INDIA ब्लॉक के सामने एकजुटता की चुनौती
हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार ने न केवल पार्टी को, बल्कि उसके सहयोगी दलों के साथ उसके संबंधों को भी एक बड़ा झटका दिया है। कांग्रेस, जो हाल ही में लोकसभा चुनावों के बाद अपनी राजनीतिक शक्ति और आत्मविश्वास को पुनः स्थापित करने में सफल रही थी, अब एक बार फिर कठिन परिस्थितियों का सामना कर रही है। हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनावों के नतीजों ने कांग्रेस के लिए कई सवाल खड़े कर दिए हैं। अब सवाल यह है कि क्या INDIA ब्लॉक की एकता कमजोर पड़ रही है? झारखंड चुनाव से पहले राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के तीखे तेवर और आम आदमी पार्टी (AAP) द्वारा दिल्ली विधानसभा चुनाव में अकेले लड़ने की घोषणा ने गठबंधन की मजबूती पर सवालिया निशान लगा दिए हैं।
हरियाणा में हार के बाद गहराता संकट
कांग्रेस के नेतृत्व वाले INDIA ब्लॉक में दरार: हरियाणा हार के बाद RJD और AAP ने दिखाए तेवर, झारखंड चुनाव में भी तनाव INDIA ब्लॉक ने लोकसभा चुनावों में जिस प्रकार से भाजपा को चुनौती दी थी, उससे पार्टी के अंदर आत्मविश्वास की लहर थी। इसके बाद, जब हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव हुए, तो कांग्रेस को उम्मीद थी कि वह अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर भाजपा को मात देगी। लेकिन हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा। इसका परिणाम यह हुआ कि उसके सहयोगी दलों ने अब खुलकर कांग्रेस पर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं।
हरियाणा में मिली हार के बाद आम आदमी पार्टी और शिवसेना (यूबीटी) ने कांग्रेस की आलोचना की थी। दोनों पार्टियों ने कांग्रेस को “अतिआत्मविश्वास” का शिकार बताया। AAP के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने सार्वजनिक रूप से कहा कि कांग्रेस को आत्मसमीक्षा करनी चाहिए। हरियाणा में कांग्रेस और AAP के बीच गठबंधन नहीं हो सका था, जिसका सीधा असर चुनाव परिणामों पर पड़ा। इस हार ने INDIA ब्लॉक में दरार: हरियाणा हार के बाद RJD और AAP ने दिखाए तेवर, झारखंड चुनाव में भी तनाव ब्लॉक की एकता पर गहरा प्रभाव डाला है, और अब कांग्रेस के साथ उसके सहयोगियों के रिश्ते में तनाव बढ़ता दिखाई दे रहा है।
झारखंड चुनाव में RJD का रुख
हरियाणा के बाद अब झारखंड विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी हो रही हैं। झारखंड में कांग्रेस, झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है, लेकिन RJD ने अब खुलकर अपने तेवर दिखा दिए हैं। RJD ने साफ कर दिया है कि वह झारखंड में 12 से 13 सीटों से कम पर समझौता नहीं करेगी।
RJD के सांसद मनोज झा ने कहा, “झारखंड में 18-20 सीटों पर हमारी मजबूत पकड़ है, और हमें 12-13 सीटों से कम मंजूर नहीं है।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो RJD अकेले चुनाव लड़ेगी, लेकिन इससे INDIA ब्लॉक को नुकसान नहीं होगा। RJD ने यह दावा किया है कि उसने झारखंड में 15 से 18 ऐसी सीटों की पहचान की है, जहां वह भाजपा को मात दे सकती है।
2019 के विधानसभा चुनाव में RJD ने सात सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें उसे एक सीट पर जीत मिली थी और पांच सीटों पर वह दूसरे स्थान पर रही थी। इस बार, RJD झारखंड में कांग्रेस और JMM के साथ सीटों के बंटवारे को लेकर अपनी शर्तों पर अड़ी हुई है। RJD का कहना है कि यदि उसे उचित सम्मान नहीं दिया गया, तो वह अकेले चुनाव लड़ेगी, लेकिन कांग्रेस और JMM के साथ सहयोग करते हुए 60-62 सीटों पर उनके उम्मीदवारों का समर्थन करेगी।
महाराष्ट्र और यूपी में भी मतभेद
हरियाणा और झारखंड के अलावा महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में भी INDIA ब्लॉक के दलों के बीच सीट बंटवारे को लेकर मतभेद सामने आ रहे हैं। महाराष्ट्र में शिवसेना (यूबीटी) और कांग्रेस के बीच विदर्भ की 12 सीटों पर खींचतान जारी है। दोनों ही पार्टियां उन सीटों पर दावा कर रही हैं, जो उनके लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही हैं।
वहीं, उत्तर प्रदेश में सपा और कांग्रेस के बीच भी तनाव बढ़ गया है। हरियाणा चुनाव में सपा ने कांग्रेस से कुछ सीटें मांगी थीं, जिसे कांग्रेस ने खारिज कर दिया था। अब यूपी के उपचुनाव में सपा ने कांग्रेस को केवल दो सीटें ऑफर की हैं, जबकि कांग्रेस पांच सीटों की मांग कर रही थी। सपा ने गाजियाबाद सदर और अलीगढ़ की खैर सीटें कांग्रेस को ऑफर की हैं, जबकि प्रयागराज की फूलपुर सीट पर सपा ने अपने उम्मीदवार मुस्तफा सिद्दीकी को उतार दिया है, जिसे कांग्रेस चाह रही थी।
दिल्ली में AAP का अलग रास्ता
दिल्ली में भी कांग्रेस और AAP के बीच मतभेद बढ़ते नजर आ रहे हैं। हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद AAP ने यह संकेत दिया है कि वह दिल्ली विधानसभा चुनाव अकेले ही लड़ेगी। AAP के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने कहा, “AAP दिल्ली में अपने दम पर भाजपा को हराने में पूरी तरह सक्षम है और हमें किसी समर्थन या पार्टनर की जरूरत नहीं है।”
दिल्ली में AAP का यह रुख कांग्रेस के साथ गठबंधन की संभावना को कम करता है और यह दिखाता है कि INDIA ब्लॉक के अंदर मतभेद गहरे होते जा रहे हैं।
जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस का कमजोर प्रदर्शन
जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। कांग्रेस ने 38 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन वह केवल 6 सीटें जीत सकी। इसके विपरीत, उसकी सहयोगी नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 51 सीटों पर चुनाव लड़ा और 42 सीटें जीतने में सफल रही। इस असंतुलित प्रदर्शन का परिणाम यह हुआ कि कांग्रेस को जम्मू-कश्मीर सरकार में मनचाहा मंत्रालय नहीं मिला और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने निर्दलीयों की मदद से सरकार बनाई, जबकि कांग्रेस को बाहर से समर्थन देना पड़ा।
क्या कमजोर पड़ रही है INDIA ब्लॉक की एकता?
इन तमाम घटनाओं से यह स्पष्ट है कि हरियाणा और जम्मू-कश्मीर चुनावों के नतीजों ने कांग्रेस के आत्मविश्वास और गठबंधन की एकता को कमजोर कर दिया है। RJD, AAP, शिवसेना (यूबीटी) और सपा के हालिया बयानों से यह साफ है कि INDIA ब्लॉक के दलों के बीच सीट बंटवारे को लेकर असहमति बढ़ रही है।
कांग्रेस के सहयोगी दल अब खुलकर यह कह रहे हैं कि बीजेपी के साथ सीधे मुकाबले में कांग्रेस कमजोर पड़ जाती है। इन मतभेदों और तनावों से यह सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या INDIA ब्लॉक की एकता आने वाले चुनावों में बनी रह पाएगी, या फिर यह गठबंधन टूटने की कगार पर है?
निष्कर्ष
हरियाणा और जम्मू-कश्मीर चुनावों में मिली हार के बाद कांग्रेस के लिए चुनौतियां बढ़ गई हैं। INDIA ब्लॉक के अंदर बढ़ते मतभेद, RJD और AAP जैसी पार्टियों के तेवर और सीट बंटवारे को लेकर चल रही खींचतान इस बात का संकेत दे रही है कि कांग्रेस को अपने सहयोगियों के साथ बेहतर संवाद और सामंजस्य बनाना होगा।