हरियाणा से यूपी तक फैला था अवैध भ्रूण लिंग जांच रैकेट
हरियाणा के झज्जर जिले से शुरू हुआ एक गुप्त ऑपरेशन, उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में जाकर खत्म हुआ, जहां जिला समुचित प्राधिकरण झज्जर की टीम ने अवैध भ्रूण लिंग जांच गिरोह का पर्दाफाश किया। इस मामले में कुल 7 लोगों को आरोपी बनाया गया, जिनमें से 6 को मौके पर ही गिरफ्तार कर लिया गया, जबकि एक महिला आरोपी विशाखा शर्मा फरार हो गई।
गुप्त सूचना से शुरू हुई कार्रवाई, एजेंट प्रविन्द्र बना गिरोह तक पहुंचने की कड़ी
झज्जर जिला समुचित प्राधिकरण को गुप्त सूचना मिली थी कि बुलंदशहर में अवैध रूप से भ्रूण लिंग की जांच की जा रही है। गिरोह झज्जर और आसपास के इलाकों की महिलाओं को अपना निशाना बना रहा था और मोटी रकम लेकर भ्रूण लिंग बताता था। इस सूचना के बाद PCPNDT नोडल अधिकारी डॉ. संदीप कुमार के नेतृत्व में एक विशेष टीम का गठन किया गया।
टीम में डॉ. बसंत कुमार दूबे, डॉ. बिनिका, विनोद कुमार, महिला हेड कांस्टेबल रीना और पुलिसकर्मी दीपक शामिल थे। इस टीम ने यूपी बुलंदशहर की PCPNDT टीम के साथ समन्वय किया, जिसमें डॉ. प्रवीण कुमार और डॉ. गौरव सक्सैना शामिल हुए।
कैसे तैयार किया गया ट्रैप?
इस ट्रैप की योजना बड़ी सूझबूझ से बनाई गई। एक गुप्त सूत्र द्वारा गिरोह के एजेंट प्रविन्द्र का मोबाइल नंबर टीम को मिला। फिर एक नकली ग्राहक (महिला) और उसका पति बनाकर बातचीत करवाई गई। सौदा 28,000 रुपये में तय हुआ और मुलाकात के लिए बुलंदशहर के स्याना अड्डा को चुना गया।
28 हजार में सौदा, पोर्टेबल मशीन से घर में हुआ अल्ट्रासाउंड
11 अप्रैल को नकली ग्राहक की गाड़ी को टीम ने ट्रैक करना शुरू किया। स्याना अड्डा पर एजेंट प्रविन्द्र पहुंचा और ग्राहक बने सोमवीर से 28,000 रुपये लिए। इसके बाद प्रविन्द्र ने दूसरा एजेंट अजय को बुलाया और उसे पैसे सौंपे। अजय महिला को अपनी बाइक पर बैठाकर बुलंदशहर के आवास विकास प्रथम कॉलोनी स्थित एक घर में ले गया।
कुछ समय बाद तीसरा एजेंट शिवम एक पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड मशीन के साथ उस घर में पहुंचा। वहां पहले से मौजूद विवेक नाम के व्यक्ति ने फर्जी ग्राहक का अल्ट्रासाउंड किया और बताया कि गर्भ में लड़का है।
ऑपरेशन सफल: इशारे से दी गई गिरफ्तारी की सूचना
जब अल्ट्रासाउंड पूरा हो गया और अजय महिला को वापस स्याना अड्डा लेकर आया, तो महिला ने हाथ से इशारा कर टीम को कार्रवाई का संकेत दिया। मौके पर मौजूद PCPNDT टीम ने तुरंत प्रविन्द्र और अजय को गिरफ्तार कर लिया।
उसी समय, उस घर के बाहर निगरानी कर रही दूसरी टीम ने शिवम और विवेक को भी धर दबोचा। इनके पास से 10 हजार रुपये और पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड मशीन बरामद की गई।
फरार हो गई महिला विशाखा शर्मा
इस दौरान, जब टीम कार्रवाई में व्यस्त थी, उस घर में मौजूद विशाखा शर्मा नाम की महिला 18 हजार रुपये लेकर फरार हो गई। माना जा रहा है कि विशाखा इस रैकेट का हिस्सा थी और घर उसे किराए पर लेकर अवैध गतिविधियों के लिए उपयोग कर रही थी।
अमित को बुलाकर पकड़ा, जिसने गिरोह को तकनीकी मदद दी
पूछताछ में अल्ट्रासाउंड ऑपरेटर विवेक ने बताया कि वह मशीन उसकी नहीं, बल्कि अमित नामक व्यक्ति की है, जिसे शिवम लाया था। टीम ने विवेक से अमित को फोन करवाकर पास में ही बुलवाया। जैसे ही अमित अल्ट्रासाउंड मशीन देने पहुंचा, टीम ने उसे भी गिरफ्तार कर लिया।
अमित ही इस गिरोह को तकनीकी रूप से संचालित कर रहा था और पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड मशीनों की आपूर्ति करता था।
सभी आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई
झज्जर व बुलंदशहर की संयुक्त PCPNDT टीम ने सभी आरोपियों को स्थानीय पुलिस को सौंप दिया। उनके खिलाफ PCPNDT एक्ट और भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।
इसमें दोषी पाए जाने पर 3 से 10 साल तक की सजा और 1 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
PCPNDT एक्ट: भ्रूण लिंग जांच पर सख्त कानून
‘Pre-Conception and Pre-Natal Diagnostic Techniques (PCPNDT) Act’ भारत में भ्रूण लिंग जांच को रोकने के लिए बनाया गया एक सख्त कानून है। इसके अंतर्गत बिना वैध कारणों के गर्भवती महिलाओं की लिंग जांच करना अपराध है।
इस एक्ट के तहत –
- बिना पंजीकरण के अल्ट्रासाउंड मशीन रखना अपराध है।
- भ्रूण लिंग जांच करने वाले डॉक्टर, दलाल, मशीन ऑपरेटर सभी पर कार्रवाई होती है।
- 3 से 10 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है।
गिरोह की कार्यशैली: तकनीक और नेटवर्क का दुरुपयोग
यह गिरोह आधुनिक तकनीक, जैसे पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड मशीनों का दुरुपयोग कर रहा था। एजेंटों की पूरी चेन बनाई गई थी – ग्राहक जोड़ने वाला एजेंट, पैसे लेने वाला एजेंट, ग्राहक को स्थान पर ले जाने वाला एजेंट, मशीन लाने वाला एजेंट, और अल्ट्रासाउंड करने वाला ऑपरेटर।
घर जैसे सुरक्षित दिखने वाले स्थानों को इस गिरोह ने अवैध कामों के लिए अड्डा बना लिया था।
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PCPNDT टीम की सफलता: समन्वय और रणनीति से मिला परिणाम
इस केस में सबसे खास बात रही झज्जर और बुलंदशहर की PCPNDT टीम का सामूहिक प्रयास। अधिकारियों और पुलिस की टीम ने संयुक्त रूप से यह ऑपरेशन चलाया और बिना किसी सूचना लीक के पूरी कार्रवाई को अंजाम दिया।
क्या भ्रूण लिंग जांच रोकने में सफल हो रहे हैं प्रयास?
भले ही यह कार्रवाई एक बड़ी सफलता है, लेकिन यह भी दर्शाता है कि देश में अभी भी भ्रूण हत्या का खतरा पूरी तरह टला नहीं है। समाज में बेटे-बेटी के बीच भेदभाव अब भी मौजूद है, और कुछ लोग इसी सोच का फायदा उठाकर ऐसे अवैध रैकेट चला रहे हैं।
जन-जागरूकता और कड़ी निगरानी जरूरी
इस प्रकार के रैकेट को जड़ से खत्म करने के लिए केवल कानून ही नहीं, बल्कि सामाजिक जागरूकता और नैतिक शिक्षा की भी जरूरत है। लोगों को बेटियों को लेकर सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाना होगा।
निष्कर्ष: भ्रूण लिंग जांच के खिलाफ कार्रवाई बनी मिशाल
इस ऑपरेशन ने यह साबित कर दिया कि अगर प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और पुलिस मिलकर काम करें, तो कितनी भी गहरी जड़ें हो, अपराध को उखाड़ फेंका जा सकता है। झज्जर और बुलंदशहर की PCPNDT टीम की यह कार्रवाई उन कई महिलाओं और बेटियों के हक में एक मजबूत कदम है, जिनका जीवन भ्रूण में ही खत्म कर दिया जाता है।