बदलापुर में दो बच्चियों के साथ यौन उत्पीड़न के बाद भारी विरोध प्रदर्शन
महाराष्ट्र के बदलापुर शहर में दो नन्हीं बच्चियों के साथ हुए यौन उत्पीड़न की घटना ने पूरे इलाके में आक्रोश पैदा कर दिया। घटना के सामने आने के बाद हजारों लोग सड़कों पर उतर आए और रेलवे ट्रैक पर जाम लगाकर अपना गुस्सा जाहिर किया। इस विरोध प्रदर्शन ने मुंबई-पुणे रेलवे सेवा को घंटों तक ठप कर दिया, जिसके कारण कई यात्रियों को असुविधा का सामना करना पड़ा। प्रदर्शनकारियों ने स्कूल में भी जमकर तोड़फोड़ की, जिसके बाद पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा और इंटरनेट सेवाएं भी बंद करनी पड़ीं।
300 लोगों पर FIR, 40 से अधिक गिरफ्तार, कोर्ट में पेशी की तैयारी
इस पूरे मामले में ठाणे पुलिस ने 300 से अधिक प्रदर्शनकारियों के खिलाफ FIR दर्ज की है और 40 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार किए गए लोगों को जल्द ही कोर्ट में पेश किया जाएगा। पुलिस ने इस मामले में सख्त कार्रवाई करते हुए स्थिति को नियंत्रित करने की पूरी कोशिश की है। ठाणे पुलिस के मुताबिक, गिरफ्तार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।
यौन उत्पीड़न की घटना: कब और कैसे हुई?
बदलापुर की इस घटना ने पूरे शहर को झकझोर कर रख दिया। 13 अगस्त को स्कूल के टॉयलेट में दो किंडरगार्टन की बच्चियों के साथ यौन उत्पीड़न की घटना हुई। यह मामला तब सामने आया जब 16 अगस्त को एक बच्ची ने अपने माता-पिता को इस घटना के बारे में बताया। बच्ची की आपबीती सुनते ही उसके माता-पिता ने स्कूल और पुलिस से संपर्क किया, लेकिन पुलिस की कथित लापरवाही ने लोगों के गुस्से को और बढ़ा दिया।
आरोपी की पहचान और गिरफ्तारी
इस मामले में आरोपी अक्षय शिंदे, जो स्कूल का सफाई कर्मचारी था, को 17 अगस्त को गिरफ्तार कर लिया गया। उसे 1 अगस्त को कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर स्कूल में नियुक्त किया गया था। आरोपी को कल्याण कोर्ट में पेश किया गया, लेकिन मीडिया को कोर्ट परिसर में जाने की अनुमति नहीं दी गई। आरोपी के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की मांग की जा रही है।
स्कूल प्रशासन पर उठे सवाल
इस घटना के बाद स्कूल प्रशासन पर भी गंभीर सवाल उठाए गए हैं। पीड़ित बच्चियों के माता-पिता का आरोप है कि पुलिस ने उनकी शिकायत दर्ज करने में 12 घंटे की देरी की, जिससे लोगों में गुस्सा और बढ़ गया। इसके अलावा, स्कूल के सीसीटीवी कैमरे काम नहीं कर रहे थे, जिससे इस मामले में जांच और भी मुश्किल हो गई। माता-पिता ने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि स्कूल में लड़कियों के टॉयलेट की सफाई के लिए महिला कर्मचारी की नियुक्ति क्यों नहीं की गई थी।
विरोध प्रदर्शन: रेलवे ट्रैक जाम और हिंसक घटनाएं
इस घटना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन उग्र हो गया। हजारों लोग बदलापुर रेलवे स्टेशन पर एकत्रित हुए और रेलवे ट्रैक पर बैठ गए, जिससे 12 एक्सप्रेस और मेल ट्रेनों का रूट बदलना पड़ा। 30 लोकल ट्रेनों को आंशिक रूप से रद्द करना पड़ा और कुछ लंबी दूरी की ट्रेनों का रूट भी बदल दिया गया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने स्कूल पर पत्थरबाजी की और तोड़फोड़ की, जिसके चलते स्कूल की इमारत को भी नुकसान पहुंचा। इसके अलावा, एक बस को भी क्षतिग्रस्त कर दिया गया।
पुलिस की कार्रवाई: लाठीचार्ज और इंटरनेट सेवाएं बंद
प्रदर्शनकारी नौ घंटे तक रेलवे ट्रैक पर डटे रहे, जिसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज कर पटरियों को खाली कराया और विरोध प्रदर्शन को खत्म किया। इस दौरान इंटरनेट सेवाओं को भी बंद कर दिया गया ताकि किसी भी तरह की अफवाह न फैल सके। बदलापुर में तनावपूर्ण स्थिति को देखते हुए पुलिस ने किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए।
महाराष्ट्र सरकार की प्रतिक्रिया: SIT का गठन और फास्ट-ट्रैक कोर्ट की तैयारी
महाराष्ट्र सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए तुरंत कार्रवाई के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मामले की जांच में कथित लापरवाही के लिए एक सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर सहित तीन पुलिस अधिकारियों को निलंबित करने का आदेश दिया। इसके साथ ही, सीनियर आईपीएस अधिकारी आरती सिंह की अध्यक्षता में एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया गया है।
उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने ठाणे पुलिस आयुक्त को मामले की सुनवाई फास्ट-ट्रैक कोर्ट में करने के लिए प्रस्ताव तैयार करने का निर्देश दिया है, ताकि जल्द से जल्द न्याय मिल सके। इस बीच, आरोपी को तीन दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया है।
विपक्ष का आरोप: पुलिस की लापरवाही और देरी
इस घटना को लेकर विपक्षी दलों ने राज्य सरकार और पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। विपक्ष का कहना है कि पीड़ित बच्चियों के माता-पिता को बदलापुर पुलिस स्टेशन में 11 घंटे तक इंतजार करना पड़ा, जिसके बाद ही उनकी शिकायत दर्ज की गई।
एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले का विरोध प्रदर्शन
एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने इस घटना के विरोध में महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि इस घटना ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया है और सरकार को जल्द से जल्द दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।
निष्कर्ष: क्या न्याय मिल पाएगा?
बदलापुर की यह घटना न सिर्फ एक व्यक्तिगत त्रासदी है, बल्कि यह पूरे समाज के लिए एक चेतावनी है कि हम अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर कितने असावधान हो सकते हैं। इस मामले में पुलिस और प्रशासन की लापरवाही ने लोगों के गुस्से को और भड़का दिया है। अब सवाल यह है कि क्या सरकार और न्यायपालिका इस मामले में दोषियों को सख्त सजा दिला पाएगी, या फिर यह घटना भी अन्य मामलों की तरह वक्त के साथ धुंधली हो जाएगी। जनता अब न्याय की प्रतीक्षा में है और यह देखना होगा कि इस मामले में क्या कदम उठाए जाते हैं।