महाराष्ट्र-हरियाणा में हार के बाद CWC की बैठक: ‘खड़गे जी, एक्शन लीजिए…’ राहुल गांधी का खुला संदेश

महाराष्ट्र-हरियाणा में हार के बाद CWC की बैठक: 'खड़गे जी, एक्शन लीजिए...' राहुल गांधी का खुला संदेश
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नई दिल्ली: महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की महत्वपूर्ण बैठक शुक्रवार को दिल्ली में हुई। बैठक के दौरान पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अब समय आ गया है कि पार्टी कठोर निर्णय ले और जवाबदेही तय की जाए। इस दौरान कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने ईवीएम पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह चुनावी प्रक्रिया को संदिग्ध बना रही है।

राहुल गांधी ने की कार्रवाई की मांग

बैठक के दौरान राहुल गांधी ने पार्टी में सुधार और सख्त कदम उठाने की बात की। उन्होंने खड़गे से कहा,

“खड़गे जी, अब एक्शन लीजिए।”

राहुल का यह बयान तब आया जब पार्टी की हार के बाद नेताओं की जवाबदेही तय करने पर चर्चा हो रही थी। उन्होंने संकेत दिया कि अब सिर्फ बातों से काम नहीं चलेगा, बल्कि जमीनी स्तर पर ठोस कदम उठाने होंगे।

खड़गे का दो-टूक संदेश: अब जिम्मेदारी तय होगी

पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी हार की जिम्मेदारी लेते हुए नेताओं को कठोर निर्णय के लिए तैयार रहने को कहा। उन्होंने कहा:

“चुनावी हार के मद्देनजर हमें कठोर निर्णय लेने होंगे और जवाबदेही तय करनी होगी।”

उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी के नेताओं को चुनाव परिणामों से सबक लेना होगा और यह सोचना होगा कि आखिर क्यों कांग्रेस बार-बार हार का सामना कर रही है।

ईवीएम पर फिर उठाए सवाल, कांग्रेस का देशव्यापी आंदोलन का ऐलान

बैठक में ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) को लेकर भी गहरी चिंता जताई गई। खड़गे ने कहा कि

“ईवीएम ने चुनावी प्रक्रिया को संदिग्ध बना दिया है।”

उन्होंने निर्वाचन आयोग से स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने की मांग की। खड़गे ने कहा कि कांग्रेस जल्द ही ईवीएम के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन करेगी।

इस पर पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि कांग्रेस इस मुद्दे को ‘इंडिया’ गठबंधन के सहयोगी दलों के साथ मिलकर उठाएगी।

आपसी बयानबाजी से हुआ नुकसान: खड़गे ने किया नेताओं को आगाह

पार्टी के भीतर कलह पर खड़गे ने सख्त रुख अपनाया। उन्होंने कहा कि

“हमारी सबसे बड़ी समस्या आपसी एकता की कमी है। एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी हमें भारी नुकसान पहुंचा रही है।”

उन्होंने नेताओं को आपसी मतभेद भुलाकर एकजुट होकर काम करने की सलाह दी और कहा कि जब तक पार्टी एकजुट होकर चुनाव नहीं लड़ेगी, तब तक विपक्षियों को हराना मुश्किल होगा।

हार के बावजूद माहौल पक्ष में था, लेकिन नतीजे नहीं बदले

महाराष्ट्र चुनाव को लेकर खड़गे ने कहा कि

“लोकसभा चुनावों से छह महीने पहले माहौल हमारे पक्ष में था। लेकिन केवल माहौल होने से जीत की गारंटी नहीं मिलती। हमें माहौल को नतीजों में बदलना सीखना होगा।”

उन्होंने जोर दिया कि पार्टी को बूथ स्तर पर संगठन को मजबूत करना होगा और चुनाव की शुरुआत से लेकर मतगणना तक हर स्तर पर सावधान रहना होगा।

चिदंबरम ने किया ईवीएम का समर्थन

जब ईवीएम पर सवाल उठाए जा रहे थे, तब वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने ईवीएम के पक्ष में बात की। उन्होंने कहा कि पार्टी को चुनाव हारने के लिए ईवीएम को जिम्मेदार ठहराने के बजाय अपनी रणनीतिक कमजोरियों को सुधारना चाहिए।

हालांकि, अन्य नेताओं ने खड़गे के रुख का समर्थन किया और कहा कि चुनाव में अनियमितताएं हुई हैं, जिन पर ध्यान देना जरूरी है।

महाराष्ट्र-हरियाणा के नतीजों पर कांग्रेस की चिंता

कांग्रेस महासचिव सी वेणुगोपाल ने कहा कि महाराष्ट्र और हरियाणा में चुनावी नतीजे आश्चर्यजनक रहे।

“महाराष्ट्र के नतीजे सामान्य समझ से परे हैं। यह लक्षित हेरफेर का मामला प्रतीत होता है।”

हरियाणा में भी पार्टी के खराब प्रदर्शन पर चर्चा हुई। CWC के प्रस्ताव में कहा गया कि

“हरियाणा में कांग्रेस का प्रदर्शन सभी अपेक्षाओं के विपरीत रहा है। चुनाव में गड़बड़ियां हुई हैं, जिन्होंने नतीजों को प्रभावित किया है।”

महागठबंधन (MVA) की हार ने चौंकाया

महाराष्ट्र में कांग्रेस और उसके सहयोगी शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (शरद पवार गुट) का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा।

  • कांग्रेस ने 88 सीटों वाली विधानसभा में केवल 16 सीटें जीतीं।
  • शिवसेना (यूबीटी) को 20 सीटें मिलीं, जबकि एनसीपी को 10 सीटें

सीडब्ल्यूसी ने कहा कि पार्टी जल्द ही राज्यवार समीक्षा करेगी और आवश्यक कदम उठाएगी।

आंदोलन और रैलियों की होगी तैयारी

बैठक के अंत में यह फैसला हुआ कि कांग्रेस ईवीएम, चुनावी गड़बड़ियों, और बढ़ती बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर देशव्यापी आंदोलन करेगी। इस आंदोलन में ‘इंडिया’ गठबंधन के सहयोगी दल भी शामिल होंगे।

पार्टी ने यह भी तय किया कि

“हमारा नैरेटिव सामाजिक न्याय, आरक्षण, और आर्थिक असमानता के खिलाफ होगा। हमें जनता को यह दिखाना होगा कि कांग्रेस ही असली प्रतिरोध का संगठन है।”

निष्कर्ष: एकता, अनुशासन और रणनीति की जरूरत

कांग्रेस कार्यसमिति की इस मैराथन बैठक ने यह स्पष्ट कर दिया कि अब पार्टी को आंतरिक कलह, अनुशासनहीनता और रणनीतिक गलतियों से उबरना होगा।

“हमें अपने संगठन को मजबूत करना होगा, चुनावी रणनीति को बेहतर बनाना होगा, और हर स्तर पर जवाबदेही तय करनी होगी।”

आगामी लोकसभा चुनावों से पहले कांग्रेस की यह बैठक पार्टी के भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है। अब देखना यह है कि खड़गे और राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने में कितनी सफल होती है।

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