किसान आंदोलन में ऐतिहासिक कदम: डल्लेवाल के समर्थन में 111 किसान शुरू करेंगे आमरण अनशन, जान कुर्बान करने का लिया संकल्प

किसान आंदोलन में ऐतिहासिक कदम: डल्लेवाल के समर्थन में 111 किसान शुरू करेंगे आमरण अनशन, जान कुर्बान करने का लिया संकल्प
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किसान आंदोलन में ताकतवर मोड़: 111 किसान करेंगे आमरण अनशन, डल्लेवाल के लिए जान कुर्बान करने को तैयार

किसान आंदोलन के संदर्भ में एक बड़े और कड़े कदम का ऐलान किया गया है, जो यह दर्शाता है कि अब यह आंदोलन और भी निर्णायक मोड़ पर पहुंचने वाला है। शंभू और खनौरी बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन में किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के समर्थन में एक ऐतिहासिक निर्णय लिया गया है। इस निर्णय में 111 किसान नेता एक साथ आमरण अनशन शुरू करेंगे, जो उनकी 50 दिनों से चल रही उपवास की स्थिति में और भी गर्मजोशी से जुड़ने वाला है।

जगजीत सिंह डल्लेवाल का संघर्ष: आंदोलन में 50 दिन की लंबी अनशन यात्रा

किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का आमरण अनशन पिछले 50 दिनों से जारी है। उनका यह अनशन मुख्य रूप से फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी को लेकर है। यह गारंटी किसानों के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकती है, इसलिए डल्लेवाल इस मुद्दे पर अपनी जान की बाजी लगा चुके हैं। यह उनका कड़ा संघर्ष है, जो किसान नेताओं और उनके समर्थकों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बना है।

डल्लेवाल की बिगड़ती स्वास्थ्य स्थिति: डॉक्टरों ने चेतावनी दी

इस दौरान डल्लेवाल के स्वास्थ्य में गंभीर गिरावट आई है। डॉक्टरों ने हाल ही में उनके स्वास्थ्य के बारे में एक मेडिकल बुलेटिन जारी किया है, जिसमें उन्होंने बताया कि पिछले 48 घंटे से डल्लेवाल को पानी पीने में परेशानी हो रही है। जितना पानी वे पीते हैं, वह उल्टी के रूप में शरीर से बाहर आ जाता है। डॉक्टरों के अनुसार, उनका शरीर मल्टीपल ऑर्गन फेलियर की ओर बढ़ रहा है, और यह स्थिति गंभीर है। उनके शरीर के अंग अब सामान्य तरीके से काम करना बंद कर चुके हैं, जिससे स्थिति दिन-प्रतिदिन और भी चित्ती हो रही है।

किसान आंदोलन में बड़ा ऐलान: 111 किसान करेंगे आमरण अनशन

डल्लेवाल की बिगड़ती स्वास्थ्य स्थिति और उनके संघर्ष को देखते हुए, मंगलवार को आंदोलन के समर्थन में खड़ा हुआ एक नया ऐलान सामने आया। किसान नेताओं अभिमन्यु कोहाड़, काका सिंह कोटड़ा और अन्य नेताओं ने कहा कि डल्लेवाल के समर्थन में 111 किसान, जो काले चोगे पहनकर खनौरी बॉर्डर पर पहुंचेंगे, वहां शांतिपूर्ण ढंग से आमरण अनशन पर बैठेंगे। उनका यह कदम आंदोलन को एक नई दिशा में और सशक्त बनाने वाला होगा।

खानूनी MSP के लिए आवाज बुलंद करने वाले किसान नेता का बढ़ा समर्थन

डल्लेवाल के समर्थन में भारतीय किसान यूनियन के सैकड़ों कार्यकर्ता पहुंचे हैं। यह किसान आंदोलन पहले से कहीं अधिक ताकतवर और ज्यादा संगठित हो गया है, क्योंकि अब आंदोलन को जोड़ने वाला एक स्पष्ट उद्देश्य है। डल्लेवाल का अनशन किसानों के अधिकारों की रक्षा के लिए है, खासतौर पर उन्हें पूरी तरह से कानूनी रूप से एमएसपी की गारंटी मिलने तक। आंदोलन के इस चरण में किसान यह संदेश देना चाहते हैं कि उनका संघर्ष किसी भी कीमत पर नहीं रुकने वाला है।

केंद्र सरकार की चुप्पी और भाजपा नेताओं की गुमराह रणनीति

वहीं, किसान नेताओं ने केंद्र सरकार और खासकर भाजपा नेताओं की चुप्पी पर गहरी नाराजगी व्यक्त की है। उनके मुताबिक, डल्लेवाल की गंभीर हालत को देखते हुए, केंद्र सरकार की ओर से कोई सकारात्मक बातचीत नहीं हो रही है। इसका असर आंदोलनकारियों पर गहरा पड़ रहा है। किसान नेता इस बात पर जोर देते हुए कहते हैं कि सरकार की नाकामी को देखते हुए, वे अपनी जान की कुर्बानी देने के लिए तैयार हैं, क्योंकि एमएसपी की कानूनी गारंटी उनके जीवन और उनके परिवारों की सुरक्षा से जुड़ी हुई है।

हरियाणा के किसानों का ऐतिहासिक समर्थन: कंप्रोमाइज के लिए नहीं तैयार

हरियाणा के कैथल जिले से एक विशाल जत्था डल्लेवाल के समर्थन में शरकत करता हुआ खनौरी बॉर्डर पर पहुंचे हैं। इन किसानों ने दावा किया कि वे डल्लेवाल की तरह एमएसपी गारंटी कानून के लिए उनकी हर लड़ाई में शामिल होंगे। यहां तक कि वे अपनी जान की कुर्बानी देने के लिए भी तैयार हैं, क्योंकि उनके अनुसार यह लड़ाई किसानों के अस्तित्व और उनके सम्मान के लिए है। इन किसानों का कहना है कि डल्लेवाल का संघर्ष कोई मामूली घटना नहीं है, बल्कि यह किसानों की अस्मिता और उनके अधिकारों की कुर्बानी का प्रतीक बन चुका है।

किसान आंदोलन के रणनीतिक मोर्चे पर समर्थन का रुख

हरियाणा व्यापारी मंडल के अध्यक्ष बजरंग दास गर्ग और उनकी पूरी टीम भी अब इस आंदोलन को मजबूती देने के लिए खड़ी हो गई है। बजरंग दास गर्ग और उनके नेतृत्व में किसान मोर्चे पर आने वाली टीम ने डल्लेवाल का समर्थन करने का ऐलान किया है। वे उन सभी किसानों के साथ खड़े हैं जो अब एमएसपी की कानूनी गारंटी की तलाश में हर हाल में अपनी आवाज उठाने के लिए तैयार हैं।

किसानों की एकता: एक बड़ा संदेश और आंदोलन की नई शक्ति

जगजीत सिंह डल्लेवाल की हालत खराब होने और उनके समर्थन में 111 किसानों के आमरण अनशन की घोषणा ने यह साबित कर दिया है कि आंदोलनकारियों का इरादा किसी भी कीमत पर पीछे हटने का नहीं है। यह ना केवल एक चुनौतीपूर्ण मोड़ है, बल्कि यह भी दिखाता है कि किसानों की एकजुटता से पूरे आंदोलन में एक नई शक्ति का संचार हो रहा है। किसान संगठनों के लिए यह समय परीक्षण और पूरी तरह से प्रतिबद्धता दिखाने का है।

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किसानों की ताकत और सरकार की चुप्पी: संघर्ष की अगली चरण की तैयारी

अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि किसान नेताओं के ये नवीनतम कदम सरकार पर किस तरह दबाव बनाएंगे। वहीं यह भी तय होगा कि 111 किसान नेता और उनका आंदोलन किस रूप में किसानों के लंबित अधिकारों को अदालत और सरकार तक पहुंचाते हैं। क्या सरकार उनके कानूनी बिवादों का समाधान निकालेगी, या फिर किसानों की आशाएं एक और दफा चुराई जाएंगी? इस संघर्ष में किसान अब सिर्फ खेतों की सीमा तक सिमटने वाले नहीं हैं, बल्कि उन्होंने अपना संघर्ष पूरी तरह से जनहित की दिशा में जोड़ दिया है।

समाप्ति: किसान आंदोलन के भविष्य का रूप

किसान आंदोलन न सिर्फ एक राजनीतिक लड़ाई बन चुका है, बल्कि यह किसानों के जीवन और सम्मान की सबसे बड़ी लड़ाई बन चुकी है। 111 किसानों का आमरण अनशन इस बात का प्रतीक है कि ये किसान अब न केवल अपने अधिकारों को लेकर संघर्ष कर रहे हैं, बल्कि वे अपनी कुर्बानी देने के लिए भी तैयार हैं। इस आंदोलन की शक्ति, किसान नेताओं की दृढ़ता, और एकता ने यह स्पष्ट कर दिया है कि किसान अपनी जमीन, अपने हक और अपने सम्मान के लिए कोई भी रास्ता अख्तियार करने को तैयार हैं।

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