मध्य प्रदेश के दमोह जिले के पटना गांव में शुक्रवार दोपहर को एक दिल दहला देने वाली घटना घटी। एक 35 वर्षीय शख्स ने अपनी पत्नी और 6 महीने की बेटी को कुल्हाड़ी से काट डाला और फिर उसी कमरे में फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली। यह घटना हिंडोरिया पुलिस थाना क्षेत्र में हुई।
आरोपी था मानसिक अवसाद से ग्रस्त
पुलिस के अनुसार, आरोपी मनोज पटेल लंबे समय से मानसिक अवसाद से जूझ रहा था और उसका इलाज चल रहा था। घटना के समय घर के अन्य सदस्य दूसरे कमरों में मौजूद थे, जबकि दंपति की दो और चार साल की बेटियाँ घर के बाहर खेल रही थीं, जिससे वे इस त्रासदी से बच गईं।
घटना का विवरण
हिंडोरिया पुलिस थाना प्रभारी अमित गौतम ने बताया कि मनोज पटेल ने अपनी 25 वर्षीय पत्नी सोनम पटेल और उनकी छह महीने की बेटी की कुल्हाड़ी से हत्या कर दी। हत्या के बाद उसने उसी कमरे में फांसी लगा ली। पुलिस अधिकारी ने बताया कि परिवार के अन्य सदस्य घटना के समय घर के अन्य हिस्सों में थे और बच्चों की खेल की वजह से वे इस भयानक घटना से बच गए।
पुलिस की कार्यवाही
हत्या और आत्महत्या की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस ने शवों को पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भेज दिया और मामले की जांच शुरू कर दी है। पुलिस ने बताया कि इस घटना के पीछे मानसिक अवसाद प्रमुख कारण हो सकता है, क्योंकि मनोज पटेल का लंबे समय से इलाज चल रहा था और वह मानसिक रूप से परेशान था।
घटना के बाद का माहौल
इस हृदयविदारक घटना के बाद गांव में शोक और स्तब्धता का माहौल है। ग्रामीणों ने बताया कि मनोज पटेल एक शांत स्वभाव का व्यक्ति था, लेकिन पिछले कुछ समय से वह मानसिक रूप से अस्वस्थ चल रहा था। इस घटना ने पूरे गांव को हिला कर रख दिया है और लोग समझ नहीं पा रहे हैं कि आखिर ऐसी कौन सी स्थिति बनी जिससे मनोज ने इतना बड़ा कदम उठा लिया।
परिवार पर प्रभाव
इस घटना का सबसे बड़ा असर मनोज और सोनम की बची हुई बेटियों पर पड़ा है। वे अब अनाथ हो गई हैं और उनके जीवन पर इस घटना का गहरा प्रभाव पड़ेगा। ग्रामीणों और परिजनों का कहना है कि वे अब इन बच्चियों की देखभाल करेंगे और उन्हें इस त्रासदी से उबरने में मदद करेंगे।
मानसिक स्वास्थ्य की समस्या
यह घटना मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के प्रति जागरूकता की कमी को भी उजागर करती है। विशेषज्ञों का कहना है कि मानसिक अवसाद जैसी समस्याओं को गंभीरता से लेना आवश्यक है और समय रहते उचित उपचार एवं सहयोग मिलना चाहिए।
घटना की सामाजिक प्रतिक्रिया
इस घटना के बाद सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य संगठनों ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि समाज में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है ताकि ऐसे दुखद घटनाओं को रोका जा सके।
दमोह की इस हृदयविदारक घटना ने समाज को झकझोर कर रख दिया है। यह घटना मानसिक स्वास्थ्य की गंभीरता को समझने और इससे संबंधित समस्याओं को समय पर पहचानने और उनका उचित उपचार करने की आवश्यकता को स्पष्ट करती है। पुलिस द्वारा की जा रही जांच से और भी तथ्य सामने आ सकते हैं, जो इस घटना की तह तक पहुंचने में मदद करेंगे।
इस घटना ने मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को एक बार फिर उजागर किया है और यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। समाज को मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होना होगा और समय रहते समस्याओं का समाधान करना होगा, ताकि किसी भी परिवार को इस तरह की दुखद त्रासदी का सामना न करना पड़े।