रिपोर्टर: संजय शर्मा, विशेष रिपोर्ट | स्रोत: आजतक
नई दिल्ली/इस्लामाबाद:
भारत के हालिया सख्त तेवरों और पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान में डर का माहौल गहरा गया है। भारत द्वारा सिंधु जल संधि को निलंबित करने के फैसले के बाद पाकिस्तान ने भी भारत के साथ सभी प्रकार के व्यापार को स्थगित कर दिया है। इसके चलते अब पाकिस्तान अपनी दवा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए चीन, रूस और यूरोपीय देशों से वैकल्पिक स्रोत खोजने पर मजबूर हो गया है।
पाकिस्तान की फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री, जो अब तक 30% से 40% दवा निर्माण के कच्चे माल के लिए भारत पर निर्भर थी, अचानक सप्लाई चेन बाधित होने के खतरे से जूझ रही है। एंटी-रेबीज टीकों से लेकर एंटी-स्नेक वेनम, कैंसर उपचार और मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज जैसी महत्वपूर्ण दवाओं की आपूर्ति पर संकट मंडराने लगा है।
भारत से आयात बंद, अब तलाश नए विकल्पों की
पाकिस्तान की ड्रग रेगुलेटरी अथॉरिटी (DRAP) के अनुसार, अभी तक भारत से दवाइयों पर प्रतिबंध के संबंध में कोई औपचारिक अधिसूचना जारी नहीं हुई है। बावजूद इसके, पाकिस्तान सरकार ने आपातकालीन योजना लागू कर दी है ताकि दवाओं की कमी न होने पाए। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “2019 के संकट के बाद हमने आपातकालीन तैयारियां शुरू कर दी थीं। अब वही योजना अमल में लाई जा रही है।”
स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के मुताबिक, भारत से दवा आयात पर अनिश्चितता के चलते पाकिस्तान अब चीन, रूस और यूरोपियन बाजारों से वैकल्पिक स्रोत तलाश रहा है। परंतु विशेषज्ञों का कहना है कि इन देशों से आयात में समय भी अधिक लगेगा और लागत भी।
फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री में गहरी चिंता
पाकिस्तान की फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री के अंदरूनी सूत्रों ने आगाह किया है कि यदि त्वरित उपाय नहीं किए गए, तो देश को दवा संकट का सामना करना पड़ सकता है। एक वरिष्ठ फार्मा अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “भारत से 30-40% कच्चा माल और तैयार दवाइयाँ आती हैं। अब यदि भारत से आपूर्ति बंद हो गई, तो कैंसर, रेबीज जैसी घातक बीमारियों के इलाज पर गंभीर असर पड़ेगा।”
सूत्रों के अनुसार, भारत से मुख्य रूप से निम्नलिखित दवाइयाँ और कच्चा माल पाकिस्तान मंगाता था:
- एंटी-रेबीज वैक्सीन
- एंटी-स्नेक वेनम
- कैंसर रोधी दवाइयाँ
- मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज
- विभिन्न बायोलॉजिकल उत्पाद और API (Active Pharmaceutical Ingredients)
इन दवाओं के बिना पाकिस्तान की स्वास्थ्य प्रणाली पर बड़ा संकट खड़ा हो सकता है, विशेषकर जब देश पहले से ही आर्थिक तंगी से जूझ रहा है।
आपातकालीन स्टॉकिंग शुरू
पाकिस्तान सरकार ने देशभर के अस्पतालों और दवा भंडारों को आवश्यक दवाइयों का स्टॉक बढ़ाने का निर्देश दिया है। इसके तहत राष्ट्रीय और प्रांतीय स्वास्थ्य विभागों को दो-तीन महीने की जरूरी दवाइयाँ पहले से स्टोर करने के आदेश दिए गए हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि यदि हालात जल्द नहीं सुधरे, तो अस्पतालों में कैंसर, स्नेक बाइट और रेबीज जैसे मामलों के इलाज में भारी दिक्कत आ सकती है।
पाकिस्तान के लिए चुनौतीपूर्ण समय
एक वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा, “भारत जैसे विशाल फार्मा उत्पादक देश से आपूर्ति रुकना पाकिस्तान के लिए बड़ी चुनौती बन सकती है। चीन और रूस से दवाइयाँ मंगवाने का समय अधिक लगेगा और वहां के गुणवत्ता मानक भी अलग हैं, जिससे रोगियों की जान पर खतरा मंडरा सकता है।”
इस संकट से बचने के लिए पाकिस्तान सरकार अब कोशिश कर रही है कि भारत के स्थान पर त्वरित रूप से दूसरे देशों से सप्लाई लाइन तैयार हो सके। मगर विशेषज्ञों के अनुसार, यह इतनी जल्दी संभव नहीं है।
पहलगाम हमले ने बढ़ाई दरार
गौरतलब है कि 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में एक भीषण आतंकी हमला हुआ था, जिसमें 26 लोग घायल हो गए थे, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे। यह हमला पुलवामा के बाद कश्मीर में सबसे बड़ा आतंकी हमला माना जा रहा है।
इस हमले की जिम्मेदारी पहले लश्कर-ए-तैयबा के प्रॉक्सी संगठन ‘द रेसिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) ने ली थी, लेकिन बाद में उसने अपना बयान वापस ले लिया। भारत सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि इस हमले में शामिल आतंकियों और उनके सरपरस्तों को सख्त से सख्त सजा दी जाएगी।
भारत का कड़ा संदेश
भारत द्वारा सिंधु जल संधि को निलंबित करने और व्यापार बंद करने का निर्णय पाकिस्तान के खिलाफ एक मजबूत कूटनीतिक संदेश के तौर पर देखा जा रहा है। भारत अब उन आतंकियों और उनके आकाओं के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करने की रणनीति पर काम कर रहा है, जो कश्मीर घाटी में माहौल खराब करने की कोशिश कर रहे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार भारत केवल सख्त बयानों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि जमीनी स्तर पर ठोस कार्रवाई देखने को मिलेगी।
पाकिस्तान का भविष्य संकट में
भारत के इस आक्रामक रुख ने पाकिस्तान को हिला दिया है। जहां एक ओर आतंकवाद को लेकर अंतरराष्ट्रीय दबाव झेल रहा है, वहीं घरेलू स्तर पर दवाइयों की कमी और आपातकालीन हालात से निपटना उसके लिए बड़ी चुनौती बन गई है।
यदि पाकिस्तान जल्दी कोई स्थायी समाधान नहीं निकालता, तो आने वाले दिनों में न केवल स्वास्थ्य सेवाएं बल्कि समूची अर्थव्यवस्था भी प्रभावित हो सकती है।
निष्कर्ष
भारत के सख्त रुख के सामने पाकिस्तान की कमजोर तैयारी उजागर हो गई है। दवाइयों जैसी मूलभूत आवश्यकताओं के लिए भी उसे अब दूसरे देशों का सहारा लेना पड़ रहा है। आने वाले दिन पाकिस्तान के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण साबित हो सकते हैं। भारत के एक्शन से उपजा यह डर पाकिस्तान के नाजुक हालात को और भी बेनकाब कर रहा है।