करनाल हाईटेंशन लाइन शिफ्टिंग अभियान अब तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। बीते वर्षों में हाईटेंशन तारों की चपेट में आकर 119 लोगों की जान जा चुकी है, जिससे बिजली निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो गए थे। अब निगम ने 94 लाख रुपये की लागत से शहर के 60 अति संवेदनशील इलाकों में लाइनों को शिफ्ट करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिससे करीब 20 हजार लोगों को राहत मिलने की उम्मीद है।
करनाल हाईटेंशन लाइन शिफ्टिंग: मौतों की श्रृंखला के बाद अब जागा सिस्टम
📍 करनाल। संवाददाता
करनाल में अब तक 119 जानें ले चुकी हाईटेंशन लाइन अब आखिरकार शहरवासियों के लिए राहत की उम्मीद बन रही हैं। बिजली विभाग ने एक विस्तृत योजना तैयार करते हुए ऐसे 60 इलाकों की पहचान की है जहां पर हाईटेंशन तार मकानों, दीवारों, छज्जों और स्कूलों के ऊपर से गुजर रहे हैं। विभाग ने दावा किया है कि सितंबर 2025 के अंत तक इन सभी खतरनाक तारों को स्थानांतरित कर दिया जाएगा।
119 मौतें, 92 को मुआवज़ा, 27 केस अब भी लंबित
बीते वर्षों में करनाल जिले में हाईटेंशन लाइनों के कारण 119 लोगों की दर्दनाक मौत हुई। इनमें से 92 पीड़ित परिवारों को मुआवजा दिया जा चुका है, जबकि 27 मामलों में अब भी केस अदालतों में लंबित हैं। यह आंकड़ा प्रशासनिक सुस्ती और जन सुरक्षा के प्रति लापरवाही का जीवंत प्रमाण है।
क्या है योजना?
बिजली निगम ने 94 लाख रुपये की लागत से हाईटेंशन लाइन शिफ्टिंग प्रोजेक्ट की शुरुआत की है। जून 2025 में काम शुरू हो चुका है और विभाग इसे सितंबर के अंत तक पूरा करने का दावा कर रहा है। इस योजना का सबसे बड़ा फायदा उन 20 हजार लोगों को होगा जिनके घरों के ऊपर या बगल से ये खतरनाक तार गुजरते हैं।
चिन्हित की गईं 60 अति संवेदनशील जगहें
बिजली विभाग ने शहर में एक विस्तृत सर्वे कर 60 अति संवेदनशील स्थानों को चिन्हित किया है। इनमें अधिकांश ऐसे क्षेत्र हैं जहां घनी आबादी है, स्कूल हैं या जहां बच्चे अक्सर छतों पर खेलते हैं।
ये प्रमुख क्षेत्र इस प्रकार हैं:
- एसडी सीनियर बॉयज स्कूल
- न्यायपुरी स्केटिंग हॉल के पास
- बजीदा जाटान (हवा सिंह का मकान)
- कंबोपुरा (पप्पू लाठर व ओमप्रकाश के घर)
- अशोक विहार कॉलोनी, मधुबन
- हेरिटेज लॉन सेक्टर-4
- सेक्टर-4 पार्ट-दो
- जुंडला गेट
- बीबीपुर रोड
- रिंडल से नगला रोड
- श्मशान घाट टिकरी
- चौरा, घीड़, कैलाश गांव
- नेवल बीपीएल कॉलोनी
- ऑरेंज पैलेस नेवल
- मेन रोड फूसगढ़
बच्चों की जान पर बना रहता है खतरा
वसंत विहार, न्यायपुरी, कंबोपुरा, अशोक विहार जैसे क्षेत्रों में कई घरों की छतों से होकर हाईटेंशन लाइनें गुजर रही हैं। इससे बच्चों की सुरक्षा सबसे बड़ी चिंता बन गई है। कई बार पतंग उड़ाते वक्त डोर इन तारों में उलझ जाती है और हादसे हो जाते हैं। इससे न सिर्फ जान का जोखिम होता है बल्कि बिजली गुल होने से क्षेत्रीय व्यवस्था भी चरमरा जाती है।
बिजली निगम की सावधानी भी बनी मज़ाक
बिजली विभाग द्वारा हर वर्ष गर्मियों व मानसून से पहले चेतावनी दी जाती है कि लोग इन तारों से दूर रहें। मगर हकीकत में बारिश के बाद दीवारों और छतों में नमी आ जाती है जिससे करंट फैलने लगता है। कई बार लोगों को इसका अहसास भी नहीं होता और दुर्घटनाएं हो जाती हैं। खुले दरबार, कष्ट निवारण समितियों और विधायकों से बार-बार गुहार लगाने के बावजूद पहले कोई ठोस समाधान नहीं निकला।
टेंडर हो चुका, काम शुरू
बिजली निगम द्वारा टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली गई है और कार्य शुरू कर दिया गया है। इस बार निगम ने हाईटेंशन लाइन हटाने के लिए विशेषज्ञ इंजीनियरों और आधुनिक तकनीकों को शामिल किया है ताकि समय रहते बिना जनजीवन प्रभावित किए काम पूरा किया जा सके।
बिजली निगम का पक्ष
अधीक्षण अभियंता नसीब सिंह ने बताया:
“हाईटेंशन तारों को शिफ्ट करने का कार्य तेज़ी से किया जा रहा है। हाल ही में पुराना बस स्टैंड और कर्ण स्टेडियम क्षेत्र की लाइनों को सफलतापूर्वक स्थानांतरित किया गया है। इस अभियान के अंतर्गत सितंबर तक बाकी 60 अति संवेदनशील स्थानों को कवर कर लिया जाएगा।”
क्यों है ये प्रोजेक्ट ज़रूरी?
- जनसंख्या घनत्व के कारण कई इलाकों में अब भवन हाईटेंशन लाइनों के पास बन चुके हैं
- पुराने समय की बिछाई गई लाइनें अब असुरक्षित हो गई हैं
- बच्चों और बुजुर्गों के लिए ये लाइनें जानलेवा बन चुकी हैं
- मानसून में करंट फैलने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है
जनता की मांग
स्थानीय नागरिकों की मांग है कि केवल इन 60 क्षेत्रों तक सीमित न रहकर शहर के सभी संवेदनशील इलाकों का पुनः सर्वे कर शेष लाइनों को भी स्थानांतरित किया जाए।
क्या कहती हैं विशेषज्ञ संस्थाएं?
नेशनल इलेक्ट्रिक सेफ्टी बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार शहरी क्षेत्रों में चल रही पुरानी हाईटेंशन लाइनें सबसे बड़ा खतरा बनती जा रही हैं। रिपोर्ट यह भी बताती है कि लाइन हटाने की प्रक्रिया को प्राथमिकता देनी चाहिए।
आने वाले कदम
- निगम जल्द ही नई सुरक्षा गाइडलाइन जारी करेगा
- हर कॉलोनी में निगरानी टीम तैनात की जाएगी
- भविष्य में नई लाइनें भूमिगत बिछाई जाएंगी
- हर साल हाईटेंशन नेटवर्क का ऑडिट किया जाएगा
निष्कर्ष
करनाल हाईटेंशन लाइन शिफ्टिंग अभियान न सिर्फ एक तकनीकी कार्य है, बल्कि यह जनसुरक्षा और जनविश्वास की पुनर्स्थापना का भी प्रयास है। बिजली निगम की पहल सराहनीय है, लेकिन इसे सतत और व्यापक बनाना ही सही समाधान होगा।