दो महिलाओं पर जानलेवा हमला, दो पशु भी जख्मी
हरियाणा के फतेहाबाद जिले के गांव बीघड़ में नहर के पास स्थित एक ढाणी में गीदड़ के जानलेवा हमले से इलाके में खौफ का माहौल बन गया है। गीदड़ ने न केवल दो महिलाओं को गंभीर रूप से घायल किया बल्कि ढाणी में मौजूद दो पशुओं को भी जख्मी कर दिया। इन घटनाओं के बाद ग्रामीणों में भय और असुरक्षा की भावना गहराने लगी है।
सुबह के वक्त शुरू हुई घटना
पीड़िता रितु ने बताया कि जब वह सुबह पशुओं के लिए चारा तैयार कर रही थी, तभी अचानक एक गीदड़ वहां आ धमका। गीदड़ ने बिना किसी चेतावनी के रितु पर हमला कर दिया, जिससे उसे गंभीर चोटें आईं। गीदड़ ने पास बंधे दो पशुओं को भी अपनी हिंसा का शिकार बना लिया। यह सिलसिला यहीं नहीं रुका।
गहरे घाव के बावजूद रितु ने साहस दिखाया और खुद को बचाने की कोशिश की। इसके बाद गीदड़ पास के एक घर में जा घुसा, जहां उसने दूसरी महिला, सुमित्रा, पर हमला कर दिया।
“हाथ और चेहरे पर गहरी चोटें आईं” – सुमित्रा
दूसरी पीड़िता, सुमित्रा ने बताया कि जब गीदड़ उसके घर में घुसा, तो उसने बिना किसी देरी के उन पर हमला बोल दिया। सुमित्रा को हाथ और चेहरे पर गंभीर चोटें आईं, जिससे उन्हें असहनीय दर्द का सामना करना पड़ा। सुमित्रा ने कहा, “पहले गीदड़ की संख्या कम थी और वे हिंसक नहीं थे। लेकिन अब वे न केवल बढ़ गए हैं, बल्कि उनके हमले भी बेहद घातक हो गए हैं।”
घटनास्थल का दृश्य: भय और खून के निशान
हमले के तुरंत बाद ढाणी में अफरा-तफरी मच गई। महिलाओं के चीखने-चिल्लाने पर पड़ोसी दौड़कर मौके पर पहुंचे और किसी तरह गीदड़ को वहां से भगाया। गीदड़ द्वारा घायल किए गए पशु जमीन पर खून से लथपथ पड़े थे। ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने पहले कभी इतनी हिंसक घटना नहीं देखी।
नागरिक अस्पताल में इलाज जारी
दोनों घायल महिलाओं, रितु और सुमित्रा, को फतेहाबाद के नागरिक अस्पताल में भर्ती कराया गया है। डॉक्टरों के अनुसार, उनकी स्थिति गंभीर है लेकिन खतरे से बाहर हैं। पशु चिकित्सक भी जख्मी पशुओं का इलाज कर रहे हैं।
बढ़ती गीदड़ की संख्या और हिंसक प्रवृत्ति
ग्रामीणों ने बताया कि इलाके में गीदड़ की संख्या हाल के वर्षों में काफी बढ़ गई है। पहले ये जंगली जानवर सिर्फ कचरे के ढेर या जंगलों में ही दिखते थे, लेकिन अब ये इंसानों और उनके घरों तक पहुंचने लगे हैं। उनका कहना है कि यह स्थिति वन विभाग और स्थानीय प्रशासन के लिए एक चेतावनी है।
प्रशासन और वन विभाग की प्रतिक्रिया
घटना के बाद ग्रामीणों ने वन विभाग और प्रशासन को सूचित किया। वन विभाग ने मौके पर आकर हालात का जायजा लिया और आश्वासन दिया कि गीदड़ को पकड़ने के लिए ट्रैप लगाए जाएंगे। हालांकि, ग्रामीणों ने विभाग की निष्क्रियता पर सवाल उठाए हैं।
“सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम जरूरी”
ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन को गीदड़ की बढ़ती समस्या पर तुरंत कदम उठाना चाहिए। इलाके में गीदड़ के हमले की यह पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी, कुछ किसानों के पशु गीदड़ का शिकार हो चुके हैं।
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आत्मरक्षा के लिए ग्रामीण क्या करें?
वन्य जीवों से सुरक्षित रहने के लिए ग्रामीणों को कुछ उपाय अपनाने चाहिए:
- ढाणियों के आसपास कचरा और भोजन के अवशेष न छोड़ें।
- रात के समय मशालों या रोशनी का प्रयोग करें।
- पशुओं के लिए मजबूत बाड़े बनाएं।
- बच्चों और बुजुर्गों को अकेले बाहर न भेजें।
निष्कर्ष: सतर्क रहें और प्रशासन को जागरूक करें
यह घटना हमें जंगली जानवरों और इंसानी बस्तियों के बढ़ते टकराव का उदाहरण देती है। फतेहाबाद के ग्रामीणों को इस समय न केवल सावधानी बरतनी होगी बल्कि प्रशासन और वन विभाग से समाधान की भी मांग करनी होगी। यदि समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो ऐसी घटनाएं और बढ़ सकती हैं।