अतुल सुभाष सुसाइड केस और सुप्रीम कोर्ट की नई गाइडलाइंस: जानिए तलाक और गुजारा भत्ता से जुड़े कानून

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बेंगलुरु के एआई इंजीनियर अतुल सुभाष मोदी की आत्महत्या का मामला न केवल व्यक्तिगत त्रासदी है, बल्कि इसने तलाक और गुजारा भत्ता से जुड़े कानूनों पर राष्ट्रीय चर्चा छेड़ दी है। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में तलाक के बाद गुजारा भत्ता (एलिमनी) से संबंधित नई गाइडलाइंस जारी की हैं, जो कि इस विषय को और अधिक प्रासंगिक बनाती हैं। आइए जानते हैं कि हमारे देश में इस संदर्भ में क्या प्रावधान हैं और सुप्रीम कोर्ट ने किन बिंदुओं को ध्यान में रखने का सुझाव दिया है।

अतुल सुभाष सुसाइड केस: क्या है पूरा मामला?

बेंगलुरु की एक प्रतिष्ठित कंपनी में काम करने वाले एआई इंजीनियर अतुल सुभाष मोदी ने 9 दिसंबर को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। उन्होंने अपनी मौत के लिए अपनी पत्नी निकिता सिंघानिया और उनके ससुराल वालों को जिम्मेदार ठहराया।

सुसाइड नोट और वीडियो से खुलासा:

मौत से पहले अतुल ने डेढ़ घंटे लंबा एक वीडियो पोस्ट किया और 24 पन्नों का सुसाइड नोट छोड़ा। इस नोट में उन्होंने आरोप लगाया कि निकिता और उनके परिवार ने उन्हें मानसिक और आर्थिक रूप से परेशान किया। उन्होंने बताया कि निकिता ने शुरुआत में सेटलमेंट के लिए 1 करोड़ रुपये की मांग की थी, जिसे बाद में बढ़ाकर 3 करोड़ रुपये कर दिया।

ज्यूडिशियल सिस्टम पर सवाल:

अतुल ने अपने सुसाइड नोट में फैमिली कोर्ट की जज रीता कौशिक पर रिश्वत मांगने का भी आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि जज ने सेटलमेंट कराने के लिए 5 लाख रुपये की मांग की थी।

रिश्ते की शुरुआत और अंत:

अतुल और निकिता की शादी 2019 में हुई थी, लेकिन सालभर बाद ही दोनों अलग हो गए। इसके बाद तलाक और गुजारा भत्ता को लेकर कानूनी लड़ाई शुरू हुई, जिसमें निकिता ने नाबालिग बेटे की ओर से हर महीने 2 लाख रुपये गुजारा भत्ता की मांग की थी।

सुप्रीम कोर्ट की नई गाइडलाइंस

सुप्रीम कोर्ट ने तलाक के बाद गुजारा भत्ता तय करने के लिए आठ अहम बिंदुओं की पहचान की है। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस प्रसन्ना बी वरसाले की बेंच ने कहा कि ये बिंदु किसी फॉर्मूले की तरह लागू नहीं होंगे, लेकिन इन्हें सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस के रूप में अपनाया जा सकता है।

8 प्रमुख फैक्टर्स:

  1. सामाजिक और आर्थिक स्थिति: पति-पत्नी और उनके बच्चों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखा जाएगा।
  2. जरूरतें: पत्नी और बच्चों की बुनियादी और विशेष जरूरतों का मूल्यांकन होगा।
  3. योग्यता और रोजगार: पत्नी और बच्चों की योग्यता और उनकी रोजगार की स्थिति पर विचार होगा।
  4. कमाई और संपत्ति: पति की कुल कमाई और संपत्ति की जानकारी ली जाएगी।
  5. ससुराल में जीवनस्तर: शादी के बाद पत्नी का जीवनस्तर कैसा था, इसे देखा जाएगा।
  6. नौकरी छोड़ने की मजबूरी: पत्नी ने शादी के बाद अगर परिवार की जिम्मेदारियों के लिए नौकरी छोड़ी है, तो इसे ध्यान में रखा जाएगा।
  7. मुकदमेबाजी का खर्च: पत्नी को अगर मुकदमेबाजी के लिए अतिरिक्त खर्च करना पड़ रहा है, तो इसे भी शामिल किया जाएगा।
  8. आर्थिक क्षमता: पति की आर्थिक क्षमता और जिम्मेदारियों का आकलन किया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस की आवश्यकता क्यों?

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि गुजारा भत्ता की रकम ऐसी होनी चाहिए कि पति को यह सजा के रूप में महसूस न हो। लेकिन यह इतनी भी कम न हो कि तलाकशुदा पत्नी और बच्चों की बुनियादी जरूरतें पूरी न हो सकें।

“किरण ज्योत बनाम अनीश प्रमोद पटेल” केस का संदर्भ:

सुप्रीम कोर्ट ने अपने पिछले फैसले का हवाला देते हुए कहा कि यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि गुजारा भत्ता की रकम तलाकशुदा पत्नी को एक बेहतर जीवन जीने में मदद करे।

कानून के प्रावधान: गुजारा भत्ता और संपत्ति में हिस्सेदारी

भारतीय कानून में प्रावधान:

सीआरपीसी की धारा 125 और नए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 144 में गुजारा भत्ता का प्रावधान है। यह कहता है कि पति अपनी पत्नी, बच्चों और माता-पिता को गुजारा भत्ता देने से इनकार नहीं कर सकता। इसमें नाजायज लेकिन वैध बच्चे भी शामिल हैं।

पत्नी को किन स्थितियों में गुजारा भत्ता मिलेगा?

  1. तलाकशुदा पत्नी को गुजारा भत्ता तब मिलेगा जब उसने दोबारा शादी नहीं की हो।
  2. अगर पति किसी अन्य महिला के साथ संबंध रखता है या शादी का वादा करता है, तो पत्नी तलाक लेकर गुजारा भत्ता मांग सकती है।

किन परिस्थितियों में नहीं मिलेगा गुजारा भत्ता?

  1. अगर पत्नी बिना किसी कारण पति से अलग रहती है।
  2. अगर पत्नी किसी अन्य पुरुष के साथ संबंध रखती है।
  3. अगर दोनों ने आपसी सहमति से अलग होने का फैसला किया है।

गुजारा भत्ता की राशि कैसे तय होगी?

गुजारा भत्ता की राशि तय करने का अधिकार मजिस्ट्रेट के पास है। यह रकम पति की आय और पत्नी की जरूरतों के आधार पर समय-समय पर संशोधित की जा सकती है।

क्या होता है अगर गुजारा भत्ता नहीं दिया जाता?

अगर कोर्ट के आदेश के बावजूद गुजारा भत्ता नहीं दिया गया, तो संबंधित व्यक्ति पर जुर्माना और कम से कम एक महीने की जेल की सजा हो सकती है।

संपत्ति में हिस्सेदारी का अधिकार

क्या तलाकशुदा पत्नी को पति की संपत्ति में हिस्सा मिलता है?

हिंदू उत्तराधिकार कानून, 1956 के तहत, तलाकशुदा पत्नी को पति की पैतृक संपत्ति में कोई अधिकार नहीं होता। हालांकि, पति की व्यक्तिगत संपत्ति में पत्नी का दावा हो सकता है।

बच्चों का हक:

तलाकशुदा बच्चों को पिता की संपत्ति में अधिकार है। अगर तलाक के बाद पति दूसरी शादी करता है, तो उसकी संपत्ति का बंटवारा बच्चों के बीच समान रूप से होगा।

निष्कर्ष

अतुल सुभाष सुसाइड केस ने तलाक और गुजारा भत्ता के मुद्दे को नए सिरे से उजागर किया है। सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस और भारतीय कानून के प्रावधान महिलाओं, बच्चों और परिवार के अन्य सदस्यों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हैं। लेकिन यह भी जरूरी है कि इन प्रावधानों का दुरुपयोग न हो। इस मामले से जुड़े तथ्य हमें भारतीय न्याय प्रणाली की जटिलताओं और सामाजिक-आर्थिक वास्तविकताओं के प्रति जागरूक करते हैं।

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