जुलाना अनाजमंडी में विधायक विनेश फोगाट का एक्शन मोड
हरियाणा के जींद जिले के जुलाना हलके की कांग्रेस विधायक और प्रसिद्ध महिला पहलवान विनेश फोगाट ने हाल ही में अनाजमंडी का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने मंडी में चल रही अनियमितताओं और किसानों को हो रही परेशानियों को लेकर अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई। इस घटना ने स्थानीय किसानों के बीच चर्चा का विषय बना लिया है, क्योंकि मंडी में शिकायतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा था।
किसानों की बढ़ती शिकायतों के बाद एक्शन
सोमवार को जब विधायक विनेश फोगाट जुलाना अनाजमंडी में पहुंची, तो उन्होंने सबसे पहले कांटों के तोल के बारे में पूछताछ की। किसानों से लगातार मिल रही शिकायतों के अनुसार, मंडी में कांटे सही से काम नहीं कर रहे थे, जिसके चलते किसानों को अपनी फसल बाहर तोलवाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा था। इस समस्या का सीधा असर किसानों की जेब पर पड़ रहा था, क्योंकि बाहर तोलवाने पर उन्हें ज्यादा खर्च उठाना पड़ता था।
विनेश फोगाट ने अधिकारियों से पूछा, “मंडी के कांटे ठीक क्यों नहीं हैं? किसानों को बाहर तोलवाने के लिए क्यों मजबूर किया जा रहा है?” इस पर मार्केट कमेटी के उप सचिव सिकंदर सांगवान ने जवाब दिया कि किसानों को तोल के साथ पर्ची दी जा रही है, लेकिन स्टाफ की कमी की वजह से कांटों में समस्या आ रही है।
स्टाफ की कमी और अधिकारियों का बचाव
विनेश फोगाट ने इस जवाब को नकारते हुए सवाल उठाया, “क्या सीजन खत्म होने के बाद स्टाफ आएगा? क्या किसान तब तक इंतजार करें?” अधिकारियों ने इसे अनदेखा करते हुए कहा कि सरकार को स्टाफ की डिमांड भेजी गई है, और जल्द ही कर्मचारियों की नियुक्ति की जाएगी। हालांकि, विधायक ने इस जवाब को पूरी तरह से नकारते हुए इस मुद्दे की गंभीरता को समझाने की कोशिश की।
मंडी में कांटों पर 2 क्विंटल का अंतर
मंडी में अपने दौरे के दौरान, विनेश फोगाट ने एक और महत्वपूर्ण मुद्दे को उजागर किया। चिड़ी गांव के किसान विनोद अपनी फसल लेकर मंडी में पहुंचे थे, और उनकी ट्रॉली का तोल दो अलग-अलग कांटों पर किया गया। इस पर विधायक को दोनों कांटों के तोल में 2 क्विंटल का अंतर मिला। यह मामला इस कदर गंभीर था कि विनेश फोगाट भड़क गईं और अधिकारियों से पूछा कि ऐसा कैसे हो सकता है।
अधिकारियों ने इस पर सफाई देते हुए कहा कि कांटों का मूल्यांकन कल शाम ही किया गया था और सभी कांटे ठीक पाए गए थे। हालांकि, विधायक ने इसे तर्कसंगत नहीं माना और अधिकारियों से कहा कि रोजाना शाम को कांटों का चेकअप कराना सुनिश्चित किया जाए, ताकि अगर किसी कांटे में कोई गड़बड़ी हो, तो उसे तुरंत ठीक किया जा सके।
किसानों का गुस्सा और विधायक का समर्थन
इस घटना ने जुलाना के किसानों में खासी नाराजगी पैदा की है। कई किसानों का कहना है कि लंबे समय से मंडी में कांटों के खराब होने की शिकायतें आ रही हैं, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी इस समस्या को हल करने में नाकाम रहे हैं। किसान अब उम्मीद कर रहे हैं कि विधायक विनेश फोगाट के एक्शन से मंडी में सुधार होगा और उनकी परेशानियों का समाधान होगा।
विनेश फोगाट की यह सक्रियता केवल किसानों के लिए राहत का कारण बन सकती है, बल्कि इससे यह भी साफ हो गया है कि विधायक अपनी जिम्मेदारी को लेकर गंभीर हैं और किसानों के हितों के लिए खड़ी हैं।
क्या मिलेगा समाधान?
मंडी में लगातार बढ़ती शिकायतों और अधिकारियों की लापरवाही को लेकर एक महत्वपूर्ण सवाल उठता है—क्या अब जुलाना अनाजमंडी में व्यवस्था में सुधार होगा? विधायक विनेश फोगाट ने अधिकारियों से स्पष्ट रूप से कहा है कि अगर कांटों में कोई समस्या आती है तो उसे तुरंत ठीक किया जाए। उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया कि मंडी में हर कांटे की नियमित जांच होनी चाहिए।
किसानों को अब उम्मीद है कि उनकी समस्याओं का हल जल्द ही निकाला जाएगा और उन्हें मंडी में उचित मूल्य मिलेगा। हालांकि, यह देखना बाकी है कि अधिकारी इस मुद्दे पर कितनी जल्दी एक्शन लेते हैं और किसानों को राहत देते हैं।
विधायक की कार्यशैली पर सवाल
विनेश फोगाट की कार्यशैली ने क्षेत्रीय राजनीति में नया मोड़ ला दिया है। उनकी सक्रियता और अधिकारियों को घेरने की क्षमता ने उन्हें एक सशक्त नेता के रूप में स्थापित किया है। हालांकि, इस दौरान अधिकारियों ने अपनी नाकामी को स्वीकार करते हुए इसे जल्द ठीक करने का आश्वासन दिया है, लेकिन यह सवाल उठता है कि क्या इन मुद्दों का समाधान शीघ्र होगा या फिर यह सिर्फ एक और लोकल राजनीति का हिस्सा बनकर रह जाएगा।
निष्कर्ष
विधायक विनेश फोगाट का जुलाना अनाजमंडी में इस तरह का एक्शन न केवल उनकी सख्त कार्यशैली को उजागर करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि वे किसानों की समस्याओं को प्राथमिकता देती हैं। हालांकि, अधिकारियों को अब अपनी कार्यशैली पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है, ताकि किसानों को फिर से किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े।
यह घटना एक सशक्त संदेश देती है कि जब तक जनप्रतिनिधि अपनी जिम्मेदारी पूरी तरह से नहीं निभाते, तब तक बदलाव संभव नहीं होता।