करनाल, 8 फरवरी: भाजपा के लिए करनाल नगर निगम के मेयर और पार्षद पदों के लिए निकाय चुनाव में नई रणनीतियां बन रही हैं। पिछले दिनों भाजपा की कोर कमेटी की बैठक में यह साफ हो गया कि पार्टी किसी भी पैनल का गठन नहीं करेगी, बल्कि सभी दावेदारों के नाम प्रदेश नेतृत्व को भेजे जाएंगे। इससे भाजपा के नेताओं और दावेदारों में एक नई हलचल पैदा हो गई है, क्योंकि यह पहली बार है जब पार्टी किसी पैनल के बिना नामों का चयन करेगी।
भा.ज.पा. की कोर कमेटी बैठक में क्या हुआ?
शुक्रवार को भाजपा की कोर कमेटी की बैठक करनाल कार्यालय में आयोजित की गई। इस बैठक में भाजपा के आला नेताओं ने नगर निगम के मेयर पद सहित विभिन्न वार्डों के लिए पार्षद पदों के दावेदारों के नामों पर विचार विमर्श किया। बैठक में विभिन्न नामों को लेकर जमकर मंथन किया गया।
कर्नल के मेयर पद के लिए 17 दावेदारों ने आवेदन किया था, जबकि 20 वार्डों के पार्षद पद के लिए कुल 155 दावेदारों ने अपने नामों की घोषणा की। इसके अलावा, इंद्री, नीलोखेड़ी और असंध नगरपालिका के चेयरमैन पद के लिए भी दावे प्रस्तुत किए गए। भाजपा ने बैठक में यह फैसला किया कि हर दावेदार के नाम को पार्टी के प्रदेश नेतृत्व को भेजा जाएगा। यह निर्णय इसलिए लिया गया क्योंकि दावेदारों के दबाव और नाराजगी के चलते कोई पैनल तैयार करने से बचना जरूरी था।
दावेदारों के दबाव और नाराजगी के खतरे को समझते हुए लिया गया बड़ा निर्णय
बैठक में भाजपा के चार विधायकों सहित कई वरिष्ठ पदाधिकारी भी मौजूद थे। सभी ने पैनल तैयार करने के बारे में विचार किया, लेकिन दावेदारों की नाराजगी का डर इस विचार को आगे बढ़ाने से रोकने में सफल रहा। भाजपा के कार्यकर्ता और दावेदार अक्सर पैनल में अपने नाम को शामिल कराने के लिए कई बार संघर्ष करते हैं, ऐसे में पार्टी के स्थानीय नेता पैनल बनाने में असहज महसूस करते हैं।
इसी कारण, जिलाध्यक्ष बृजभूषण गुप्ता ने यह सुझाव दिया कि सभी दावेदारों के नाम प्रदेश नेतृत्व को भेज दिए जाएं ताकि पार्टी का कोई स्थानीय स्तर पर दबाव न पड़े और सभी दावेदारों को पारदर्शिता के साथ सही तरीके से चयनित किया जा सके। इस प्रस्ताव पर कोर कमेटी के सभी सदस्य सहमत हो गए और इस निर्णय को अंतिम रूप दे दिया।
दावेदारों की सूची और चुनावी हलचल
जिलाध्यक्ष बृजभूषण गुप्ता के नेतृत्व में बैठक में शहर के कई प्रमुख नेताओं और कार्यकर्ताओं ने अपने दावों को प्रस्तुत किया। खासकर मेयर पद के लिए सबसे ज्यादा दावेदारों की संख्या देखी गई। मेयर पद के लिए 17 उम्मीदवारों ने अपने नाम का पंजीकरण कराया है, जिनमें से प्रमुख नामों में रेणू बाला गुप्ता, पूर्व जिलाध्यक्ष अशोक सुखीजा, पूर्व सीनियर डिप्टी मेयर कृष्ण गर्ग, और राजेश अग्घी सहित कई अन्य प्रमुख नेताओं के नाम शामिल हैं।
इन दावेदारों में से कुछ पहले भी नगरपालिका में विभिन्न पदों पर कार्य कर चुके हैं, जबकि कुछ नए चेहरे भी इस बार अपनी किस्मत आजमाने की कोशिश कर रहे हैं। रेणू बाला गुप्ता का नाम विशेष रूप से चर्चा में है क्योंकि वह भाजपा जिलाध्यक्ष बृजभूषण गुप्ता की पत्नी हैं, और उनके समर्थकों की संख्या भी बढ़ी हुई है।
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कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का बढ़ता दबाव
भा.ज.पा. के दावेदारों के बीच इस मंथन के बीच एक और महत्वपूर्ण पहलू है, जो भाजपा की चिंता को बढ़ा रहा है। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी जैसे विरोधी दलों ने भी अपनी चुनावी तैयारियों को तेज कर दिया है। इन दलों ने भी अपने दावेदारों के नामों का ऐलान कर दिया है और वे भाजपा को कड़ी चुनौती देने के लिए तैयार हैं।
विपक्ष की सक्रियता भाजपा के लिए चिंता का कारण बन सकती है, क्योंकि भाजपा के कार्यकर्ताओं को लगता है कि यदि पार्टी के अंदर कोई भी असहमति पैदा होती है, तो इसका फायदा विपक्षी दल उठा सकते हैं।
दावेदारों की सूची में प्रमुख नाम
- रेणू बाला गुप्ता – भाजपा जिलाध्यक्ष बृजभूषण गुप्ता की पत्नी और मेयर पद की प्रमुख दावेदार।
- अशोक सुखीजा – पूर्व जिलाध्यक्ष, जिन्होंने पार्टी के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं।
- कृष्ण गर्ग – पूर्व सीनियर डिप्टी मेयर, जिन्होंने नगर निगम के कार्यों में गहरी रुचि दिखाई है।
- राजेश अग्घी – पूर्व सीनियर डिप्टी मेयर और एक प्रभावशाली नेता।
- मोनिक गर्ग – एक प्रमुख युवा नेता और मेयर पद के लिए मजबूत दावेदार।
- भारत भूषण कपूर – एक वरिष्ठ नेता और नगर निगम के मुद्दों में अच्छी समझ रखने वाले व्यक्ति।
- निशांत शर्मा शानू – युवा नेता और पार्टी के कार्यकर्ता, जो इस पद के लिए चुनौती पेश कर सकते हैं।
- योगेश बुघरा – एक और युवा नेता, जिनका समर्थन तेजी से बढ़ रहा है।
- शशिपाल मेहता के पुत्र संजीव मेहता – एक प्रमुख परिवार से ताल्लुक रखते हैं और उनका नाम भी मेयर पद के लिए चर्चा में है।
- विनय पॉसवाल – पूर्व पार्षद, जिन्होंने पार्टी के लिए कई कार्य किए हैं।
- अनूप भारद्वाज – एक प्रमुख समाजसेवी और पार्टी के प्रभावशाली कार्यकर्ता।
- उमेश चानना – बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष और एक कड़ी मेहनत करने वाले नेता।
- डॉ. मनोज कुमार – चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े हुए नेता, जिनकी अच्छी छवि है।
- राजेंद्र सिंह दादूपुर – एक प्रमुख सामाजसेवी नेता।
- आशा गोयल – महिला नेतृत्व में एक मजबूत दावेदार।
भा.ज.पा. के भीतर एकजुटता का माहौल
भा.ज.पा. के वरिष्ठ नेता यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि पार्टी के भीतर कोई मतभेद न हो। जिला कार्यालय में दावेदारों की सूची चस्पा कर दी गई, जिससे सभी उम्मीदवारों को यह स्पष्ट हो गया कि उनका नाम पंजीकरण प्रक्रिया में शामिल है। हालांकि, कई दावेदार अब भी उम्मीद कर रहे हैं कि उनका नाम अंतिम पैनल में शामिल किया जाएगा।
भा.ज.पा. की रणनीति और भविष्य के चुनाव
अब यह साफ हो गया है कि भाजपा अपने दावेदारों के नाम को पूरी तरह से पारदर्शिता के साथ प्रदेश नेतृत्व के पास भेजेगी। इस प्रक्रिया से भाजपा यह सुनिश्चित करना चाहती है कि पार्टी के भीतर किसी भी प्रकार का विवाद न हो और चुनावी प्रक्रिया निष्पक्ष रूप से चले।
भा.ज.पा. के अंदर चल रही इस हलचल और दावेदारों के नामों की सूची को देखकर यह कहा जा सकता है कि आगामी नगर निगम चुनाव भाजपा के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं। पार्टी को अपनी रणनीतियों और उम्मीदवारों के चयन में सावधानी बरतनी होगी ताकि चुनावी जंग में सफलता प्राप्त की जा सके।
सामाजिक और राजनीतिक समीकरणों का प्रभाव
कर्नल के आगामी नगर निगम चुनाव में भाजपा को जीत दिलाने के लिए एक मजबूत रणनीति की जरूरत होगी। चुनावी समीकरणों में विभिन्न जातिगत और सामाजिक मुद्दों का भी असर पड़ेगा। ऐसे में पार्टी को अपने दावेदारों के चयन में न केवल अपनी आंतरिक एकजुटता बनाए रखने पर ध्यान देना होगा, बल्कि उसे विपक्षी दलों की रणनीतियों को भी समझना होगा।
यह समय देखना होगा कि भाजपा के प्रदेश नेतृत्व द्वारा किसे टिकट दिया जाता है और पार्टी अपने उम्मीदवारों के चयन को किस तरह से फाइनल करती है।
भा.ज.पा. ने निकाय चुनाव के लिए पैनल नहीं बनाया, सभी दावेदारों के नाम प्रदेश नेतृत्व को भेजे गए
करनाल, 8 फरवरी: भाजपा के लिए करनाल नगर निगम के मेयर और पार्षद पदों के लिए निकाय चुनाव में नई रणनीतियां बन रही हैं। पिछले दिनों भाजपा की कोर कमेटी की बैठक में यह साफ हो गया कि पार्टी किसी भी पैनल का गठन नहीं करेगी, बल्कि सभी दावेदारों के नाम प्रदेश नेतृत्व को भेजे जाएंगे। इससे भाजपा के नेताओं और दावेदारों में एक नई हलचल पैदा हो गई है, क्योंकि यह पहली बार है जब पार्टी किसी पैनल के बिना नामों का चयन करेगी।
भा.ज.पा. की कोर कमेटी बैठक में क्या हुआ?
शुक्रवार को भाजपा की कोर कमेटी की बैठक करनाल कार्यालय में आयोजित की गई। इस बैठक में भाजपा के आला नेताओं ने नगर निगम के मेयर पद सहित विभिन्न वार्डों के लिए पार्षद पदों के दावेदारों के नामों पर विचार विमर्श किया। बैठक में विभिन्न नामों को लेकर जमकर मंथन किया गया।
कर्नल के मेयर पद के लिए 17 दावेदारों ने आवेदन किया था, जबकि 20 वार्डों के पार्षद पद के लिए कुल 155 दावेदारों ने अपने नामों की घोषणा की। इसके अलावा, इंद्री, नीलोखेड़ी और असंध नगरपालिका के चेयरमैन पद के लिए भी दावे प्रस्तुत किए गए। भाजपा ने बैठक में यह फैसला किया कि हर दावेदार के नाम को पार्टी के प्रदेश नेतृत्व को भेजा जाएगा। यह निर्णय इसलिए लिया गया क्योंकि दावेदारों के दबाव और नाराजगी के चलते कोई पैनल तैयार करने से बचना जरूरी था।
दावेदारों के दबाव और नाराजगी के खतरे को समझते हुए लिया गया बड़ा निर्णय
बैठक में भाजपा के चार विधायकों सहित कई वरिष्ठ पदाधिकारी भी मौजूद थे। सभी ने पैनल तैयार करने के बारे में विचार किया, लेकिन दावेदारों की नाराजगी का डर इस विचार को आगे बढ़ाने से रोकने में सफल रहा। भाजपा के कार्यकर्ता और दावेदार अक्सर पैनल में अपने नाम को शामिल कराने के लिए कई बार संघर्ष करते हैं, ऐसे में पार्टी के स्थानीय नेता पैनल बनाने में असहज महसूस करते हैं।
इसी कारण, जिलाध्यक्ष बृजभूषण गुप्ता ने यह सुझाव दिया कि सभी दावेदारों के नाम प्रदेश नेतृत्व को भेज दिए जाएं ताकि पार्टी का कोई स्थानीय स्तर पर दबाव न पड़े और सभी दावेदारों को पारदर्शिता के साथ सही तरीके से चयनित किया जा सके। इस प्रस्ताव पर कोर कमेटी के सभी सदस्य सहमत हो गए और इस निर्णय को अंतिम रूप दे दिया।
दावेदारों की सूची और चुनावी हलचल
जिलाध्यक्ष बृजभूषण गुप्ता के नेतृत्व में बैठक में शहर के कई प्रमुख नेताओं और कार्यकर्ताओं ने अपने दावों को प्रस्तुत किया। खासकर मेयर पद के लिए सबसे ज्यादा दावेदारों की संख्या देखी गई। मेयर पद के लिए 17 उम्मीदवारों ने अपने नाम का पंजीकरण कराया है, जिनमें से प्रमुख नामों में रेणू बाला गुप्ता, पूर्व जिलाध्यक्ष अशोक सुखीजा, पूर्व सीनियर डिप्टी मेयर कृष्ण गर्ग, और राजेश अग्घी सहित कई अन्य प्रमुख नेताओं के नाम शामिल हैं।
इन दावेदारों में से कुछ पहले भी नगरपालिका में विभिन्न पदों पर कार्य कर चुके हैं, जबकि कुछ नए चेहरे भी इस बार अपनी किस्मत आजमाने की कोशिश कर रहे हैं। रेणू बाला गुप्ता का नाम विशेष रूप से चर्चा में है क्योंकि वह भाजपा जिलाध्यक्ष बृजभूषण गुप्ता की पत्नी हैं, और उनके समर्थकों की संख्या भी बढ़ी हुई है।
कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का बढ़ता दबाव
भा.ज.पा. के दावेदारों के बीच इस मंथन के बीच एक और महत्वपूर्ण पहलू है, जो भाजपा की चिंता को बढ़ा रहा है। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी जैसे विरोधी दलों ने भी अपनी चुनावी तैयारियों को तेज कर दिया है। इन दलों ने भी अपने दावेदारों के नामों का ऐलान कर दिया है और वे भाजपा को कड़ी चुनौती देने के लिए तैयार हैं।
विपक्ष की सक्रियता भाजपा के लिए चिंता का कारण बन सकती है, क्योंकि भाजपा के कार्यकर्ताओं को लगता है कि यदि पार्टी के अंदर कोई भी असहमति पैदा होती है, तो इसका फायदा विपक्षी दल उठा सकते हैं।
दावेदारों की सूची में प्रमुख नाम
- रेणू बाला गुप्ता – भाजपा जिलाध्यक्ष बृजभूषण गुप्ता की पत्नी और मेयर पद की प्रमुख दावेदार।
- अशोक सुखीजा – पूर्व जिलाध्यक्ष, जिन्होंने पार्टी के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं।
- कृष्ण गर्ग – पूर्व सीनियर डिप्टी मेयर, जिन्होंने नगर निगम के कार्यों में गहरी रुचि दिखाई है।
- राजेश अग्घी – पूर्व सीनियर डिप्टी मेयर और एक प्रभावशाली नेता।
- मोनिक गर्ग – एक प्रमुख युवा नेता और मेयर पद के लिए मजबूत दावेदार।
- भारत भूषण कपूर – एक वरिष्ठ नेता और नगर निगम के मुद्दों में अच्छी समझ रखने वाले व्यक्ति।
- निशांत शर्मा शानू – युवा नेता और पार्टी के कार्यकर्ता, जो इस पद के लिए चुनौती पेश कर सकते हैं।
- योगेश बुघरा – एक और युवा नेता, जिनका समर्थन तेजी से बढ़ रहा है।
- शशिपाल मेहता के पुत्र संजीव मेहता – एक प्रमुख परिवार से ताल्लुक रखते हैं और उनका नाम भी मेयर पद के लिए चर्चा में है।
- विनय पॉसवाल – पूर्व पार्षद, जिन्होंने पार्टी के लिए कई कार्य किए हैं।
- अनूप भारद्वाज – एक प्रमुख समाजसेवी और पार्टी के प्रभावशाली कार्यकर्ता।
- उमेश चानना – बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष और एक कड़ी मेहनत करने वाले नेता।
- डॉ. मनोज कुमार – चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े हुए नेता, जिनकी अच्छी छवि है।
- राजेंद्र सिंह दादूपुर – एक प्रमुख सामाजसेवी नेता।
- आशा गोयल – महिला नेतृत्व में एक मजबूत दावेदार।
भा.ज.पा. के भीतर एकजुटता का माहौल
भा.ज.पा. के वरिष्ठ नेता यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि पार्टी के भीतर कोई मतभेद न हो। जिला कार्यालय में दावेदारों की सूची चस्पा कर दी गई, जिससे सभी उम्मीदवारों को यह स्पष्ट हो गया कि उनका नाम पंजीकरण प्रक्रिया में शामिल है। हालांकि, कई दावेदार अब भी उम्मीद कर रहे हैं कि उनका नाम अंतिम पैनल में शामिल किया जाएगा।
भा.ज.पा. की रणनीति और भविष्य के चुनाव
अब यह साफ हो गया है कि भाजपा अपने दावेदारों के नाम को पूरी तरह से पारदर्शिता के साथ प्रदेश नेतृत्व के पास भेजेगी। इस प्रक्रिया से भाजपा यह सुनिश्चित करना चाहती है कि पार्टी के भीतर किसी भी प्रकार का विवाद न हो और चुनावी प्रक्रिया निष्पक्ष रूप से चले।
भा.ज.पा. के अंदर चल रही इस हलचल और दावेदारों के नामों की सूची को देखकर यह कहा जा सकता है कि आगामी नगर निगम चुनाव भाजपा के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं। पार्टी को अपनी रणनीतियों और उम्मीदवारों के चयन में सावधानी बरतनी होगी ताकि चुनावी जंग में सफलता प्राप्त की जा सके।
सामाजिक और राजनीतिक समीकरणों का प्रभाव
कर्नल के आगामी नगर निगम चुनाव में भाजपा को जीत दिलाने के लिए एक मजबूत रणनीति की जरूरत होगी। चुनावी समीकरणों में विभिन्न जातिगत और सामाजिक मुद्दों का भी असर पड़ेगा। ऐसे में पार्टी को अपने दावेदारों के चयन में न केवल अपनी आंतरिक एकजुटता बनाए रखने पर ध्यान देना होगा, बल्कि उसे विपक्षी दलों की रणनीतियों को भी समझना होगा।
यह समय देखना होगा कि भाजपा के प्रदेश नेतृत्व द्वारा किसे टिकट दिया जाता है और पार्टी अपने उम्मीदवारों के चयन को किस तरह से फाइनल करती है।