भारत सरकार ने सेमीकंडक्टर उद्योग में देश को वैश्विक मंच पर मजबूत करने के लिए बड़ी योजनाएं बनाई हैं, और इसके लिए खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मोर्चा संभाल लिया है। ग्रेटर नोएडा के इंडिया एक्सपो सेंटर और मार्ट में आयोजित ‘सेमीकॉन इंडिया 2024’ सम्मेलन में पीएम मोदी ने सेमीकंडक्टर निर्माण की दिशा में भारत की रणनीति को स्पष्ट किया। इस तीन दिवसीय आयोजन का मकसद देश में सेमीकंडक्टर उद्योग को स्थापित करने और इसे ग्लोबल लेवल पर एक बड़ा खिलाड़ी बनाने का है।
सेमीकॉन इंडिया 2024: वैश्विक मंच पर भारत की मौजूदगी
‘सेमीकॉन इंडिया 2024’ सम्मेलन में 26 देशों के 836 एग्जिबिटर्स और 50,000 से अधिक विजिटर शामिल हुए। पीएम मोदी ने इस आयोजन को सही समय और सही स्थान पर आयोजित होने वाला सम्मेलन बताया। उन्होंने कहा कि आज का दौर ‘सिलिकॉन डिप्लोमेसी’ का है, जहां सेमीकंडक्टर का महत्व वैश्विक कूटनीति में भी दिखने लगा है। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य भारत को सेमीकंडक्टर उद्योग का हब बनाना है।
पीएम मोदी ने यह भी बताया कि भारत ने अमेरिका, जापान, और सिंगापुर जैसे देशों के साथ कई महत्वपूर्ण समझौते किए हैं। यह समझौते भारत को सेमीकंडक्टर निर्माण में तेजी से आगे बढ़ने में मदद करेंगे। पीएम ने जोर देकर कहा कि भारत का सेमीकंडक्टर उत्पादन वैश्विक स्तर पर व्यापक रूप से फैलाया जाएगा, जिससे देश आर्थिक और तकनीकी रूप से सशक्त बनेगा।
सेमीकंडक्टर उद्योग में निवेश को प्रोत्साहन: योगी आदित्यनाथ की घोषणा
कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी हिस्सा लिया। उन्होंने बताया कि उनकी सरकार सेमीकंडक्टर और आईटी क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने के लिए 50% तक की अतिरिक्त कैपिटल सब्सिडी और 75% तक की लैंड रिबेट की सुविधा प्रदान कर रही है। यूपी पहले से ही सेमीकंडक्टर डिजाइन में एक प्रमुख राज्य के रूप में उभर रहा है, जहां 6 प्रमुख कंपनियां पहले से स्थापित हैं।
भारत का सेमीकंडक्टर बाजार: 2030 तक $110 अरब तक पहुंचने का लक्ष्य
सेमीकंडक्टर का इस्तेमाल स्मार्टफोन्स, कारों, डेटा सेंटर्स, और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में होता है। पीएम मोदी ने कहा कि 2030 तक भारत का सेमीकंडक्टर बाजार $110 अरब तक पहुंचने का अनुमान है। देश की कई प्रमुख कंपनियां जैसे एचसीएल टेक्नोलॉजीज, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स, वेदांता लिमिटेड और डिक्सन टेक्नोलॉजीज सेमीकंडक्टर चिप बनाने की योजनाओं पर काम कर रही हैं। इनमें से कई कंपनियों के शेयरों में पिछले एक साल में तेजी देखी गई है, जिससे इस सेक्टर में निवेशकों का भरोसा और भी बढ़ा है।
डिक्सन टेक्नोलॉजीज, जिसने पिछले एक साल में 140% से ज्यादा रिटर्न दिया है, इस क्षेत्र में तेजी से उभर रही कंपनियों में से एक है। भारत सरकार का ध्यान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग को और ज्यादा विस्तार देने पर है ताकि देश इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन सके।
भारत के हर इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में भारतीय चिप्स: पीएम मोदी का सपना
पीएम मोदी ने भारत के सेमीकंडक्टर निर्माण के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि उनका सपना है कि दुनिया के हर इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में भारतीय चिप्स का इस्तेमाल हो। उन्होंने सेमीकंडक्टर निर्माण में निवेशकों को आमंत्रित करते हुए कहा कि भारत इस क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर कॉम्पिटीटिव बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
प्रधानमंत्री ने कोविड-19 महामारी के दौरान सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन के महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन दुनियाभर के लिए बेहद महत्वपूर्ण है और भारत इस क्षेत्र में स्थिर नीतियों और आधुनिक टेक्नोलॉजी के सहारे एक मजबूत आधार तैयार कर रहा है।
PM मोदी की रणनीति: 500 अरब डॉलर के इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर का लक्ष्य
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रणनीति के तहत देश के इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर का वर्तमान मूल्यांकन $150 अरब है, जिसे बढ़ाकर 500 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि यह वृद्धि सीधे तौर पर भारत के सेमीकंडक्टर क्षेत्र को भी लाभान्वित करेगी। इसके साथ ही, पीएम ने इस दशक के अंत तक 6 मिलियन नौकरियों के सृजन का लक्ष्य भी निर्धारित किया है।
मोबाइल हैंडसेट और डेटा को सस्ता बनाने के लिए किए गए सुधारों का उल्लेख करते हुए पीएम मोदी ने बताया कि एक दशक पहले भारत मोबाइल फोन का सबसे बड़ा आयातक था, जबकि आज यह मोबाइल फोन का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक बन चुका है।
महत्वपूर्ण खनिजों की सुरक्षा: सरकार की प्राथमिकता
सेमीकंडक्टर उद्योग के लिए जरूरी महत्वपूर्ण खनिजों की सुरक्षा पर सरकार का विशेष ध्यान है। पीएम मोदी ने इस दिशा में किए गए प्रयासों का जिक्र करते हुए बताया कि सरकार कस्टम ड्यूटी छूट और महत्वपूर्ण खनिजों के खनन नीलामी पर तेजी से काम कर रही है।
प्रधानमंत्री ने IITs के सहयोग से भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान संस्थान में एक सेमीकंडक्टर अनुसंधान केंद्र स्थापित करने की योजना का खुलासा किया। इसका उद्देश्य न केवल वर्तमान उच्च-तकनीकी चिप्स का निर्माण करना है, बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के चिप्स का निर्माण भी सुनिश्चित करना है।
‘सिलिकॉन डिप्लोमेसी’ का दौर: अंतरराष्ट्रीय सहयोग की दिशा में कदम
प्रधानमंत्री मोदी ने अंतरराष्ट्रीय सहयोग की बात करते हुए कहा कि दुनिया आज ‘सिलिकॉन डिप्लोमेसी’ के युग में प्रवेश कर चुकी है। भारत इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क की आपूर्ति श्रृंखला परिषद का उपाध्यक्ष चुना गया है। इसके अलावा, भारत ने क्वाड आपूर्ति श्रृंखला पहल में एक महत्वपूर्ण भागीदार के रूप में अपनी स्थिति मजबूत की है। जापान और सिंगापुर जैसे देशों के साथ समझौते किए गए हैं, और अमेरिका के साथ भी सेमीकंडक्टर क्षेत्र में सहयोग को गहरा किया जा रहा है।
टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य कंपनियों की भूमिका
इस आयोजन में टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स के अध्यक्ष और सीईओ डॉ. रणधीर ठाकुर ने भी प्रधानमंत्री मोदी की सराहना की। उन्होंने इस साल मार्च में धोलेरा में भारत के पहले वाणिज्यिक फैब और असम में भारत के पहले स्वदेशी ओसैट कारखाने की आधारशिला रखने के अवसर को याद किया। डॉ. ठाकुर ने कहा कि निर्माण को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए भारत सरकार के समर्थन और मंजूरी ने इन परियोजनाओं को रिकॉर्ड समय में साकार किया।
सेमीकंडक्टर उद्योग: भारत की नई दिशा
डॉ. ठाकुर ने से निर्माण के लिए 11 आवश्यक क्षेत्रों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सरकार के प्रयासों की वजह से यह सभी क्षेत्र ‘सेमीकॉन इंडिया 2024’ में एक ही मंच पर मौजूद हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री को आश्वासन दिया कि उद्योग भारत के 2047 तक विकसित देश बनने के दृष्टिकोण का आधार बनेगा और इसका रोजगार सृजन पर बहुस्तरीय प्रभाव पड़ेगा।
निष्कर्ष: भारत का सेमीकंडक्टर मिशन
भारत का सेमीकंडक्टर मिशन अब सिर्फ सपना नहीं, बल्कि हकीकत बनने की ओर तेजी से बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री मोदी की रणनीति और सरकार की मजबूत नीतियां इस उद्योग में देश को एक प्रमुख खिलाड़ी बनाने के लिए तैयार हैं। ‘सेमीकॉन इंडिया 2024’ सम्मेलन भारत की इस दिशा में किए जा रहे प्रयासों का प्रतीक है, जिससे भारत जल्द ही सेमीकंडक्टर उत्पादन में आत्मनिर्भर बनकर दुनिया के सामने खड़ा होगा।