स्थानीय मुद्दों पर केंद्रित रहा निकाय चुनाव का प्रचार
करनाल समेत हरियाणा के जीटी बेल्ट के शहरों में निकाय चुनाव की सरगर्मी चरम पर रही। यह चुनाव मुख्य रूप से स्थानीय स्तर के विकास, गलियों-मोहल्लों की समस्याओं और बुनियादी सुविधाओं को लेकर लड़ा गया। अंबाला, कुरुक्षेत्र, करनाल, यमुनानगर और कैथल जैसे जिलों में मेयर, निकाय अध्यक्ष और पार्षद पद के प्रत्याशियों ने अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाया।
मतदाताओं की चुप्पी ने बढ़ाई प्रत्याशियों की बेचैनी
मतदान से पहले प्रत्याशियों ने घर-घर जाकर मतदाताओं से संपर्क किया, लेकिन मतदाता चुप्पी साधे रहे। किसी भी प्रत्याशी के प्रति खुलकर समर्थन या असंतोष व्यक्त नहीं किया गया। प्रचार सामग्री जैसे झंडे और स्टीकर लगाने में भी मतदाताओं ने संकोच दिखाया। यह संकेत देता है कि मतदाता अपने विवेक से निर्णय लेकर विकास को प्राथमिकता देंगे। इस चुनाव में जातिगत समीकरणों और राष्ट्रीय मुद्दों की बजाय स्थानीय समस्याओं जैसे टूटी सड़कों, जलभराव, कचरा प्रबंधन, बंदरों के उत्पात और बेसहारा पशुओं से निजात को अधिक महत्व दिया गया।
भाजपा का ‘ट्रिपल इंजन सरकार’ दांव
भाजपा ने इस चुनाव में ‘ट्रिपल इंजन सरकार’ (केंद्र, राज्य और स्थानीय निकायों में भाजपा की सत्ता) का नारा दिया। मुख्यमंत्री नायब सैनी, केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल, और विभिन्न भाजपा नेताओं ने मतदाताओं को यह समझाने का प्रयास किया कि भाजपा के उम्मीदवार जीतने पर विकास कार्यों में किसी प्रकार की रुकावट नहीं आएगी। यह रणनीति मतदाताओं पर कितना प्रभाव डालेगी, यह तो परिणाम के बाद ही स्पष्ट होगा।
कांग्रेस की स्थिति: केवल उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश?
कांग्रेस ने इस चुनाव में केवल कुछ क्षेत्रों में जोर लगाया, लेकिन संगठन की कमजोरी और प्रभावी नेतृत्व के अभाव में यह चुनाव पार्टी के लिए चुनौतीपूर्ण रहा। जहां कांग्रेस के प्रत्याशी खड़े हुए, वहां मुकाबला रोचक रहा, लेकिन कई वार्डों में कांग्रेस उम्मीदवार ही नहीं उतार पाई। जीटी बेल्ट में कांग्रेस के किसी बड़े स्टार प्रचारक की सक्रियता भी नहीं दिखी, जबकि भाजपा के दिग्गजों ने पूरा जोर लगाया।
अन्य दलों की स्थिति: अस्तित्व बचाने की चुनौती
आम आदमी पार्टी (AAP), जननायक जनता पार्टी (JJP), इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) और बहुजन समाज पार्टी (BSP) जैसे दलों की सक्रियता लगभग न के बराबर रही। सूत्रों के अनुसार, इन दलों को पर्याप्त प्रत्याशी ही नहीं मिल पाए, जिसके चलते कई नेताओं ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरना बेहतर समझा। ऐसे में इन दलों के लिए निकाय स्तर पर अपनी पकड़ बनाए रखना मुश्किल हो सकता है।
इन सीटों पर कड़ा मुकाबला:
1. अंबाला सिटी:
अंबाला सिटी में मेयर पद के लिए भाजपा नेता एडवोकेट संदीप सचदेवा की पत्नी सैलजा सचदेवा का मुकाबला कांग्रेस के पूर्व पार्षद दलीप बिट्टू चावला की पत्नी अमीषा चावला से है। सिटी के विधायक निर्मल सिंह की मौजूदगी से यह मुकाबला बेहद रोचक हो गया है।
2. अंबाला सदर:
यहां भाजपा से स्वर्ण कौर मैदान में हैं, जिन्हें मंत्री अनिल विज का समर्थन प्राप्त है। उनके सामने चित्रा सरवारा समर्थित मनदीप कौर चुनौती पेश कर रही हैं।
3. करनाल:
पूर्व मेयर रेणु बाला गुप्ता दोबारा मैदान में हैं, जिनका समर्थन खुद मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल कर रहे हैं। कांग्रेस के प्रत्याशी मनोज वधवा भी मजबूत दावेदारी पेश कर रहे हैं।
4. इंद्री:
यहां भाजपा के जसपाल बैरागी और निर्दलीय उम्मीदवार राकेश पाल के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है। कर्मबीर कश्यप भी चुनावी रण में मजबूती से डटे हुए हैं।
5. नीलोखेड़ी:
पूर्व अध्यक्ष सनमीत कौर फिर से मैदान में हैं और उनका मुकाबला निर्दलीय प्रत्याशी प्रेम मुंजाल और जगजीत कौर से है।
6. असंध:
भाजपा की सुनीता रानी दो निर्दलीय प्रत्याशियों सोनिया बोहत और रवि भान से मुकाबला कर रही हैं।
7. यमुनानगर-जगाधरी:
भाजपा ने पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी सुमन बहमनी को मैदान में उतारा है। कांग्रेस की किरण देवी उनके सामने हैं, जबकि निर्दलीय मधु चौधरी को बसपा, इनेलो और आप का समर्थन प्राप्त है।
8. रादौर:
भाजपा के रजनीश मेहता का मुकाबला चार निर्दलीय प्रत्याशियों दलीप कुमार, अजय, मोहिंद्र पाल और सतविंद्र सिंह से हो रहा है।
9. कैथल (सीवन):
भाजपा की शैली मुंजाल के सामने निर्दलीय हेमलता सैनी और संयम गोयल चुनौती पेश कर रहे हैं। हेमलता को कांग्रेस और संयम को आप का समर्थन प्राप्त है।
10. कुरुक्षेत्र:
भाजपा की माफी ढांडा और कांग्रेस की सुनीता नेहरा के बीच मुख्य मुकाबला है, जबकि आम आदमी पार्टी की रुक्मिणी और बसपा की राजबाला भी मैदान में हैं।
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चुनाव के बड़े मुद्दे:
1. बुनियादी सुविधाओं की कमी
टूटी सड़कों, गंदगी, सीवरेज की खराब स्थिति, जलभराव और कूड़ा निस्तारण की समस्या हर क्षेत्र में आम मुद्दा बना। मतदाता इन्हीं मुद्दों के आधार पर अपने प्रतिनिधि का चुनाव करेंगे।
2. बंदरों और बेसहारा पशुओं की समस्या
हरियाणा के शहरी इलाकों में बंदरों और बेसहारा पशुओं का उत्पात गंभीर समस्या बन गया है। इस चुनाव में यह बड़ा मुद्दा रहा।
3. एनडीसी और प्रॉपर्टी आईडी की दिक्कतें
प्रॉपर्टी आईडी में त्रुटियां और एनडीसी (नो ड्यूज सर्टिफिकेट) के लिए लोगों को होने वाली परेशानी भी एक महत्वपूर्ण चुनावी मुद्दा रही।
4. बढ़ती नशाखोरी और सुरक्षा व्यवस्था
बढ़ते नशे के नेटवर्क और क्षेत्रीय सुरक्षा को लेकर भी चुनावी चर्चा हुई। मतदाता यह देख रहे हैं कि कौन सा प्रत्याशी इस समस्या का समाधान कर सकता है।
5. स्ट्रीट लाइट और पार्कों की दुर्दशा
बदहाल पार्क, खेल मैदानों की कमी और स्ट्रीट लाइटों की अनुपलब्धता भी चर्चा का विषय रहा।
निष्कर्ष
हरियाणा के नगर निकाय चुनाव में स्थानीय मुद्दों को लेकर जबरदस्त प्रतिस्पर्धा देखने को मिल रही है। भाजपा ‘ट्रिपल इंजन सरकार’ के सहारे चुनाव जीतने की कोशिश में है, जबकि कांग्रेस अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में लगी है। अन्य दलों के लिए यह चुनाव अस्तित्व बचाने की लड़ाई बन गया है। अब देखना होगा कि मतदाता किसे अपनी गली-मोहल्लों की जिम्मेदारी सौंपते हैं।