हरियाणा की 70% आबादी गरीबी रेखा के नीचे, 2 सालों में 70 लाख नए गरीब, सरकार ने जांच का दिया आश्वासन

हरियाणा की 70% आबादी गरीबी रेखा के नीचे, 2 सालों में 70 लाख नए गरीब, सरकार ने जांच का दिया आश्वासन
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हरियाणा की गरीबी की तस्वीर हर साल गहराती जा रही है। राज्य की अनुमानित 2.8 करोड़ की आबादी में से अब लगभग 70% लोग गरीबी रेखा के नीचे (बीपीएल) की श्रेणी में आ गए हैं। राज्य सरकार ने हाल ही में इस बढ़ती संख्या पर सवाल उठाए हैं और जल्द ही जांच करवाने का आश्वासन दिया है। दो साल पहले बीपीएल श्रेणी में केवल 44% लोग थे, लेकिन अब यह संख्या 70% तक पहुंच गई है।

बीपीएल श्रेणी में मिलने वाले फायदे और बढ़ती जनसंख्या

बीपीएल श्रेणी में आने वाले परिवारों को राज्य सरकार से कई तरह के लाभ मिलते हैं, जैसे प्रति व्यक्ति 5 किलो अनाज (गेहूं या बाजरा) मुफ्त में दिया जाता है। इसके अलावा, हर महीने बीपीएल कार्डधारकों को 40 रुपये में 2 लीटर सरसों का तेल और 13.5 रुपये में 1 किलो चीनी उपलब्ध कराई जाती है।

बीपीएल में शामिल होने वाले लोगों की संख्या में तेज़ी से वृद्धि हो रही है, जिससे सरकार पर अनाज और अन्य सुविधाएं प्रदान करने का अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है। दिसंबर 2022 में जहां 1.24 करोड़ लोग बीपीएल श्रेणी में थे, वहीं अब यह संख्या बढ़कर 1.98 करोड़ हो गई है।

अचानक कैसे बढ़ी बीपीएल आबादी?

राज्य में गरीबी रेखा के नीचे आने वाले लोगों की संख्या में अचानक हुई इस वृद्धि के पीछे कई कारण हो सकते हैं। हरियाणा सरकार के मंत्री राजेश नागर ने इस पर संज्ञान लिया और कहा कि यह आंकड़ा अचानक नहीं बढ़ा है, बल्कि इसकी जांच की जाएगी। उन्होंने बताया कि हरियाणा में परिवार पहचान पत्र (Family ID) को CRID (Citizen Resource Information Department) से जोड़ा गया है, जिसमें लोग खुद अपनी आय की घोषणा करते हैं।

मंत्री ने कहा, “बड़े पैमाने पर लोगों ने अपनी आय को 1,80,000 रुपये से कम दिखाया है, ताकि उन्हें बीपीएल का लाभ मिल सके। हमारी डिपार्टमेंट का इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं है। लोगों ने खुद अपनी आय कम दिखाकर बीपीएल में खुद को जोड़ लिया है।” इसके बावजूद, सरकार ने इसे गंभीरता से लिया है और मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार जल्द ही इस मामले की जांच करवाई जाएगी।

बीपीएल श्रेणी में क्यों शामिल होना चाहते हैं लोग?

गरीबी रेखा के नीचे आने का मतलब है कई सरकारी योजनाओं का लाभ उठाना, जिससे लोगों का दैनिक जीवन आसान हो सकता है। जैसे कि मुफ्त अनाज, तेल और चीनी के अलावा, कई अन्य सरकारी योजनाएं हैं जिनमें बीपीएल कार्डधारकों को विशेष रियायतें दी जाती हैं। इसके अलावा, कई सरकारी सुविधाएं और लाभ केवल बीपीएल श्रेणी में आने वाले परिवारों के लिए ही उपलब्ध होते हैं।

हरियाणा जैसे राज्य में जहां महंगाई और आर्थिक असमानता तेजी से बढ़ रही है, वहां लोग बीपीएल कार्ड पाने के लिए अपनी आय को कम दिखाना चाहते हैं, ताकि उन्हें इन योजनाओं का लाभ मिल सके। मंत्री राजेश नागर का मानना है कि यह बढ़ती बीपीएल श्रेणी का एक प्रमुख कारण हो सकता है।

हरियाणा में किस जिले में सबसे ज्यादा और सबसे कम बीपीएल आबादी?

हरियाणा के कुछ जिलों में बीपीएल लाभार्थियों की संख्या चौंकाने वाली है। फरीदाबाद जिले में सबसे ज्यादा बीपीएल कार्डधारक हैं, जहां 14.29 लाख लोग इस श्रेणी में आते हैं। इसके बाद हिसार (13.55 लाख) और मेवात (13.49 लाख) का स्थान है। वहीं, पंचकूला में सबसे कम बीपीएल आबादी है, जहां केवल 3.65 लाख लोग गरीबी रेखा के नीचे आते हैं।

इन आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि हरियाणा में बीपीएल आबादी का वितरण असमान है। जहां एक ओर फरीदाबाद और हिसार जैसे जिले बड़ी संख्या में गरीब परिवारों को दर्शाते हैं, वहीं दूसरी ओर पंचकूला और अन्य जिलों में बीपीएल लाभार्थियों की संख्या अपेक्षाकृत कम है।

किसानों और मजदूरों के जीवन पर बढ़ते आर्थिक संकट का असर

हरियाणा एक प्रमुख कृषि राज्य है, लेकिन यहां किसानों और मजदूरों की आर्थिक स्थिति चिंताजनक है। पिछले कुछ सालों में, खेती-किसानी से होने वाली आय में कमी आई है, जिससे किसानों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। कृषि में घटती आय और मशीनीकरण के कारण मजदूर वर्ग के लिए रोजगार की संभावना भी कम हो गई है, जिसके परिणामस्वरूप लोग गरीबी रेखा के नीचे खिसकते जा रहे हैं।

पिछले दो वर्षों में कृषि क्षेत्र में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, जिसमें फसल खराब होना, जलवायु परिवर्तन और किसानों की आय में स्थिरता न होना शामिल है। इन सभी कारणों से कृषि आधारित राज्य में गरीबों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है।

महंगाई और बेरोजगारी ने बढ़ाई गरीबी

हरियाणा में बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी ने भी गरीबी को बढ़ावा दिया है। विशेषकर कोरोना महामारी के बाद बेरोजगारी में तेजी से वृद्धि हुई है, जिससे परिवारों की आमदनी पर नकारात्मक असर पड़ा है। राज्य में बेरोजगारी दर अधिक है, जिसके कारण लोग गरीबी रेखा के नीचे जा रहे हैं।

महंगाई ने भी आम जनता की जेब पर दबाव बढ़ा दिया है। खाद्य पदार्थों की कीमतें, तेल के दाम और अन्य आवश्यक वस्तुओं की कीमतें तेजी से बढ़ रही हैं। इसका सीधा असर निम्न आय वर्ग पर पड़ा है, जो अब बीपीएल श्रेणी में आने के लिए मजबूर हो गए हैं।

सरकार के समक्ष चुनौती: जांच और समाधान

हरियाणा सरकार के लिए यह एक गंभीर चुनौती है कि राज्य की अधिकांश आबादी बीपीएल श्रेणी में आ चुकी है। इसके समाधान के लिए सरकार को जांच के बाद उचित कदम उठाने होंगे। सरकार को यह देखना होगा कि कौन लोग वास्तव में गरीब हैं और कौन लोग बीपीएल कार्ड का गलत तरीके से लाभ उठा रहे हैं।

मंत्री राजेश नागर ने साफ किया है कि इस जांच में पूरी पारदर्शिता बरती जाएगी और जल्द ही एक उचित रिपोर्ट मुख्यमंत्री को प्रस्तुत की जाएगी। उन्होंने भरोसा दिलाया है कि बीपीएल श्रेणी का दुरुपयोग नहीं होने दिया जाएगा और वास्तविक जरूरतमंदों को ही इसका लाभ मिलेगा।

हरियाणा के विकास के दावों पर सवाल

हरियाणा सरकार द्वारा राज्य में विकास और आर्थिक वृद्धि के कई दावे किए जाते हैं। लेकिन, बीपीएल श्रेणी में इस कदर लोगों का जुड़ना इन दावों पर सवाल खड़ा करता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि राज्य की आर्थिक नीति और सामाजिक योजनाएं सही दिशा में होतीं, तो गरीबी रेखा के नीचे आने वाले लोगों की संख्या इतनी नहीं बढ़ती।

विकास के दावों के विपरीत, यह आंकड़े यह दर्शाते हैं कि राज्य के लोग गरीबी और आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे हैं। सरकार को चाहिए कि वह गरीबी और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर अधिक ध्यान केंद्रित करे और जनकल्याणकारी योजनाओं को सही तरीके से लागू करे, ताकि राज्य की तस्वीर में सुधार आ सके।

अंतिम निष्कर्ष: हरियाणा में गरीबी की तस्वीर बदलने की जरूरत

हरियाणा में गरीबी का बढ़ता ग्राफ न केवल राज्य सरकार के लिए एक चुनौती है, बल्कि यह राज्य की विकास योजनाओं की वास्तविकता को भी उजागर करता है। सरकार को चाहिए कि वह आर्थिक असमानता को कम करने के लिए विशेष कदम उठाए और बेरोजगारी को दूर करने के प्रयास करे। साथ ही, बीपीएल श्रेणी में शामिल लोगों की जांच को ईमानदारी से पूरा किया जाए, ताकि सही और योग्य लोगों को ही लाभ मिल सके।

हरियाणा की 70% आबादी का बीपीएल श्रेणी में आना एक बड़ी समस्या है और इसके समाधान के लिए मजबूत योजनाओं और नीतियों की आवश्यकता है। अब देखना यह होगा कि सरकार इस दिशा में क्या कदम उठाती है और कैसे हरियाणा की जनता को गरीबी के दलदल से बाहर निकालने का प्रयास करती है।

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