आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता सोमनाथ भारती ने नरेंद्र मोदी के तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने पर अपना सिर मुंडवाने का वादा किया था, लेकिन अब उन्होंने अपना वादा पूरा करने से इनकार कर दिया है। भारती ने स्पष्ट किया कि मोदी का तीसरा कार्यकाल केवल उनकी अपनी जीत नहीं है, बल्कि यह एनडीए के सहयोगी दलों के संयुक्त प्रयासों का नतीजा है।
सोमनाथ भारती का बयान
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, सोमनाथ भारती ने कहा, “मैंने कहा था कि अगर नरेंद्र मोदी तीसरे कार्यकाल के लिए चुने गए, तो मैं अपना सिर मुंडवा लूंगा। लेकिन पीएम मोदी अपने दम पर नहीं जीते हैं, उन्होंने अपने गठबंधन के समर्थन से चुनाव जीता है।”
उन्होंने आगे कहा, “मैं अपने शब्दों पर कायम हूं, लेकिन वे अपने दम पर नहीं जीते हैं, तो यह उनकी जीत नहीं है। इसलिए, जैसा कि मैंने कहा अगर वे स्वतंत्र रूप से नहीं जीते हैं, तो मैं अपना सिर मुंडवाऊंगा।”
आलोचना और जवाब
सोमनाथ भारती ने यह भी कहा कि “जिस प्रकार से चुनाव प्रचार के दौरान गलत भाषा का प्रयोग किया गया, उससे पता चलता है कि बीजेपी का विश्वास खत्म हो गया है और वे जीत नहीं रहे हैं। जमीनी हकीकत यह है कि भाजपा को वोट नहीं पड़ रहा है।”
उन्होंने यह भी कहा था कि “इन्होंने गलतियां इतनी की हैं कि अगर ये हार गए तो हिसाब-किताब का डर है। इनका सीधे तरीके से जीतना असंभव है। सनातनी होने के नाते जब किसी की मृत्यु होती है, तो सिम्बोलिक रूप में सिर मुंडवा कर संदेश देते हैं और उसी तर्ज पर मैंने सिर मुंडवाने की बात कही है।”
बीजेपी की प्रतिक्रिया
मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के बाद, दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट में सोमनाथ भारती से तुरंत अपना सिर मुंडवाने की मांग की। कपूर ने कहा, “हम जानते हैं कि आम आदमी पार्टी के नेताओं को अपने शब्दों का कोई सम्मान नहीं है, लेकिन इस बार लोग चाहते हैं कि सोमनाथ भारती या तो अपना सिर मुंडवा लें या सार्वजनिक जीवन छोड़ दें।”
चुनावी नतीजों पर भारती की टिप्पणी
सोमनाथ भारती ने आगे कहा कि “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एनडीए के सहयोगी दलों के समर्थन से चुनाव जीता है, और इसे उनकी व्यक्तिगत जीत नहीं माना जा सकता। इसलिए, मैंने अपने सिर मुंडवाने का वादा सिर्फ उनकी व्यक्तिगत जीत पर किया था, जो पूरी नहीं हुई।”
राजनीतिक विश्लेषण
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, भारती का यह बयान उनके राजनीतिक दृष्टिकोण और उनके द्वारा किए गए वादों की जिम्मेदारी को दर्शाता है। उन्होंने अपने वादे को न निभाने का कारण मोदी की जीत को एनडीए के सहयोगी दलों की सामूहिक जीत के रूप में बताया, जो उनके अनुसार उनके वादे को पूर्णता नहीं देता।
सोमनाथ भारती का बयान और उनके द्वारा किया गया वादा न निभाने का निर्णय एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटना है, जो आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच चल रहे राजनीतिक संघर्ष को उजागर करता है। भारती का यह कदम उनके समर्थकों और विरोधियों के बीच मिश्रित प्रतिक्रियाओं का कारण बना है।
यह देखना दिलचस्प होगा कि आगे चलकर इस मुद्दे पर और क्या राजनीतिक प्रतिक्रियाएं सामने आती हैं और इसका भारतीय राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ता है।