हरियाणा में कांग्रेस की लैंडस्लाइड जीत: राहुल गांधी की लोकप्रियता या भूपिंदर हुड्डा की रणनीति?

हरियाणा में कांग्रेस की लैंडस्लाइड जीत: राहुल गांधी की लोकप्रियता या भूपिंदर हुड्डा की रणनीति?
Spread the love

हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 के एग्जिट पोल परिणामों ने भारतीय राजनीति में एक बार फिर कांग्रेस की संभावनाओं को उजागर किया है। विभिन्न चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों के अनुसार, कांग्रेस पार्टी राज्य में स्पष्ट बहुमत की ओर बढ़ती दिख रही है, और कुछ आकलनों के अनुसार, इसे लैंडस्लाइड जीत भी मिल सकती है। इस बीच, बीजेपी का वोट प्रतिशत स्थिर रहता नजर आ रहा है, जो कई राजनीतिक विशेषज्ञों के लिए हैरानी की बात है। इस जीत के पीछे कौन सी शक्तियां काम कर रही हैं? क्या यह राहुल गांधी की बढ़ती लोकप्रियता का परिणाम है या भूपिंदर हुड्डा की जबरदस्त रणनीति और जाट समुदाय पर उनकी पकड़? या फिर यह बीजेपी की राजनीतिक प्रबंधन की असफलता का नतीजा है? आइए इन पहलुओं पर गहराई से विचार करें।

कांग्रेस की जीत के संकेत: एग्जिट पोल के मुख्य बिंदु

हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए मतदान शनिवार को संपन्न हो गया और सी-वोटर के एग्जिट पोल ने कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिलता हुआ दिखाया है। एग्जिट पोल के अनुसार, कांग्रेस को 50 से 58 सीटें मिलने की संभावना है, जबकि बीजेपी 20 से 28 सीटों पर सिमट सकती है। सी-वोटर के निदेशक यशवंत देशमुख ने यह भी संभावना जताई है कि कांग्रेस लैंडस्लाइड जीत की ओर बढ़ सकती है, जिसका अर्थ है कि कांग्रेस कुल 90 सीटों में से 80 से अधिक सीटें जीत सकती है।

यह परिणाम हरियाणा की राजनीतिक स्थिति में एक बड़े बदलाव का संकेत देता है। अगर कांग्रेस इतनी बड़ी जीत हासिल करती है, तो इसका मतलब है कि हरियाणा की जनता ने बीजेपी के खिलाफ एक संगठित वोट डाला है। सवाल यह उठता है कि कांग्रेस की इतनी बड़ी जीत के पीछे कौन से कारक हैं? क्या यह राहुल गांधी का राजनीतिक मेकओवर और उनकी बढ़ती लोकप्रियता है, या फिर भूपिंदर सिंह हुड्डा और उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा की चुनावी रणनीति का परिणाम है?

राहुल गांधी की लोकप्रियता और कांग्रेस की डू-ऑर-डाई रणनीति

इसमें कोई संदेह नहीं कि पिछले कुछ वर्षों में राहुल गांधी की राजनीतिक छवि में बड़ा बदलाव आया है। जहां एक समय में उनकी राजनीति को लेकर देश का बड़ा वर्ग संदेह में था, वहीं अब राहुल गांधी की आवाज को देश के एक महत्वपूर्ण तबके द्वारा सुना जा रहा है। उनके भाषणों और रैलियों में लगातार बढ़ती भीड़ ने यह संकेत दिया है कि राहुल गांधी की लोकप्रियता नई ऊंचाइयों पर पहुंच गई है।

विशेष रूप से पिछड़े और दलित समुदायों के मुद्दों पर राहुल गांधी के मुखर होने से कांग्रेस को बहुत फायदा हुआ है। हरियाणा में भी यही पैटर्न देखने को मिला है। जब राहुल गांधी ने पिछड़ों और दलितों की दुर्दशा पर बोलना शुरू किया, तो कई लोगों ने इसे एक राजनीतिक कदम माना। लेकिन धीरे-धीरे उनकी बातों ने जनमानस पर असर डाला। हरियाणा के ऑटोमोबाइल दुकानों पर काम करने वाले दलित मैकेनिकों से लेकर छोटे व्यापारियों तक, सभी ने इस बार कांग्रेस को वोट देने की बात कही। उनके अनुसार, मोदी के मुकाबले राहुल गांधी अधिक सहानुभूतिपूर्ण और जिम्मेदार नेता नजर आए।

कांग्रेस का “संविधान बचाओ” और “आरक्षण बचाओ” का नारा भी इस बार हरियाणा विधानसभा चुनाव में काफी प्रभावी रहा। पिछली बार की तुलना में इस बार कांग्रेस ने अंतिम चरण तक पूरी ताकत झोंक दी। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने न केवल चुनाव प्रचार किया बल्कि पार्टी के आंतरिक मुद्दों को भी संभालने में पूरी तरह जुटे रहे।

हुड्डा फैमिली की ताकत: कांग्रेस की बढ़त का असली कारण?

हरियाणा में कांग्रेस की जीत का एक और महत्वपूर्ण कारक भूपिंदर सिंह हुड्डा और उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा की जबरदस्त मेहनत है। इसमें कोई शक नहीं कि हुड्डा पिता-पुत्र ने इस चुनाव में सबसे ज्यादा मेहनत की है। भूपिंदर हुड्डा ने हरियाणा के जाट बेल्ट में अपनी पकड़ को मजबूत किया और लगातार रैलियों और सभाओं के माध्यम से कांग्रेस के लिए वोट बटोरे।

हरियाणा की राजनीति लोकप्रियता पर नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर काम करने पर टिकी होती है। यहां तक कि अगर कोई नेता बहुत लोकप्रिय हो, तो भी उसे चुनाव जीतने के लिए बूथ तक वोट पहुंचाने की कला आनी चाहिए। और यह कला हुड्डा के पास बखूबी है। उनके पास मैन पावर, मनी पावर और मसल पावर तीनों हैं, जो किसी भी लोकतांत्रिक चुनाव में सबसे अहम भूमिका निभाते हैं।

2019 के चुनावों में, हुड्डा का कांग्रेस को बहुमत दिलाने का प्रयास विफल हो गया था, लेकिन इसके बाद से उन्होंने लगातार मेहनत की है। सोनिया गांधी और अन्य पार्टी नेता जानते थे कि हरियाणा में कांग्रेस की जीत हुड्डा के बिना असंभव है। हुड्डा ने इस बार साम-दाम-दंड-भेद की नीति का पूरा इस्तेमाल किया और कांग्रेस को जीत की राह पर लेकर आए।

बीजेपी का वोट प्रतिशत स्थिर: क्या है इसकी वजह?

सी-वोटर के एग्जिट पोल के आंकड़ों को ध्यान से देखने पर यह बात सामने आती है कि बीजेपी का वोट प्रतिशत कम नहीं हुआ है। दरअसल, इसमें 1 से 1.5 प्रतिशत की मामूली बढ़ोतरी भी हुई है। इसके विपरीत, कांग्रेस के वोट शेयर में करीब 7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो एक बड़ी बात है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि 5 प्रतिशत की वोट वृद्धि भी किसी पार्टी को बड़ी जीत दिला सकती है, और यहां कांग्रेस को करीब 8 प्रतिशत की बढ़त मिल रही है। लेकिन बीजेपी का वोट प्रतिशत न घटने का मतलब यह नहीं कि पार्टी को हार का सामना नहीं करना पड़ा। यह हार बीजेपी विरोधी वोटों के एकजुट होने का परिणाम है। 2014 में जो वोट इनेलो को मिले थे, और 2019 में जो वोट जेजेपी को मिले थे, वे इस बार कांग्रेस के खाते में गए हैं।

बीजेपी के राजनीतिक मैनेजमेंट की विफलता

अगर बीजेपी का वोट प्रतिशत स्थिर है, तो फिर पार्टी की असफलता का कारण क्या है? इसके पीछे मुख्य कारण बीजेपी का राजनीतिक प्रबंधन है, जो इस बार कमजोर साबित हुआ। लोकसभा चुनावों से पहले बीजेपी ने जेजेपी के साथ गठबंधन तोड़ दिया था, इस उम्मीद में कि जाट वोटों का विभाजन होगा और बीजेपी को फायदा मिलेगा। लेकिन जेजेपी ने आजाद समाज पार्टी के साथ गठबंधन किया, जिससे उसे भी कोई खास फायदा नहीं हुआ।

इसके अलावा, जेजेपी पर बीजेपी का समर्थन करने का आरोप लगा, जिससे जाट समुदाय ने उसे नकार दिया। इनेलो भी इस बार बीएसपी के साथ गठबंधन करके मैदान में थी, लेकिन जनता के बीच वह कोई जगह नहीं बना पाई। ऐसे में जाट बेल्ट में हुड्डा का प्रभाव इस कदर बढ़ गया कि बीजेपी की पकड़ कमजोर पड़ गई।

बीजेपी के लिए अंतिम उम्मीद अरविंद केजरीवाल थे, जिनकी हरियाणा में मौजूदगी से कांग्रेस का वोट बैंक कमजोर होने की संभावना थी। कुछ लोगों का आरोप था कि केजरीवाल की रिहाई भी इसी मकसद से हुई थी ताकि वे कांग्रेस के खिलाफ काम कर सकें। लेकिन, चुनाव के अंतिम चरण में केजरीवाल पूरी तरह से गायब हो गए, जिससे बीजेपी की उम्मीदें धूमिल हो गईं।

बीजेपी के राजनीतिक मैनेजमेंट की एक और कमजोरी यह रही कि जब चुनाव के लिए केवल तीन दिन बचे थे, पार्टी में शामिल हुए अशोक तंवर ने बीजेपी का साथ छोड़ दिया और कांग्रेस में शामिल हो गए। इस तरह के झटकों ने बीजेपी की स्थिति को और कमजोर कर दिया।

निष्कर्ष

हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 के एग्जिट पोल परिणामों ने यह साफ कर दिया है कि कांग्रेस की इस संभावित लैंडस्लाइड जीत के पीछे कई कारक हैं। राहुल गांधी की बढ़ती लोकप्रियता, हुड्डा परिवार की जबरदस्त मेहनत और बीजेपी का कमजोर राजनीतिक प्रबंधन सभी ने मिलकर कांग्रेस को एक बड़ी जीत दिलाने में भूमिका निभाई है। अब देखना यह होगा कि जब चुनाव परिणाम घोषित होंगे, तो क्या कांग्रेस वाकई लैंडस्लाइड जीत दर्ज करती है या फिर राजनीतिक समीकरण में कुछ बदलाव देखने को मिलते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *