करनाल वीजा फ्रॉड: ऑस्ट्रेलिया भेजने के नाम पर इमीग्रेशन एजेंट ने हड़पे 17 लाख रुपये, फर्जी वीजा और टिकट देकर दिया धोखा

करनाल वीजा फ्रॉड: ऑस्ट्रेलिया भेजने के नाम पर इमीग्रेशन एजेंट ने हड़पे 17 लाख रुपये, फर्जी वीजा और टिकट देकर दिया धोखा
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लेखक: संजय शर्मा, संपादक (20 वर्षों का अनुभव)

करनाल वीजा फ्रॉड: हरियाणा के करनाल जिले से सामने आया एक और इमीग्रेशन धोखाधड़ी का मामला न केवल पीड़ित परिवारों की भावनाओं को आहत करता है, बल्कि यह बताता है कि कैसे कुछ लालची एजेंट विदेश जाने के सपने बेचकर मासूमों को ठगते हैं। इस मामले में मॉडल टाउन स्थित एक इमीग्रेशन कंसल्टेंसी पर आरोप है कि उसने तीन युवाओं को ऑस्ट्रेलिया भेजने के नाम पर 17 लाख रुपये हड़प लिए और फर्जी वीजा और फ्लाइट टिकट थमा दिए।

मामले की पूरी जानकारी

दादुपुर गांव के ऋषिपाल, श्याम नगर के रमेश और कैथल के अर्जुन नगर निवासी प्रशोतम दास ने करनाल एसपी को लिखित शिकायत दी कि मॉडल टाउन स्थित ‘वीज़ा गुरु’ नामक इमीग्रेशन कंसल्टेंसी से उन्होंने संपर्क किया। यह कंसल्टेंसी दविंद्र सिंह चीमा नामक व्यक्ति द्वारा चलाई जाती है।

दविंद्र सिंह ने उन्हें विश्वास दिलाया कि वह उनके बच्चों – युवराज सिंह, राहुल और विशु वर्मा को ऑस्ट्रेलिया का वर्क वीजा दिलवाकर भेज देगा। उसने प्रति व्यक्ति खर्च 20 लाख रुपये बताया, लेकिन तीनों से कुल 17 लाख रुपये अग्रिम रूप में ले लिए गए।

  • ऋषिपाल ने 8.5 लाख रुपये नकद और डिजिटल माध्यम से दिए।
  • रमेश और प्रशोतम ने क्रमशः 4.25 लाख रुपये नकद व गूगल पे से दिए।

फर्जी दस्तावेजों से ठगी का खेल

पैसे लेने के कुछ ही दिन बाद आरोपी ने व्हाट्सएप पर तीनों युवाओं को वीजा और फ्लाइट टिकट भेज दीं। टिकट की तारीख 2 मार्च 2025 थी, जिसमें दिल्ली से मेलबर्न की उड़ान दिखाई गई थी। जब फ्लाइट की तारीख नजदीक आई तो आरोपी ने बताया कि फ्लाइट कैंसल हो गई है और जल्द ही नई टिकट भेजी जाएगी।

सच्चाई सामने आने पर खुला जालसाजी का राज

परिवारों को संदेह हुआ और उन्होंने वीजा व टिकट की सच्चाई जानने के लिए जांच करवाई। जांच में पता चला कि सभी दस्तावेज जाली थे। जब उन्होंने आरोपी से पैसे वापस मांगे, तो वह टालमटोल करने लगा और बाद में तीन चेक दिए, जिनकी राशि 10.75 लाख रुपये थी। लेकिन सभी चेक बाउंस हो गए। उसके बाद आरोपी ने चार और चेक दिए जिनकी राशि 17 लाख थी, परंतु वे भी बाउंस हो गए।

पुलिस जांच और कार्रवाई

पीड़ितों ने जब थाना शहर में शिकायत दर्ज कराई तो मामला आर्थिक अपराध शाखा (Economic Offence Wing) को सौंपा गया। जांच में पाया गया कि आरोपी ने पूर्व नियोजित तरीके से ठगी की। अब थाना शहर पुलिस ने दविंद्र सिंह के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है और उसकी तलाश शुरू कर दी गई है।

पृष्ठभूमि में व्यापक ट्रेंड

हरियाणा में इमीग्रेशन धोखाधड़ी के मामलों में इज़ाफा हो रहा है। कई एजेंट बिना किसी वैध लाइसेंस के फर्जी दस्तावेजों और आश्वासनों के दम पर युवाओं को ठगते हैं। ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, यूके जैसे देशों में भेजने के नाम पर लाखों रुपये लिए जाते हैं और फिर या तो नकली वीजा थमा दिया जाता है या एजेंट फरार हो जाता है।

पीड़ितों की पीड़ा

ऋषिपाल ने बताया, “हमने अपने बेटे के भविष्य के लिए जमीन तक गिरवी रख दी थी। हमें उम्मीद थी कि वह विदेश जाकर कुछ अच्छा करेगा, लेकिन अब हम कर्ज में डूब गए हैं।”

प्रशोतम दास बोले, “अगर सरकार ऐसे फर्जी एजेंट्स पर सख्त कार्रवाई करे तो कई परिवार इस दर्द से बच सकते हैं।”

विशेषज्ञ की राय

करनाल के एडवोकेट वीरेंद्र हुड्डा का कहना है कि ऐसे मामलों में IPC की धारा 420 (धोखाधड़ी) और 468 (फर्जी दस्तावेज बनाना) लगती हैं। यदि चेक बाउंस होते हैं तो धारा 138 के तहत भी केस बनता है। एजेंट्स पर शिकंजा कसने के लिए EOW की भूमिका महत्वपूर्ण है।

पुलिस की अपील

पुलिस ने लोगों से अपील की है कि विदेश जाने की प्रक्रिया से पहले किसी भी एजेंट की वैधता की जांच अवश्य करें। यदि कोई संदिग्ध गतिविधि दिखे तो तुरंत पुलिस को सूचित करें।

निष्कर्ष

यह मामला एक बार फिर यह चेतावनी देता है कि विदेश जाने की इच्छा में जल्दबाजी करना भारी पड़ सकता है। माता-पिता को सलाह है कि किसी भी इमीग्रेशन एजेंसी से डील करने से पहले उसके दस्तावेज, ट्रैक रिकॉर्ड और वैधता की पूरी जांच करें। सरकार को चाहिए कि वह अवैध इमीग्रेशन एजेंट्स के खिलाफ सख्त नियम लागू करे और जनता को जागरूक करने के लिए अभियान चलाए।

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