45 लाख रुपये की कीमत पर अमेरिका गए 104 भारतीयों की दर्दनाक दास्तान: अपराधियों जैसा सलूक, यातनाएं और डिपोर्ट

45 लाख रुपये की कीमत पर अमेरिका गए 104 भारतीयों की दर्दनाक दास्तान: अपराधियों जैसा सलूक, यातनाएं और डिपोर्ट
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टूटे सपनों और आघातग्रस्त जीवन की कहानी

भारत से अमेरिका जाने का सपना लेकर 45 लाख रुपये की भारी रकम खर्च करने वाले कुरुक्षेत्र के रोबिन सिंह के लिए यह सपना न केवल दुखद अंत तक पहुंचा, बल्कि उन्होंने अपनी यात्रा के दौरान भयानक यातनाएं भी झेली। उनका यह अनुभव न केवल एक व्यक्ति की पीड़ा है, बल्कि यह उन हजारों भारतीयों के संघर्ष और मानसिक शोषण का प्रतीक बन चुका है, जो अवैध रूप से अमेरिका पहुंचने का सपना देखते हैं। यह कहानी न केवल रोबिन के संघर्ष की है, बल्कि उन सभी भारतीयों के दर्द की भी है, जो अपनी उम्मीदों के साथ अमेरिका पहुंचे, लेकिन वहां उन्हें अपराधियों जैसा सलूक सहना पड़ा।

चुनौतियों से भरी यात्रा: सपना और संघर्ष

रोबिन सिंह, जो कुरुक्षेत्र के इस्माईलाबाद के निवासी हैं, ने अपनी जीवन यात्रा का विस्तार से वर्णन किया है। जुलाई 24, 2024 को, उन्होंने मुंबई से अमेरिका के लिए उड़ान भरी थी, और उनके पास थे लाखों सपने—सपने एक बेहतर जीवन के, सपने एक सुरक्षित भविष्य के, सपने अपने परिवार की स्थिति सुधारने के। लेकिन उनका यह सपना एक अंधेरी सुरंग में बदल गया, जहां से वह केवल दर्द और यातना के साथ लौटे।

रोबिन के अनुसार, अमेरिका जाने के लिए उनका सफर किसी युद्ध भूमि से कम नहीं था। सबसे पहले उन्हें गुआना में उतार दिया गया, और फिर माफिया के लोगों ने उन्हें पैदल, समुद्र, जंगल, पहाड़ों के रास्तों से होते हुए ब्राजील, पेरू, और अन्य देशों में भेजा। हर स्थान पर उन्हें माफिया द्वारा धमकियां दी जातीं और उन्हें वहां से दूसरे देशों में भेजने के लिए बड़ी रकम का भुगतान करना पड़ता था। इसके अलावा, कई बार उन्हें अपने परिवार से संपर्क तक नहीं हो पाया था, क्योंकि उनके फोन को जब्त कर लिया जाता था और उन्हें मानसिक शोषण का शिकार बनाया जाता था।

अनहोनी के बाद पहुंचा अमेरिका: लेकिन वहां भी था संकट

22 जनवरी 2025 को, रोबिन सिंह अमेरिका पहुंचे, लेकिन यह खुशी का पल उनके लिए कभी का नहीं रहा। अमेरिका की सीमा में प्रवेश करते ही उन्हें अमेरिकी आर्मी ने गिरफ्तार कर लिया और उसे एक कैंप में भेज दिया गया। कैंप में वह शारीरिक और मानसिक यातनाओं का सामना करते रहे, जहां उन्हें कोई उचित सुविधा नहीं दी गई। सर्दी में भी एसी चालू कर दिया जाता, उन्हें आधे पेट खाना दिया जाता, और रात में पांच-पांच बार एटेंडेंस चेक किया जाता था, जिससे वह ठीक से सो भी नहीं पाते थे।

‘अपराधियों जैसा सलूक’: रोबिन की दु:ख भरी कहानी

रोबिन ने अपनी आंखों में आंसू भरकर बताया, “यह सब सहने के बाद उम्मीद थी कि शायद एक दिन मेरे सपने पूरे होंगे। लेकिन 2 फरवरी 2025 को, मुझे अपराधियों की तरह हथकड़ी और पैरों में बेड़ियां डालकर, एक बस के जरिए आर्मी के विमान तक पहुंचाया गया।” इस तरह, उसने अपनी यात्रा को समाप्त किया, लेकिन उसकी पीड़ा यहीं खत्म नहीं हुई। अमेरिका से डिपोर्ट होने के बाद, उसके सारे सपने चूर हो गए, और उसकी पूरी उम्मीदें ध्वस्त हो गईं।

वादा तो एक महीने का था, लेकिन छह महीने तक यातनाएं झेलनी पड़ीं

रोबिन ने यह भी बताया कि वह पहले से ही जानता था कि अमेरिका जाने के लिए एक एजेंट से संपर्क किया था, जिसने उसे वादा किया था कि वह एक महीने में उसे अमेरिका पहुंचा देगा। एजेंट ने उसे 39 लाख रुपये लेकर यह वादा किया था, लेकिन जब पूरा पैसा दे दिया गया, तो उसे जंगलों और समुद्र के रास्ते से गुजरते हुए यातनाओं का सामना करना पड़ा।

‘डिपोर्ट’ हुए 104 भारतीय: महिलाएं और बच्चे भी थे साथ

रोबिन के साथ और भी भारतीय थे, जो अमेरिका से डिपोर्ट हुए थे। अमेरिका से लौटते समय उनके विमान में 104 भारतीय थे, जिनमें करीब 30 महिलाएं और 15 बच्चे शामिल थे। उन सभी को हथकड़ियां और बेड़ियां डालकर अपराधियों जैसा सलूक किया गया। अमेरिकी सेना के अधिकारियों का कहना था कि यह तो बस शुरुआत है, और आने वाले समय में ऐसे और भी विमान भारत जाएंगे। यह बयान भारतीयों के लिए कड़ी चेतावनी साबित हुआ, जो कभी सपना लेकर अमेरिका जाते हैं, लेकिन वहां उनका हाल बदतर हो जाता है।

कर्ज और संपत्ति बेचने का था भारी दबाव

रोबिन के पिता, मनजीत सिंह ने बताया कि उनका बेटा परिवार का सबसे छोटा सदस्य था, और उन्होंने बड़े अरमानों से उसे अमेरिका भेजने का निर्णय लिया था। 45 लाख रुपये की भारी रकम जुटाने के लिए, उन्होंने न केवल कर्ज लिया, बल्कि अपनी संपत्ति भी बेच डाली। उन्होंने एजेंट से वादा किया था कि उनका बेटा एक महीने में अमेरिका पहुंच जाएगा, लेकिन इसके बजाय उनका बेटा महीनों तक जंगलों और समुद्र के रास्ते यात्रा करता रहा और अंत में उन्हें मानसिक और शारीरिक यातनाएं सहनी पड़ीं।

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निष्कर्ष: कई लोगों के लिए एक कड़वी सच्चाई

रोबिन सिंह का दर्दनाक अनुभव यह साबित करता है कि अमेरिका जाने का सपना कभी-कभी इतनी कठोर और अमानवीय यात्रा में बदल सकता है कि वह जीवनभर के लिए एक मानसिक आघात बन जाता है। हरियाणा के इस छोटे से गांव से अमेरिका जाने के लिए निकले एक युवक की यह कहानी उन हजारों भारतीयों की पीड़ा का प्रतीक है, जो अपनी जिंदगी को बेहतर बनाने के सपने के साथ खतरों से भरी यात्रा पर निकल पड़ते हैं, केवल इस उम्मीद में कि एक दिन उनका सपना सच होगा।

यह घटना भारतीयों के लिए एक चेतावनी है कि ऐसी अवैध यात्रा और अनजान एजेंटों से बचें, क्योंकि अंत में यह न केवल आपके सपनों को चूर कर सकती है, बल्कि आपकी मानसिक और शारीरिक स्थिति को भी खतरे में डाल सकती है।

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