प्रेम विवाह की सजा: परिवार पहचान पत्र में मृत दिखाने के बाद 7 महीने से चक्कर लगाए दंपती की शादी पंजीकरण की प्रक्रिया पर संकट

प्रेम विवाह की सजा: परिवार पहचान पत्र में मृत दिखाने के बाद बिन चक्कर लगाए दंपती की शादी पंजीकरण की प्रक्रिया पर संकट
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परिचय: एक प्रेम कहानी जो बनी दुःस्वप्न

हरियाणा में एक बेहद चौंकाने वाली और परेशान करने वाली घटना सामने आई है, जिसमें एक जोड़े को उनके प्रेम विवाह के बाद एक ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ा, जिसे वे अपनी पूरी जिंदगी में कभी नहीं भूल पाएंगे। अजय और निशा, जो एक प्रेम विवाह में बंधे थे, अब एक अजीब और दुखद स्थिति में फंसे हुए हैं।

यह जोड़ा हाल ही में उस वक्त हैरान रह गया जब उन्हें पता चला कि लड़की के पिता के परिवार पहचान पत्र में उसका नाम मृत के रूप में दर्ज किया गया है। यह घटना उनकी शादी के शुरुआती उत्साह को कुचलते हुए उन्हें एक कानूनी और बुरी स्थिति में धकेल दी है, जो पूरी तरह से अन्यायपूर्ण और त्रासदीपूर्ण प्रतीत हो रही है।

प्रेम विवाह का सुखद सफर अचानक दर्दनाक मोड़ पर

अजय और निशा, महम के निवासी, ने 20 सितंबर 2024 को अपनी मर्जी से शादी की थी। यह उनकी प्रेम कहानी थी, जो पारंपरिक और अरेंज्ड शादियों की बजाय एक नई उम्मीद और आत्मनिर्णय की मिसाल बनी। उनका यह कदम परिवार और समाज के खिलाफ था, लेकिन उनके बीच का प्रेम और समझ था। हालांकि, जिस दिन उन्हें अपनी शादी को कानूनी रूप से पंजीकृत करने का मन बनाया, वे एक खौ़फनाक और अत्यंत निराशाजनक स्थिति से दो-चार हो गए।

जब दंपती शादी पंजीकरण के लिए स्थानीय तहसील कार्यालय पहुंचे, तो उन्हें बताया गया कि पंजीकरण के लिए लड़की के पिता के परिवार पहचान पत्र में उसका नाम होना जरूरी है। यह सुनकर दोनों का मनोबल थोड़ा टूटा, लेकिन वे इस प्रक्रिया को पूरी करने के लिए तैयार थे।

एक चौंकाने वाली खोज: मृत्यु प्रमाण पत्र का खुलासा

लेकिन जब अजय और निशा परिवार पहचान पत्र की प्रक्रिया के लिए दस्तावेज जमा करने गए, तो उन्हें एक और अजीबोगरीब और चौंकाने वाली बात सामने आई। दंपती को पता चला कि लड़की का नाम उनके पिता के परिवार पहचान पत्र में मृत के रूप में दर्ज किया गया है। वे तो यही मान रहे थे कि यह एक मामूली गलती हो सकती है, लेकिन जांच करने पर उन्हें पता चला कि लड़की का मृत्यु प्रमाण पत्र भी जारी कर दिया गया है। इस अजीबोगरीब स्थिति ने उन्हें पूरी तरह से हैरान और परेशान कर दिया।

अजय ने आरटीआई के माध्यम से इस मामले की पूरी जानकारी मांगी, और नतीजतन यह सामने आया कि लड़की के नाम पर एक मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया था। साथ ही, परिवार पहचान पत्र में भी उसे मृत दिखाया गया था। इस पूरी प्रक्रिया में कोई जांच या पुष्टि नहीं की गई थी, और दंपती को अब इस मुश्किल में फंसे हुए सात महीने हो चुके थे, जब वे विवाह पंजीकरण के लिए चक्कर काट रहे थे।

संघर्ष: सात महीने की मेहनत और कोई समाधान नहीं

अजय और निशा ने इस मुद्दे को सुलझाने के लिए सात महीने से ज्यादा समय तक CSC सेंटर और तहसील कार्यालयों के चक्कर लगाए हैं। उन्होंने कई उच्च अधिकारियों से भी गुहार लगाई, लेकिन उनका प्रयास बेकार ही साबित हुआ। हर बार उन्हें यही बताया गया कि विवाह पंजीकरण के लिए लड़की का नाम परिवार पहचान पत्र में मौजूद होना चाहिए, लेकिन अजीब तरह से उसे मृत दिखाया गया है।

इसके बाद, अजय और निशा ने बड़े अधिकारियों से लेकर हर जगह अपनी परेशानी सुनाई, लेकिन कहीं से भी उन्हें कोई समाधान नहीं मिला। उनका विश्वास अब यह हो गया है कि यह मामला केवल एक प्रशासनिक गलती नहीं बल्कि एक बड़ी साजिश हो सकती है।

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साजिश का आरोप: कुछ बड़ा खेल हो रहा है?

दंपती ने इस पूरे मामले को अब एक साजिश के रूप में देखा है। उनका मानना है कि किसी ने जानबूझकर लड़की के नाम पर मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया, और यह भी हो सकता है कि इसमें उसके परिवार का हाथ हो, जो इस विवाह से खुश नहीं था। अजय और निशा का आरोप है कि यह पूरी घटना जांच के बिना हुई, और बिना किसी सही प्रक्रिया के मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया गया।

उनका आरोप है कि इसके पीछे एक सोची-समझी साजिश हो सकती है, ताकि उनका विवाह रद्द करवा दिया जाए। अजय और निशा अब पुलिस में शिकायत दर्ज कराने पहुंचे, लेकिन पुलिस ने भी इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की, और भिवानी क्षेत्र के एक मामले का हवाला देते हुए शिकायत दर्ज करने से मना कर दिया।

निष्कर्ष: एक दुखद कहानी जो सवाल खड़े करती है

यह घटना केवल एक जोड़े की शादी के पंजीकरण की समस्या नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक प्रशासनिक खामियों और भ्रष्टाचार की कहानी भी है। जिस तरह से अधिकारियों ने बिना किसी जांच के मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया और दंपती को इस नर्क में फंसा दिया, वह चिंता का विषय है। इस मामले से यह भी सवाल उठता है कि क्या आम नागरिकों को अपनी सच्चाई साबित करने के लिए इतनी बड़ी लड़ाई लड़नी चाहिए, जबकि उनका अपराध सिर्फ अपने जीवन के फैसले खुद लेने का है?

अजय और निशा अब न्याय की उम्मीद लगाए बैठे हैं, लेकिन इस पूरे घटनाक्रम से यह भी साफ होता है कि देश में प्रशासनिक व्यवस्था की कितनी खामियां हैं, जिनका शिकार आम लोग होते हैं।

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