पानीपत का शौर्य दिवस: एकता में है शक्ति, फडणवीस ने मराठा शौर्य की दी श्रद्धांजलि

पानीपत का शौर्य दिवस: एकता में है शक्ति, फडणवीस ने मराठा शौर्य की दी श्रद्धांजलि
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पानीपत में शौर्य दिवस समारोह: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने जताया मराठा वीरता पर गर्व

पानीपत में 14 जनवरी को हर वर्ष मनाए जाने वाले “शौर्य दिवस” के अवसर पर, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने काला आंब शौर्य स्थल पर वीरों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए शौर्य दिवस समारोह का मुख्य आंगन सजा दिया। इस ऐतिहासिक दिन का उद्देश्य पानीपत के तीसरे युद्ध (1761) के शौर्य और अद्भुत संघर्ष के संकल्प को याद करना था, जहां मराठा सैनिकों ने भारत की धार्मिक स्वतंत्रता और संस्कृति के रक्षार्थ अपने प्राणों की आहुति दी।

यह युद्ध मराठा साम्राज्य और अफगान आक्रांता अहमद शाह अब्दाली के बीच लड़ा गया था, जिसमें मराठा सेना को तो निर्णायक जीत नहीं मिली, लेकिन उन्होंने अब्दाली की सेना को गहरे घाव दिए थे। इस संघर्ष का आकलन करते हुए मुख्यमंत्री फडणवीस ने श्रद्धांजलि अर्पित की और मराठा वीरता को नमन किया। समारोह का आयोजन शौर्य स्थल काला आंब पर हुआ था, जो कि इस युद्ध के अद्वितीय बहादुरी की धरोहर को संभालता है।

शौर्य दिवस की प्रमुख धारा और पृष्ठभूमि

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में आयोजित इस शौर्य दिवस समारोह का आयोजन बेहद भव्य रूप से हुआ। कार्यक्रम स्थल, शौर्य स्थल काला आंब, भारत की एकता, अखंडता, और वीरता का प्रतीक बन चुका है। इस ऐतिहासिक स्थल पर हर साल की तरह उत्साह और जोश था, जिसमें मराठा साम्राज्य की अद्वितीय शौर्य गाथाओं को पुनः जीने का प्रयास किया गया। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण “एक हैं तो सेफ हैं” का अनुसरण करते हुए वक्तव्य दिया कि तब यदि उत्तर भारत के शासक मराठों के साथ होते, तो पानीपत का युद्ध कभी नहीं होता।

मंत्री ने आगे कहा कि तब के समय में भारत की बहु-राष्ट्रीय और विभिन्न जाति-धर्मीय समाज ने अपार संघर्ष दिखाया था और युद्ध के दौरान मराठों की विजय एक अविस्मरणीय युद्ध है। लेकिन 14 जनवरी 1761 के बाद एक भयावह घटना घटित हुई, जो मराठा सेना को निर्णायक जीत की ओर ले जाती दिख रही थी, परंतु अचानक दुश्मन की रणनीति ने युद्ध का रुख बदल दिया।

कला और युद्ध कौशल के दर्शन

इस शौर्य दिवस के समारोह में महाराष्ट्र से आए वीर एवं वीरांगनाओं ने अपने अद्वितीय युद्ध कौशल का प्रदर्शन किया। दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने वाली ये प्रदर्शनियाँ निश्चित रूप से इतिहास के रंगों से भरी हुई थीं। पहले से सोची-समझी योजना से युद्ध के विभिन्न अंगों की अद्भुत महत्ता को मंच पर उजागर किया गया।

“जय शिवाजी” और “जय भवानी” के उद्घोष के साथ स्थल की गूंज ने एक अभूतपूर्व सांस्कृतिक उत्सव का रूप ले लिया। इस दौरान नागरिकों और विभिन्न समाजों का उत्साह स्पष्ट रूप से देखने को मिला। यह सिर्फ एक समर्पण दिन नहीं था, बल्कि भारत की संगठित और अडिग संस्कृति की महत्वपूर्ण परीक्षा की गवाही थी।

मुख्यमंत्री का संदेश और भविष्य का दृष्टिकोण

मुख्यमंत्री फडणवीस ने मराठा सम्राट छत्रपति शिवाजी महाराज के शौर्य का उद्घाटन करते हुए शौर्य दिवस पर व्याख्यान दिया। उन्होंने पानीपत युद्ध की ऐतिहासिक विशेषताओं पर जोर देते हुए कहा कि भारत की अखंडता और सुरक्षा देश के प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2047 तक एक समृद्ध और विकसित भारत बनाने के दृष्टिकोण को पुनः साझा किया। मुख्यमंत्री ने कहा,

“हम सभी को समझना चाहिए कि अगर उस समय के शासक मराठों के साथ होते, तो आज भारत कहीं अधिक मजबूत होता। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में, हम इस एकता और ताकत को फिर से प्राप्त करने के लिए कार्य कर रहे हैं।”

मुख्यमंत्री ने इस विचार को भी साझा किया कि 2047 तक भारत को एक सशक्त और प्रमुख राष्ट्र बनाने के लिए हम सभी को एकजुट रहकर कार्य करना होगा।

शौर्य स्मारक ट्रस्ट की दीर्घकालिक योजना

कार्यक्रम में शौर्य स्मारक ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रदीप पाटील ने इस कार्यक्रम के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने काला आंब शौर्य स्थल के विकास के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाने की बात की, साथ ही उन्होंने यह प्रस्ताव भी रखा कि इस स्थल पर 10 एकड़ अतिरिक्त भूमि उपलब्ध कराई जाए, ताकि मराठा युद्ध इतिहास और उनकी वीरता की योजना को विस्तार से लोगों तक पहुँचाया जा सके।

इसके साथ ही उन्होंने इस स्मारक की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक भूमि के संरक्षण के लिए प्राधिकृत संस्थाओं से सहयोग की अपील की।

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उपसंहार और महत्त्वपूर्ण विचार

पानीपत के शौर्य दिवस का यह आयोजन मराठा इतिहास की गौरवमयी क्षणों का स्मरण था। महासंघ के तौर पर भारतीय एकता और सामूहिक संघर्ष की महत्वपूर्ण परिभाषा प्रदान करता यह युद्ध आज भी भारत के दिलो-दिमाग में गहराई से रचा हुआ है। मराठों की बहादुरी को न केवल याद किया गया, बल्कि भविष्य के भारत के दृष्टिकोण के विकास में उस आदर्श को निरंतर ज़िंदा रखने की प्रेरणा दी गई।

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का यह स्पष्ट संदेश था कि भारतीय समाज की ऐतिहासिक मंथन की भूमि से हर नागरिक को एकता, अखंडता, और सुरक्षा के लिए जिम्मेदारी लेने का संदेश प्राप्त होना चाहिए। जो मराठों की दृढ संकल्पना और देशप्रेम की विरासत से हर नागरिक में अद्वितीय भावना का जागरण करें, यह ‘शौर्य दिवस’ उनका उत्सव और अन्वेषण है।

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