ ।

वर्तमान माहौल: हिंसा, अशांति, फिर चर्चा

प्रदर्शनों के दौरान आंसू गैस और फ्लैश-बैंग का प्रयोग हुआ, वाहनों में आग लगाई गई, रास्ते बंद किए गए, और फेडरल एजेंटों व गार्ड के बीच टकराव हुआ । गवर्नर न्यूज़म और लॉस एंजेलिस मेयर कारेन बैस ने इस कदम को “अराजकता बढ़ाने वाला,” “आतंक पैदा करने वाला” बताया ।

राजनीतिक और नागरिक प्रतिक्रिया

  • ACLU ने इसे सत्ता का दुरुपयोग बताया, जो सैनिकों और नागरिकों दोनों के लिए जोखिम पैदा करता है ।
  • कानूनी विशेषज्ञ जैसे एलिज़ाबेथ गॉइटलाइन (Brennan Center) ने इसे “प्रशासनिक प्रयोग” और “संवैधानिक सोच को खतरे में डालने वाला” कदम कहा ।
  • गवर्नर न्यूज़म ने इसे संवैधानिक संकट कहा, “ये तानाशाही की बातें, राष्ट्रपति की नहीं।” ।
  • डेमोक्रेटिक सांसद बर्नी सैंडर्स, हकम जैफ्रीज़ ने इसे “धूमघड़ियावाला कदम” कहा और चेताया कि इससे देश की लोकतांत्रिक चिंता गहराई है ।

क्या नया निशान बना?

  • ट्रम्प प्रशासन ने Title 10 का एक नया प्रयोग किया—गवर्नर की अनदेखी कर होकर फेडरलाइज किया।
  • आमतौर पर यह कदम बड़े पैमाने की हिंसा या गृहयुद्ध जैसी स्थिति में ही उठाया जाता है—लेकिन यहाँ प्रदर्शन अभी उस सीमा तक नहीं पहुंचे थे ।
  • सवाल उठाये जा रहे हैं—क्या भविष्य में भी ऐसे कदम उठाए जा सकते हैं?

आगे की लड़ाई: अदालत या संसद?

कैलिफोर्निया की सरकार ने ट्रंप के फैसले को कानूनी तौर पर चुनौती देने की बात कही है। अदालतों में लंबी लड़ाइयाँ होगी, जिस पर निर्भर कर सकती है आगे की दिशा ।

पाठकों के लिए क्या मायने रखता है?

  • क्या यह केवल एक सैन्य ठहराव है या लोकतंत्र पर हमला?
  • क्या फेडरल सरकार राज्य अधिकारों को नजरअंदाज करती दिख रही है?
  • क्या अब हर विरोध पर सेना तैनाती की नीति बन सकती है?
  • क्यों 1 Amendment और 10th Amendment (राज्य अधिकार) जल्दी प्रभावित हो रहे हैं?

निष्कर्ष – महत्वपूर्ण बिंदु

पहलूसंवेदनशीलता
कानूनी वैधताTitle 10 प्रयोग में नई व्याख्या – गवर्नर की सहमति का कथित उल्लंघन
संवैधानिक संतुलनसंघीय बनाम राज्य अधिकार में नया झुकाव – संवैधानिक खतरा
First Amendmentलोगों का विरोध करने का अधिकार खतरे में – भविष्य में डर
इतिहास1965, 1992 व 2020 की नीतियों से तुलना में यह कदम शर्मनाक

अमेरिका में लोकतांत्रिक संस्थाओं की मजबूती सत्ता संतुलन और नागरिक स्वतंत्रता के संरक्षण से जुड़ी है। अगर सेना को अब भीड़ नियंत्रण का साधन बना दिया गया, तो भविष्य में सामूहिक आवाज़ दबाई जा सकती है। यह सिर्फ लॉस एंजेलिस का मसला नहीं, बल्कि अमेरिका के संवैधानिक नियमों की परीक्षा भी है।

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