वक्फ एक्ट, जो मुस्लिम समुदाय की संपत्तियों और धार्मिक संस्थानों के प्रबंधन के लिए कानून निर्धारित करता है, भारत के सबसे विवादास्पद और चर्चित कानूनों में से एक है। 2013 में यूपीए सरकार के दौरान इसमें कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए गए थे, जिसके बाद वक्फ बोर्ड की शक्तियां बढ़ा दी गई थीं। इसके चलते वक्फ बोर्डों को संपत्तियों पर अधिकार जताने का अधिकार मिला, जिसने कई विवादों को जन्म दिया। अब, मोदी सरकार इस कानून में बड़े पैमाने पर संशोधन करने की तैयारी कर रही है। आइए, इस पूरी खबर को विस्तार से समझते हैं।
वक्फ एक्ट: क्या है और क्यों है ये विवादों में?
वक्फ एक्ट की पृष्ठभूमि
वक्फ एक्ट सबसे पहले 1954 में लागू हुआ था। इसका मुख्य उद्देश्य वक्फ संपत्तियों का उचित संरक्षण और प्रबंधन सुनिश्चित करना था, ताकि धार्मिक और चैरिटेबल उद्देश्यों के लिए इन संपत्तियों का उपयोग हो सके। 1995 में इसमें पहला बड़ा संशोधन हुआ, जो वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण और प्रबंधन को और अधिक स्पष्ट और प्रभावी बनाने के लिए था। इसके बाद 2013 में यूपीए सरकार ने इस एक्ट में और भी संशोधन किए, जिससे वक्फ बोर्डों की शक्तियों में काफी इज़ाफा हुआ।
वक्फ बोर्ड की विवादित शक्तियां
वक्फ एक्ट में हुए संशोधनों के बाद वक्फ बोर्डों को किसी भी संपत्ति को “वक्फ संपत्ति” घोषित करने की व्यापक शक्तियां मिलीं। एक बार जब कोई संपत्ति वक्फ के पास चली जाती है, तो उसे वापस लेना बहुत मुश्किल हो जाता है। यहां तक कि न्यायपालिका भी वक्फ संपत्तियों के मामलों में हस्तक्षेप नहीं कर सकती। इस कानून का दायरा इतना व्यापक है कि भारत में वक्फ संपत्तियों की संख्या दुनिया में सबसे अधिक है, लेकिन इन संपत्तियों से प्राप्त होने वाले राजस्व का कोई स्पष्ट लेखा-जोखा नहीं है।
मोदी सरकार का प्लान: वक्फ एक्ट में संशोधन
प्रस्तावित संशोधन
मोदी सरकार ने वक्फ एक्ट में करीब 40 संशोधनों को मंजूरी दी है, जो वक्फ बोर्डों की संपत्तियों पर नियंत्रण को सीमित करेंगे। नए संशोधन के बाद वक्फ बोर्ड द्वारा किसी भी संपत्ति को “वक्फ संपत्ति” घोषित करने से पहले उसकी सत्यापन अनिवार्य होगी। इसके अलावा, वक्फ संपत्तियों के मैनेजमेंट और ट्रांसफर में भी बड़े बदलाव किए जाएंगे। यह संशोधन जस्टिस सच्चर आयोग और के रहमान खान की अध्यक्षता वाली संसद की संयुक्त कमेटी की सिफारिशों के आधार पर किए जा रहे हैं।
कानून में बदलाव से होने वाले प्रभाव
संशोधन के बाद, वक्फ बोर्डों को अपनी संपत्ति जिला मजिस्ट्रेट के दफ्तर में रजिस्टर्ड करनी होगी, ताकि संपत्ति का मूल्यांकन हो सके। यह कदम वक्फ संपत्तियों के राजस्व की जांच को भी संभव बनाएगा। इसके अलावा, नए बिल में यह प्रावधान होगा कि सिर्फ मुस्लिम ही वक्फ संपत्ति बना सकते हैं, और वक्फ बोर्ड की संरचना में महिलाओं की हिस्सेदारी भी सुनिश्चित की जाएगी। संशोधन के बाद, वक्फ बोर्ड के फैसलों के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की जा सकेगी, जो कि अभी तक संभव नहीं था।
वक्फ संपत्तियों का बड़ा साम्राज्य
संपत्तियों की मौजूदा स्थिति
भारत में वक्फ संपत्तियों का विशाल साम्राज्य है। वक्फ की संपत्तियां लगभग 8 लाख एकड़ भूमि में फैली हुई हैं और इनकी अनुमानित कीमत 1.2 लाख करोड़ रुपये है। वक्फ बोर्डों के पास कुल 8 लाख 72 हजार 292 रजिस्टर्ड संपत्तियां हैं, जिनमें से अधिकांश संपत्तियां मस्जिदों, दरगाहों, और कब्रिस्तानों के रूप में हैं। यूपी में सबसे अधिक वक्फ संपत्ति है, जहां सुन्नी बोर्ड के पास 2 लाख 10 हजार 239 संपत्तियां और शिया बोर्ड के पास 15 हजार 386 संपत्तियां हैं।
संपत्तियों का विवाद और गड़बड़ियां
वक्फ संपत्तियों को लेकर विवाद भी कम नहीं हैं। कई मामलों में देखा गया है कि प्रभावशाली लोग वक्फ संपत्तियों का अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। वक्फ संपत्तियों को विशेष दर्जा मिला हुआ है, जो किसी ट्रस्ट आदि से ऊपर है, और वक्फ बोर्ड इन संपत्तियों का मनमाने ढंग से उपयोग कर रहा है। कई संपत्तियों को जबरन वक्फ संपत्ति घोषित करने के मामले भी सामने आए हैं, जिससे संपत्ति के असली मालिकों को न्याय पाने में मुश्किलें हो रही हैं।
वक्फ बोर्ड की विवादास्पद भूमिका
वक्फ बोर्ड के खिलाफ आरोप
वक्फ बोर्डों पर आरोप है कि उन्होंने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया है। यूपी सरकार के पूर्व मंत्री और बीजेपी नेता मोहसिन रजा का कहना है कि वक्फ बोर्ड ने 1995 के कानून का बहुत दुरुपयोग किया है। वक्फ बोर्डों ने निरंकुश होकर अपनी शक्तियों का गलत इस्तेमाल किया है और संपत्तियों को गलत ढंग से वक्फ संपत्ति घोषित किया है। इसके चलते संपत्तियों के असली मालिकों को न्याय नहीं मिल पाता है।
वक्फ बोर्ड के कामकाज की समीक्षा
वक्फ बोर्डों के कामकाज की समीक्षा करते हुए यह पाया गया है कि बोर्डों ने वक्फ संपत्तियों का सही तरीके से प्रबंधन नहीं किया है। वक्फ संपत्तियों का राजस्व पारदर्शी नहीं है, और इसका कोई स्पष्ट लेखा-जोखा नहीं है। इसके अलावा, वक्फ बोर्ड के सदस्यों में भी पारदर्शिता की कमी है, और बोर्डों पर पावरफुल लोगों का कब्जा है।
विरोध की आवाजें: असदुद्दीन ओवैसी और अन्य का नजरिया
वक्फ संपत्तियों को छीनने का आरोप
हैदराबाद से सांसद और एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने वक्फ एक्ट में संशोधन का विरोध किया है। उनका कहना है कि ये संशोधन वक्फ संपत्तियों को छीनने के इरादे से किए जा रहे हैं, और यह संविधान में दिए गए धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार पर प्रहार है। ओवैसी का आरोप है कि आरएसएस की हमेशा से वक्फ संपत्तियों को छीनने की मंशा रही है, और यह संशोधन उसी दिशा में उठाया गया कदम है।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की आपत्ति
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने भी इस संशोधन का विरोध किया है। उनका कहना है कि वक्फ संपत्तियों का उपयोग सिर्फ उन धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए होना चाहिए, जिनके लिए इसे हमारे पूर्वजों ने दान किया था। मौलाना फरंगी ने कहा कि वर्तमान वक्फ एक्ट 1995 में ही पर्याप्त प्रावधान हैं, और इसमें किसी भी प्रकार के संशोधन की जरूरत नहीं है।
विपक्ष की राय: बीजेपी का समर्थन और अन्य दलों की प्रतिक्रिया
बीजेपी की राय
बीजेपी नेता अजय आलोक ने वक्फ एक्ट में सुधार की मांग का समर्थन किया है। उन्होंने कहा है कि वक्फ बोर्ड में सुधार की मांग पिछले 30-40 सालों से चली आ रही है, और इसका समर्थन समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और टीएमसी जैसे दल भी करेंगे। उनका कहना है कि वक्फ बोर्ड में सुधार की जरूरत है, ताकि वक्फ संपत्तियों का सही प्रबंधन हो सके।
विपक्ष की आपत्ति
राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने इस संशोधन का विरोध किया है। उन्होंने कहा है कि सरकार की निगाह कहीं और है, निशाना कहीं और। किसी धर्म विशेष को टारगेट करना और विवादित मुद्दों को उठाना सरकार का मकसद है, ताकि असली मुद्दों पर चर्चा ना हो सके। उनका आरोप है कि यह संशोधन किसी धर्म विशेष को निशाना बनाने के लिए लाया जा रहा है।
वक्फ बोर्ड की संपत्तियों का व्यापक दायरा
संपत्तियों की मौजूदा स्थिति
भारत में वक्फ संपत्तियों का दायरा बहुत बड़ा है। वक्फ की कुल 8 लाख 72 हजार 292 रजिस्टर्ड संपत्तियां हैं, जो 8 लाख एकड़ भूमि में फैली हुई हैं। इन संपत्तियों की अनुमानित कीमत 1.2 लाख करोड़ रुपये है। वक्फ बोर्ड देश में तीसरा सबसे बड़ा भूस्वामी है, और इसके पास सुन्नी और शिया दोनों समुदायों की संपत्तियां हैं। यूपी में सबसे अधिक वक्फ संपत्तियां हैं, जहां सुन्नी बोर्ड के पास 2 लाख 10 हजार 239 संपत्तियां और शिया बोर्ड के पास 15 हजार 386 संपत्तियां हैं।
संपत्तियों के विवाद
वक्फ संपत्तियों को लेकर विवाद भी बहुत हैं। कई मामलों में देखा गया है कि वक्फ बोर्डों ने संपत्तियों का गलत ढंग से उपयोग किया है और इन्हें वक्फ संपत्ति घोषित किया है। इसके चलते संपत्तियों के असली मालिकों को न्याय पाने में मुश्किलें हो रही हैं। वक्फ संपत्तियों पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है, और इसका कोई स्पष्ट लेखा-जोखा भी नहीं है।
निष्कर्ष: वक्फ एक्ट में संशोधन के पीछे की राजनीति
वक्फ एक्ट में मोदी सरकार द्वारा किए जा रहे संशोधन एक बड़े राजनीतिक कदम के रूप में देखे जा रहे हैं। इस संशोधन के पीछे जहां एक ओर वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन की मंशा हो सकती है, वहीं दूसरी ओर इसे राजनीतिक लाभ के रूप में भी देखा जा रहा है। वक्फ संपत्तियों पर नियंत्रण और उनके सही उपयोग की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है, लेकिन इस पर विपक्ष और मुस्लिम संगठनों की आपत्तियों को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
आखिरकार, वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन एक संवेदनशील मुद्दा है, और इस पर किए गए किसी भी बदलाव का प्रभाव व्यापक हो सकता है। अब देखना होगा कि इस संशोधन पर राजनीतिक दलों और समुदायों की क्या प्रतिक्रिया होती है, और क्या यह संशोधन वास्तव में वक्फ संपत्तियों के सही प्रबंधन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा या यह भी एक और विवाद का कारण बनेगा।