नई दिल्ली। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) में बड़े सुधारों की तैयारी चल रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सरकार जल्द ही EPFO 3.0 के तहत कई नए बदलाव करने जा रही है। इन बदलावों में सबसे अहम है कर्मचारियों के अंशदान (कंट्रीब्यूशन) की 12% सीमा को खत्म करना। अगर यह प्रस्ताव लागू हो जाता है, तो कर्मचारियों के पास अपने पीएफ अकाउंट में अधिक योगदान करने का विकल्प होगा, जिससे उन्हें रिटायरमेंट के बाद अधिक पेंशन और भविष्य निधि मिल सकेगी।
क्या है EPFO 3.0 का उद्देश्य?
श्रम मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, इस बदलाव का उद्देश्य कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद अधिक सुरक्षित भविष्य प्रदान करना है। मौजूदा समय में कर्मचारियों और नियोक्ता दोनों को हर महीने अपने वेतन का 12% पीएफ खाते में जमा करना होता है। लेकिन अब सरकार इस 12% अंशदान की सीमा को खत्म करने पर विचार कर रही है, ताकि जो कर्मचारी अपनी पेंशन और भविष्य निधि में अधिक राशि जोड़ना चाहते हैं, वे ऐसा कर सकें।
अभी कितना योगदान करते हैं कर्मचारी और नियोक्ता?
वर्तमान में ईपीएफओ (EPFO) के नियमों के तहत:
- कर्मचारी को अपने वेतन का 12% हर महीने अपने पीएफ खाते में जमा करना होता है।
- नियोक्ता भी कर्मचारी के पीएफ खाते में 12% का योगदान करता है।
- इसमें से 8.33% राशि पेंशन स्कीम अकाउंट में जाती है।
- जबकि 3.67% राशि हर महीने पीएफ खाते में जमा होती है।
15,000 रुपये है अधिकतम सीमा
मौजूदा नियमों के अनुसार, जिन कर्मचारियों ने 1 सितंबर 2014 के बाद नौकरी ज्वाइन की है, उनके पेंशन फंड में अधिकतम 15,000 रुपये तक ही अंशदान किया जा सकता है।
बदलाव का असर: कर्मचारियों को होगा अधिक लाभ
अगर यह बदलाव लागू होता है तो कर्मचारियों को अपनी सेलरी का बड़ा हिस्सा पीएफ में जमा करने का विकल्प मिलेगा।
- इससे उनकी रिटायरमेंट फंड में बढ़ोतरी होगी।
- ब्याज दर के आधार पर उनका पीएफ बैलेंस अधिक तेजी से बढ़ेगा।
- रिटायरमेंट के बाद उन्हें अधिक पेंशन और भविष्य निधि मिलेगी।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस बदलाव से देश के करीब 6.7 करोड़ कर्मचारियों को फायदा होगा।
नियोक्ताओं पर नहीं पड़ेगा असर
यह बदलाव केवल कर्मचारियों के अंशदान पर लागू होगा।
- नियोक्ताओं के लिए 12% अंशदान की सीमा यथावत रहेगी।
- इससे नियोक्ताओं पर कोई अतिरिक्त वित्तीय बोझ नहीं पड़ेगा।
सरकार का उद्देश्य है कि कर्मचारी अपनी बचत बढ़ाएं और भविष्य में आर्थिक रूप से सुरक्षित रहें।
पीएफ से एटीएम के जरिए निकासी का भी हो सकता है विकल्प
EPFO 3.0 के तहत सरकार एक और बड़ा बदलाव करने की योजना बना रही है।
- पीएफ खाते से एटीएम के जरिए निकासी का विकल्प भी जोड़ा जा सकता है।
- इससे कर्मचारियों को इमरजेंसी में अपने पीएफ फंड का उपयोग करने में आसानी होगी।
इक्विटी में निवेश का भी हो सकता है विकल्प
पीएफ फंड के लिए इक्विटी मार्केट में निवेश करने का विकल्प भी दिया जा सकता है।
- इससे कर्मचारियों को अधिक रिटर्न मिलने की संभावना बढ़ जाएगी।
- हालांकि, इक्विटी में निवेश के साथ जोखिम भी जुड़े होते हैं, लेकिन सरकार इस पर संतुलित नीति तैयार करने पर काम कर रही है।
ब्याज दर का क्या होगा असर?
वर्तमान में ईपीएफओ अपने सदस्यों को एक निर्धारित ब्याज दर प्रदान करता है।
- यह ब्याज दर हर साल समीक्षा की जाती है।
- अधिक योगदान के बाद कर्मचारियों को अधिक ब्याज मिलेगा, जिससे उनका पीएफ बैलेंस तेजी से बढ़ेगा।
क्यों जरूरी है यह बदलाव?
सरकार के इस कदम के पीछे कई कारण हैं:
- रिटायरमेंट के बाद आर्थिक सुरक्षा:
अधिक पीएफ योगदान से कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद वित्तीय सुरक्षा मिलेगी। - लंबे समय तक नौकरी करने वालों को फायदा:
जो कर्मचारी लंबे समय तक एक ही कंपनी में काम करते हैं, उन्हें इस बदलाव से अधिक पेंशन और भविष्य निधि का लाभ मिलेगा। - बचत को बढ़ावा:
सरकार चाहती है कि कर्मचारी अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा बचाएं और इसे पीएफ में निवेश करें।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
वित्तीय विशेषज्ञों का मानना है कि यह बदलाव कर्मचारियों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
- इससे उनकी सेवानिवृत्ति के बाद की वित्तीय स्थिति मजबूत होगी।
- हालांकि, विशेषज्ञों ने यह भी सुझाव दिया है कि सरकार को इक्विटी निवेश और ब्याज दर को लेकर स्पष्ट दिशानिर्देश देने चाहिए ताकि कर्मचारियों को जोखिम से बचाया जा सके।
सरकार कब तक कर सकती है घोषणा?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार जल्द ही EPFO 3.0 के तहत इन बदलावों की आधिकारिक घोषणा कर सकती है।
- श्रम मंत्रालय इस पर अंतिम निर्णय लेने के लिए अधिकारियों और विशेषज्ञों के साथ परामर्श कर रहा है।
निष्कर्ष
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) में प्रस्तावित बदलाव कर्मचारियों के लिए आर्थिक रूप से बेहद फायदेमंद साबित हो सकते हैं।
- 12% अंशदान की सीमा खत्म होने से उन्हें अधिक बचत और बेहतर रिटायरमेंट फंड मिलेगा।
- एटीएम निकासी और इक्विटी निवेश जैसे विकल्पों से उनकी वित्तीय पहुंच और रिटर्न में भी सुधार होगा।
यह बदलाव न केवल कर्मचारियों को आर्थिक रूप से सशक्त करेगा, बल्कि देश में बचत और निवेश को भी बढ़ावा देगा। अब देखना यह है कि सरकार इस बदलाव को कब और कैसे लागू करती है।