‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ से 3 लाख करोड़ रुपये की होगी बचत: जम्मू में बोले राजनाथ सिंह

राजनाथ सिंह
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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को जम्मू में एक विशाल रैली को संबोधित करते हुए ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ (वन नेशन, वन इलेक्शन) की योजना पर विस्तार से बात की। उन्होंने कहा कि अगर यह योजना लागू होती है, तो इससे देश को तीन लाख करोड़ रुपये की बचत हो सकती है। इसके साथ ही, उन्होंने कांग्रेस पर भी तीखा हमला किया और उसकी नीतियों को देश के लिए विभाजनकारी बताया। इस दौरान उन्होंने सिख समुदाय के प्रति अपनी पार्टी की प्रतिबद्धता का भी उल्लेख किया। आइए जानते हैं इस पूरे घटनाक्रम की विस्तार से जानकारी।

‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ की योजना क्या है?

भारत एक लोकतांत्रिक देश है, जहाँ समय-समय पर अलग-अलग स्तरों पर चुनाव होते हैं। लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं, जिससे खर्च और प्रशासनिक संसाधनों का भारी उपयोग होता है। इसी को ध्यान में रखते हुए ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ की योजना बनाई गई है। इस योजना के तहत पूरे देश में लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने का प्रस्ताव है, जिससे खर्चों में भारी कमी आएगी और प्रशासनिक संसाधनों का सही उपयोग हो सकेगा।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस योजना के फायदे गिनाते हुए कहा कि इससे प्रशासनिक मशीनरी का बेहतर उपयोग किया जा सकेगा, और वित्तीय संसाधनों की भी बचत होगी। उन्होंने कहा, “हम विधानसभा और लोकसभा चुनावों को एक साथ कराने का बिल लाने जा रहे हैं और सभी पार्टियों को इसके लिए एक मंच पर लाने की कोशिश की जा रही है।”

खर्चों में होगी भारी बचत

रक्षा मंत्री ने कहा कि अगर देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होते हैं तो इससे लगभग तीन लाख करोड़ रुपये की बचत हो सकती है। इस योजना के लागू होने से चुनावों पर होने वाले खर्चों में कटौती होगी, जो सरकार के लिए एक बड़ा वित्तीय लाभ साबित हो सकता है। साथ ही, उन्होंने कहा कि चुनावों में होने वाले खर्च के कारण विकास कार्यों में भी रुकावट आती है, जिसे कम करने के लिए यह योजना महत्वपूर्ण साबित होगी।

“इस योजना के तहत देश में हर पांच साल में एक बार चुनाव होंगे, जिससे बार-बार चुनाव कराने की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी और सरकारें विकास कार्यों पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगी।”

प्रशासनिक संसाधनों का बेहतर उपयोग

राजनाथ सिंह ने इस योजना के कई अन्य फायदे भी गिनाए, जिसमें प्रशासनिक संसाधनों का उचित उपयोग प्रमुख है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में हर चुनाव के लिए भारी संख्या में सुरक्षा बलों और चुनाव अधिकारियों की आवश्यकता होती है, जिससे देश की प्रशासनिक मशीनरी पर भारी बोझ पड़ता है। यदि ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ की योजना लागू होती है, तो इससे प्रशासनिक संसाधनों की खपत कम होगी और सरकार इन संसाधनों का उपयोग अन्य महत्वपूर्ण कार्यों में कर सकेगी।

चुनावों में मतदाताओं की बढ़ेगी भागीदारी

रक्षा मंत्री ने कहा कि एक साथ चुनाव होने से मतदाताओं की भागीदारी में भी वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि जब एक ही समय में देशभर में चुनाव होंगे, तो मतदाताओं को बार-बार मतदान के लिए बाहर आने की आवश्यकता नहीं होगी। इससे चुनावी प्रक्रिया आसान हो जाएगी और लोग बिना किसी झंझट के एक ही बार में अपना वोट डाल सकेंगे।

“एक चुनाव कैलेंडर होने से जनता को भी सुविधा होगी और सरकारें भी अपने काम पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगी।”

स्थानीय रक्षा निर्माण पर जोर

रक्षा मंत्री ने इस रैली में सिर्फ ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ की बात नहीं की, बल्कि देश की सुरक्षा और स्थानीय रक्षा उत्पादन पर भी ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने कहा कि भारत बम, टैंक और मिसाइलों का स्थानीय निर्माण करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। यह पहल ‘मेक इन इंडिया’ के तहत की जा रही है, जिसका उद्देश्य भारत को रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना है।

उन्होंने कहा, “हमारे देश में रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़े कदम उठाए जा रहे हैं। हम अपनी सेना के लिए बम, टैंक और मिसाइलों का स्थानीय स्तर पर निर्माण कर रहे हैं, जिससे न केवल हमारी सुरक्षा मजबूत होगी बल्कि रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।”

कांग्रेस पर हमला: ‘विभाजनकारी राजनीति’

रक्षा मंत्री ने अपने भाषण में कांग्रेस पार्टी पर भी तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की राजनीति विभाजनकारी रही है और वह हमेशा से देश को बांटने का काम करती आई है। राजनाथ सिंह ने कहा कि विपक्षी नेता विदेशी धरती पर भारत के खिलाफ झूठ फैला रहे हैं। उनका सीधा इशारा कांग्रेस नेता राहुल गांधी की हाल ही की अमेरिका यात्रा की तरफ था, जहाँ उन्होंने सिखों और उनके धर्म के बारे में कुछ बातें कहीं, जो विवादित रही थीं।

“राहुल गांधी ने ऐसी झूठी बातें फैलाईं, जिन्हें पाकिस्तान की ISI भी नहीं फैला सकती। सिखों के योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता, और भाजपा हमेशा देश के सिखों के साथ खड़ी रहेगी।”

सिख समुदाय के प्रति भाजपा की प्रतिबद्धता

राजनाथ सिंह ने अपने भाषण में सिख समुदाय का विशेष उल्लेख किया और कहा कि भाजपा हमेशा से सिख समुदाय के साथ खड़ी रही है। उन्होंने कहा कि सिखों का योगदान भारत के इतिहास में अतुलनीय रहा है और भाजपा इसे कभी नहीं भुला सकती।

उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि इस पार्टी ने न केवल सिख समुदाय को बांटा, बल्कि उनके “जातीय नरसंहार” में भी शामिल रही है। राजनाथ सिंह ने कहा, “कांग्रेस ने पंजाब और कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा दिया और सिख समुदाय के खिलाफ षड्यंत्र रचा।”

‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ से देश को मिलेगा बड़ा लाभ

राजनाथ सिंह ने अपने भाषण के अंत में कहा कि ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ की योजना से देश को बड़े फायदे होंगे। उन्होंने कहा कि इससे देश के वित्तीय संसाधनों की बचत होगी, प्रशासनिक मशीनरी का सही उपयोग होगा और चुनाव प्रक्रिया में मतदाताओं की भागीदारी भी बढ़ेगी।

“यह एक राष्ट्र, एक चुनाव का विचार केवल भाजपा का नहीं है, बल्कि यह देश की प्रगति और विकास के लिए एक आवश्यक कदम है। हम सभी राजनीतिक दलों को इसके लिए साथ लाने का प्रयास कर रहे हैं, ताकि देश एक साथ आगे बढ़ सके।”

क्या ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ संभव है?

हालांकि ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ की योजना पर कई विशेषज्ञों ने सवाल भी उठाए हैं। कुछ का मानना है कि यह योजना भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में लागू करना कठिन हो सकता है, क्योंकि विभिन्न राज्यों के चुनावी मुद्दे और समय भिन्न होते हैं। इसके अलावा, कुछ राजनीतिक दल इसे एकतरफा कदम मानते हैं और इससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया को नुकसान होने का डर भी जताया जा रहा है।

हालांकि, भाजपा का कहना है कि यह योजना देश को आगे ले जाने के लिए आवश्यक है और इससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत किया जा सकेगा। राजनाथ सिंह ने कहा कि यह कदम देश के विकास के लिए एक ऐतिहासिक निर्णय साबित हो सकता है और इसके लिए सभी दलों को एक साथ आना चाहिए।

निष्कर्ष

‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ की योजना एक बड़े सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। इससे देश के वित्तीय और प्रशासनिक संसाधनों की बचत होगी, और चुनाव प्रक्रिया में सुधार देखने को मिलेगा। हालांकि, इसे लागू करने के लिए राजनीतिक सहमति आवश्यक होगी। अब देखना यह है कि इस योजना पर देश के अन्य राजनीतिक दल क्या रुख अपनाते हैं और यह पहल किस तरह से आगे बढ़ती है।

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