शिमला में मस्जिद विवाद पर उग्र प्रदर्शन: पुलिस से झड़प, लाठीचार्ज और पानी की बौछार

शिमला में मस्जिद विवाद पर उग्र प्रदर्शन: पुलिस से झड़प, लाठीचार्ज और पानी की बौछार
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शिमला का संजौली इलाका, जो आमतौर पर अपनी शांतिपूर्ण जीवनशैली के लिए जाना जाता है, अब एक बड़े सांप्रदायिक विवाद का केंद्र बन गया है। मस्जिद के अवैध निर्माण को लेकर हिंदू संगठनों और स्थानीय निवासियों ने विरोध प्रदर्शन किया, जिसके परिणामस्वरूप पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच गंभीर टकराव हुआ।

मस्जिद के विस्तार पर विवाद: कब और कैसे शुरू हुआ?

संजौली इलाके में स्थित मस्जिद का विवाद 2007 में शुरू हुआ, जब मस्जिद के विस्तार के लिए निर्माण कार्य किया गया। 2010 में इस निर्माण को अवैध घोषित करते हुए इस पर मामला दर्ज किया गया था। इसके बावजूद, मस्जिद पर चार नई मंजिलें बनाई गईं, जो इसे पांच मंजिला बना दिया। नगर निगम द्वारा इस मामले की 44 बार सुनवाई की गई, लेकिन कोई ठोस समाधान नहीं निकला। इस विवाद ने तब और जोर पकड़ा जब कुछ स्थानीय लोगों ने दावा किया कि मस्जिद का विस्तार उनकी जमीन पर किया जा रहा है। इस दावे के बाद दो समुदायों के बीच तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई, और मस्जिद का मुद्दा स्थानीय राजनीति और सामाजिक चर्चा का केंद्र बन गया।

हिंदू संगठनों का उग्र प्रदर्शन: पुलिस के साथ झड़प

बुधवार को, हिंदू संगठनों और स्थानीय निवासियों ने मस्जिद परिसर में अवैध निर्माण के खिलाफ 5:30 घंटे तक विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी मस्जिद की ओर मार्च करते हुए नारेबाजी कर रहे थे, “हिमाचल ने ठाना है, देवभूमि को बचाना है” और “भारत माता की जय।” जब पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए बैरिकेडिंग की, तो प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेड्स तोड़ दिए और आगे बढ़ने लगे। स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए पुलिस ने वाटर कैनन का उपयोग किया और लाठीचार्ज किया, जिससे प्रदर्शनकारी तितर-बितर हो गए। इस विरोध प्रदर्शन ने शिमला के शांतिपूर्ण वातावरण को हिलाकर रख दिया और स्थानीय प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी।

विवाद पर मुख्यमंत्री का बयान: कानून का पालन अनिवार्य

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस विवाद पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि लोगों को विरोध करने का अधिकार है, लेकिन उन्हें शांतिपूर्ण ढंग से और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाए बिना अपना विरोध जताना चाहिए। मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि संजौली मस्जिद में कथित अवैध निर्माण के मामले की सुनवाई स्थानीय नगरपालिका अदालत कर रही है, और कानून अपना काम करेगा। मुख्यमंत्री का यह बयान प्रदर्शनकारियों को शांत करने के लिए था, लेकिन उन्होंने यह भी संकेत दिया कि सरकार इस मुद्दे पर किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं बरतेगी।

मस्जिद विवाद पर कांग्रेस नेताओं की प्रतिक्रियाएं

हिमाचल प्रदेश सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने मस्जिद के निर्माण को अवैध बताया और इसके खिलाफ जांच की मांग की। उन्होंने आरोप लगाया कि बिना मंजूरी के निर्माण शुरू किया गया, और यह एक अवैध ढांचा है। उन्होंने कहा, “पहले एक मंजिल बनाई गई, फिर बाकी मंजिलें बनाई गईं। संजौली बाजार में महिलाओं का चलना मुश्किल हो गया है। चोरियां हो रही हैं, झगड़े हो रहे हैं, और लव जिहाद एक गंभीर मुद्दा है जिस पर ध्यान देने की जरूरत है।” अनिरुद्ध सिंह के इस बयान ने कांग्रेस के अंदर ही विवाद को जन्म दे दिया। कांग्रेस विधायक हरीश जनारथा ने इस बयान का विरोध किया और कहा कि इलाके में कोई तनाव नहीं है। उन्होंने कहा कि मस्जिद मूल रूप से 1960 से पहले बनाई गई थी और 2010 में वक्फ बोर्ड की जमीन पर तीन अतिरिक्त मंजिलें अवैध रूप से जोड़ी गईं।

मस्जिद विवाद पर असदुद्दीन ओवैसी की प्रतिक्रिया

हैदराबाद के सांसद और एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी अनिरुद्ध सिंह के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने अपने एक्स (पूर्व में ट्विटर) हैंडल से अनिरुद्ध सिंह के भाषण का वीडियो शेयर करते हुए लिखा, “हिमाचल की मोहब्बत की दुकान में सिर्फ नफरत है! इस वीडियो में हिमाचल के मंत्री बीजेपी की भाषा बोल रहे हैं।” ओवैसी का यह बयान कांग्रेस के लिए एक बड़ा सिरदर्द बन गया, क्योंकि इससे यह संकेत मिलता है कि कांग्रेस के अंदर ही मतभेद बढ़ रहे हैं।

विक्रमादित्य सिंह ने दी ओवैसी को सलाह: न करें मुद्दे का राजनीतिकरण

हिमाचल प्रदेश के शहरी विकास और पीडब्ल्यूडी मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने ओवैसी के बयान का जवाब देते हुए कहा कि मस्जिद के मामले में हर कार्रवाई कानून के मुताबिक की जाएगी। उन्होंने ओवैसी को सलाह दी कि वे इस मुद्दे का राजनीतिकरण न करें। विक्रमादित्य सिंह ने लिखा, “हिमाचल प्रदेश में कानून का राज है और यहां हर कार्य कानून के मुताबिक होता है। यहां सांप्रदायिकता के लिए कोई जगह नहीं है।”

अल्पसंख्यक समुदाय और हिंदू संगठनों के बीच तनाव

30 अगस्त को अल्पसंख्यक समुदाय के आधा दर्जन लोगों ने कथित तौर पर मल्याणा इलाके में व्यापारी यशपाल सिंह और कुछ अन्य पर रॉड और लाठियों से हमला किया, जिसमें से चार घायल हो गए। इस घटना ने हिंदू संगठनों को और अधिक आक्रोशित कर दिया, और उन्होंने मस्जिद के अवैध निर्माण को गिराने की मांग करते हुए बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू किया। इस हमले के बाद संजौली मस्जिद विवाद और अधिक गंभीर हो गया, और यह साफ हो गया कि इस मामले में सांप्रदायिक तनाव और बढ़ सकता है।

क्या कहती है शिमला की स्थानीय जनता?

शिमला की स्थानीय जनता इस पूरे विवाद को लेकर चिंतित है। उनका कहना है कि यह विवाद शिमला की शांति और सौहार्द्र को नुकसान पहुंचा सकता है। कई स्थानीय लोग मानते हैं कि मस्जिद के निर्माण को लेकर जो विवाद उत्पन्न हुआ है, वह राजनीतिक दलों द्वारा अपने स्वार्थों के लिए भड़काया गया है। कुछ लोगों का कहना है कि इस विवाद को शांतिपूर्ण तरीके से हल किया जाना चाहिए, ताकि शिमला की समृद्धि और विकास पर कोई नकारात्मक असर न पड़े।

निष्कर्ष: शिमला में मस्जिद विवाद का क्या होगा भविष्य?

शिमला में संजौली मस्जिद विवाद एक गंभीर मसला बन चुका है, जो न केवल स्थानीय राजनीति बल्कि राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा का विषय बन गया है। इस विवाद में जहां हिंदू संगठनों और स्थानीय निवासियों का विरोध प्रदर्शन जारी है, वहीं राज्य सरकार ने कानून के अनुसार कार्रवाई का आश्वासन दिया है। अब देखना होगा कि यह विवाद किस दिशा में जाता है और क्या इसे शांतिपूर्ण ढंग से हल किया जा सकता है। इस विवाद का समाधान जल्द न हुआ तो यह शिमला की शांति और समृद्धि के लिए गंभीर खतरा बन सकता है।

क्या शिमला अपनी शांति बनाए रख पाएगा?

शिमला का यह विवाद सिर्फ एक मस्जिद का नहीं है, बल्कि यह राज्य की सामाजिक और राजनीतिक संरचना को प्रभावित कर सकता है। अगर इसे सही समय पर हल नहीं किया गया, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। शिमला को एक बार फिर अपनी शांतिपूर्ण पहचान को बचाने के लिए कठिनाईयों का सामना करना पड़ सकता है।

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