हरियाणा की राजनीति में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का जो सफर 1987 में एक सहयोगी दल के रूप में शुरू हुआ था, वो 2024 आते-आते पूरी तरह बदल चुका है। आज बीजेपी ‘लालों’ की राजनीति के दबदबे वाले इस राज्य में प्रमुख राजनीतिक ताकत बनकर उभरी है। 24 साल के इस सफर में 6 सीटों से बढ़कर 48 सीटें जीतने का रिकॉर्ड बनाना बीजेपी के लिए न केवल हरियाणा में बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी एक महत्वपूर्ण जीत है। इस सफर में कई उतार-चढ़ाव और दिलचस्प कहानियां हैं, जिन्होंने हरियाणा की राजनीति में बीजेपी की जगह पक्की की है।
‘लालों’ की राजनीति का अंत और बीजेपी की शुरुआत
हरियाणा की राजनीति लंबे समय तक ‘लालों’ के इर्द-गिर्द घूमती रही। बंसी लाल, देवी लाल, और भजन लाल जैसे नेता राज्य की राजनीति के प्रमुख चेहरे रहे। इनकी विचारधारा और शैली ने हरियाणा की राजनीति को दशकों तक प्रभावित किया। वहीं, बीजेपी उन दिनों इन नेताओं की पार्टियों की जूनियर पार्टनर के तौर पर काम कर रही थी। भारतीय जनता पार्टी का इन खांटी हरियाणवी दिग्गजों के बीच अपनी विचारधारा की राजनीति के लिए जगह बनाना एक लंबी और संघर्षपूर्ण प्रक्रिया रही।
जब बीजेपी का हरियाणा की राजनीति में आगमन हुआ, तब यह इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) और हरियाणा विकास पार्टी जैसी पार्टियों की जूनियर पार्टनर के तौर पर काम कर रही थी। खासकर आईएनएलडी के नेता ओम प्रकाश चौटाला के साथ बीजेपी का गठबंधन लंबे समय तक रहा। हालांकि, यह गठबंधन कभी-कभी तनावपूर्ण भी हो जाता था, जब बीजेपी कार्यकर्ता ओम प्रकाश चौटाला पर अभद्र व्यवहार के आरोप लगाते थे।
ओम प्रकाश चौटाला और मनोहर लाल खट्टर: सियासी दुश्मनी
भारतीय जनता पार्टी और ओम प्रकाश चौटाला के रिश्ते कभी भी सहज नहीं रहे। एक किस्सा जो हरियाणा की राजनीति में चर्चित रहा, वह है चौटाला द्वारा खट्टर को बाहर का रास्ता दिखाना। ओम प्रकाश चौटाला जब हरियाणा के मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने दिल्ली स्थित हरियाणा भवन में मनोहर लाल खट्टर को गठबंधन पर चर्चा करने से इनकार कर दिया था। यह वाकया खट्टर के लिए एक बड़ी सीख साबित हुआ और उन्होंने हरियाणा की राजनीति में अपनी जगह बनाने का संकल्प लिया।
खट्टर और चौटाला के बीच यह अदावत कई सालों तक चली। हाल के दिनों में भी ओम प्रकाश चौटाला ने खट्टर पर तीखे हमले किए, उन्हें ‘आवारा जानवर’ तक कह डाला। चौटाला ने अपने पिता देवी लाल की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए ‘लाल’ शब्द को हटाकर अपने गांव का नाम ‘चौटाला’ को टाइटल में लगाया, ताकि उनकी स्थानीय पहचान और मजबूत हो सके।
हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी का संघर्ष और विजय
भारतीय जनता पार्टी ने हरियाणा में अपनी जगह बनाने के लिए काफी संघर्ष किया। 1982 में बीजेपी ने पहली बार हरियाणा विधानसभा चुनाव लड़ा और 6 सीटें जीतीं। इसके बाद 1987 में बीजेपी ने 20 सीटों पर चुनाव लड़ा और 16 सीटें जीतीं। हालांकि, 1991 का चुनाव बीजेपी के लिए बेहद निराशाजनक रहा, जहां पार्टी मात्र 2 सीटों पर सिमट गई।
लेकिन 1996 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने फोक्स्ड अप्रोच अपनाई और 25 सीटों पर उम्मीदवार उतारे, जिसमें से 11 सीटें जीतने में कामयाब रही। इस चुनाव में बीजेपी का वोट शेयर 8.9 प्रतिशत रहा। हालांकि, पार्टी को अपनी वास्तविक ताकत दिखाने का मौका 2014 में मिला, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पार्टी ने हरियाणा में 47 सीटों पर जीत दर्ज की।
बंसीलाल और मनोहर लाल खट्टर की टक्कर
1999 में भारतीय जनता पार्टी हरियाणा विकास पार्टी (एचवीपी) के साथ गठबंधन में थी, जिसके मुख्यमंत्री बंसीलाल थे। उस समय बीजेपी के संगठन मंत्री मनोहर लाल खट्टर बंसीलाल से मिलने गए थे। बंसीलाल ने खट्टर को मिलने से इनकार कर दिया और यह संदेश भिजवाया कि भारतीय जनता पार्टी के संगठन मंत्री को उनके पार्टी के संगठन मंत्री से ही मिलना चाहिए। इस घटना ने खट्टर को गहरी चोट पहुंचाई और उन्होंने कसम खाई कि जब तक बंसीलाल की सरकार नहीं गिर जाएगी, वे अपनी दाढ़ी नहीं कटाएंगे।
खट्टर का यह प्रण तब पूरा हुआ, जब 22 जून 1999 को बीजेपी ने बंसीलाल सरकार से समर्थन वापस ले लिया और जुलाई में बंसीलाल की सरकार गिर गई। यह घटना हरियाणा की राजनीति में बीजेपी के उभार का संकेत थी।
2000 से 2009: भारतीय जनता पार्टी के लिए संघर्ष भरे साल
2000 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी 90 सीटों में से 29 पर लड़ी और मात्र 6 सीटें जीत पाई। यह बीजेपी के लिए कठिन समय था, जब केंद्र में उसकी सरकार होने के बावजूद हरियाणा में उसे खास कामयाबी नहीं मिली।
2004 के लोकसभा चुनाव और 2005 के विधानसभा चुनाव भारतीय जनता पार्टी के लिए और भी ज्यादा निराशाजनक रहे। पार्टी को मात्र 1 लोकसभा सीट मिली और विधानसभा चुनाव में सिर्फ 2 सीटें। 2009 के आम चुनाव और विधानसभा चुनाव भी बीजेपी के लिए किसी झटके से कम नहीं थे। भारतीय जनता पार्टी ने 90 में से 4 सीटों पर जीत हासिल की और उसका वोट शेयर घटकर 9.04 प्रतिशत हो गया।
2014: बीजेपी की सुनामी
2014 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी का सितारा चमक उठा। लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 8 सीटों पर चुनाव लड़ा और 7 पर जीत दर्ज की। इसके बाद विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने 47 सीटों पर जीत हासिल की, जो उसके पिछले प्रदर्शन से 43 सीटें ज्यादा थीं। इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी का वोट शेयर 33.2 प्रतिशत रहा।
मनोहर लाल खट्टर ने हरियाणा के मुख्यमंत्री के रूप में पदभार संभाला और भारतीय जनता पार्टी ने पहली बार राज्य में अपने दम पर सरकार बनाई।
2019 और 2024: बीजेपी की लगातार बढ़त
2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने हरियाणा की सभी 10 सीटों पर जीत हासिल की और उसका वोट शेयर 58.02 प्रतिशत रहा। हालांकि, विधानसभा चुनाव में पार्टी को एंटी इनकमबेंसी का सामना करना पड़ा और 40 सीटों पर जीत मिली। इसके बावजूद बीजेपी ने दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के साथ गठबंधन करके सरकार बनाई।
2024 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने 48 सीटों पर जीत हासिल की और उसका वोट शेयर 39.94 प्रतिशत रहा। इस जीत ने बीजेपी को हरियाणा की राजनीति में एक स्थायी और मजबूत ताकत के रूप में स्थापित कर दिया।
हरियाणा में बीजेपी का भविष्य
बीजेपी का हरियाणा में उभार यह दर्शाता है कि पार्टी ने अपनी विचारधारा और रणनीति से राज्य की राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान हासिल कर लिया है। पार्टी ने 24 सालों के संघर्ष और विजय के सफर में कई उतार-चढ़ाव देखे, लेकिन आज वह ‘लालों के लैंड’ में प्रमुख राजनीतिक ताकत बन चुकी है।
हरियाणा की राजनीति में बीजेपी का यह सफर न केवल पार्टी के लिए बल्कि राष्ट्रीय राजनीति के लिए भी एक महत्वपूर्ण संदेश है कि विचारधारा और मेहनत के दम पर किसी भी राज्य में कामयाबी हासिल की जा सकती है।