टिकट की रेस में बढ़ी बेचैनी: इंतजार लंबा, धड़कनें तेज

टिकट की रेस में बढ़ी बेचैनी: इंतजार लंबा, धड़कनें तेज
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भाजपा की सूची पर टिकी निगाहें, कांग्रेस समेत अन्य दलों में बढ़ी हलचल

करनाल: हरियाणा में नगर निकाय चुनाव का मैदान पूरी तरह से तैयार है, लेकिन उम्मीदवारों की सूची जारी न होने से सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं। मेयर, चेयरमैन और पार्षद पद के दावेदारों की निगाहें अब सिर्फ एक लिस्ट पर टिकी हैं—भाजपा की प्रत्याशी सूची, जिसका 14 फरवरी तक जारी होने का दावा किया गया था। हालांकि, सूची में हो रही देरी ने न केवल भाजपा बल्कि कांग्रेस, जेजेपी, इनेलो और आप जैसी पार्टियों से ताल्लुक रखने वाले नेताओं की धड़कनें बढ़ा दी हैं।

अब नामांकन की अंतिम तारीख में महज तीन दिन शेष हैं, लेकिन किसी भी पार्टी ने आधिकारिक तौर पर अपने उम्मीदवार घोषित नहीं किए हैं। ऐसे में टिकट के इच्छुक नेताओं में बेचैनी बढ़ रही है, और वे अपनी-अपनी पार्टियों में ऊंचे पदाधिकारियों से संपर्क साधने में जुट गए हैं।

भाजपा में उथल-पुथल, कांग्रेस में भी टिकट की जोड़-तोड़

भाजपा में मेयर पद के लिए अब तक 17 दावेदार सामने आ चुके हैं, जबकि कांग्रेस में सात नेताओं ने अपनी दावेदारी पेश की है। अन्य दलों में भी अंदर ही अंदर लॉबिंग तेज हो गई है।

करनाल नगर निगम में मेयर पद पर अब तक दो बार भाजपा की रेणु बाला गुप्ता विजयी रही हैं, लेकिन यह सीट दोनों बार महिलाओं के लिए आरक्षित थी। इस बार सीट सामान्य होने के कारण पुरुष नेता भी टिकट की रेस में कूद पड़े हैं। यही वजह है कि भाजपा के लिए प्रत्याशी चयन करना एक चुनौती बन गया है। अगर किसी एक को टिकट दी गई, तो अन्य गुट नाराज हो सकते हैं।

भाजपा जिलाध्यक्ष बृज गुप्ता ने कहा है कि सूची 14 फरवरी तक जारी होने की उम्मीद है, जबकि कांग्रेस के प्रभारी पंकज गाबा ने भी कहा कि पार्टी शुक्रवार तक अपने प्रत्याशी घोषित कर सकती है।

टिकट के लिए दावेदारों की ‘सियासी मैराथन’

भाजपा और कांग्रेस के नेताओं की आपसी खींचतान के अलावा जजपा, इनेलो और आम आदमी पार्टी के नेता भी टिकट पाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक रहे हैं।

1. भाजपा: अंतर्कलह और असंतोष की आशंका

भाजपा को इस बार अपने अंदरूनी समीकरण साधने में ज्यादा माथापच्ची करनी पड़ रही है। पार्टी में कई गुट सक्रिय हैं, और यदि किसी एक को टिकट दिया जाता है, तो अन्य गुट असंतोष जता सकते हैं। ऐसे में शीर्ष नेतृत्व को संतुलन बनाना पड़ेगा।

2. कांग्रेस: गुटबाजी पर नियंत्रण की चुनौती

कांग्रेस में भले ही भाजपा जैसी अंदरूनी कलह न हो, लेकिन टिकट को लेकर कई वरिष्ठ नेता और युवा कार्यकर्ता आमने-सामने आ गए हैं। पार्टी को एक ऐसे उम्मीदवार का चयन करना होगा, जो न केवल मजबूत प्रत्याशी हो बल्कि संगठन को भी एकजुट रख सके।

3. जेजेपी और इनेलो: पारंपरिक गढ़ बचाने की कवायद

जेजेपी और इनेलो अपने-अपने पारंपरिक वोटबैंक को मजबूत करने में जुटी हैं। ये पार्टियां भाजपा और कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं को अपने खेमे में लाने का भी प्रयास कर रही हैं।

4. आम आदमी पार्टी: नए चेहरों पर दांव लगाने की तैयारी

आप ने हाल ही में हरियाणा में अपनी सक्रियता बढ़ाई है। पार्टी आम जनता से जुड़े मुद्दों को जोर-शोर से उठा रही है और युवा चेहरों को टिकट देने की रणनीति अपना सकती है।

नेताओं की बेचैनी: टिकट के लिए ‘संपर्क साधने’ की होड़

टिकट की रेस में शामिल उम्मीदवार सिर्फ पार्टी नेतृत्व के फैसले का इंतजार नहीं कर रहे, बल्कि वे पार्टी के बड़े नेताओं, विधायकों और सांसदों से संपर्क साधने में जुटे हैं

  • कुछ दावेदार पार्टी आलाकमान के करीबी नेताओं से मिलकर अपनी दावेदारी पुख्ता करने की कोशिश कर रहे हैं।
  • कुछ ने दिल्ली का रुख किया है, जहां वे केंद्रीय नेतृत्व को प्रभावित करने में लगे हैं।
  • कुछ नेता स्थानीय स्तर पर कार्यकर्ताओं की बैठकें कर रहे हैं, ताकि दबाव बनाया जा सके।

टिकट की लिस्ट से ‘उलटफेर’ की संभावना

सूत्रों के अनुसार, भाजपा और कांग्रेस दोनों ही टिकट वितरण में सरप्राइज फैक्टर ला सकती हैं। यानी कुछ मजबूत दावेदारों को छोड़कर नए चेहरों को मौका मिल सकता है।

भाजपा में ‘नए चेहरे’ ला सकते हैं चौंकाने वाला फैसला

पार्टी में युवा और नए चेहरों को मौका देने की रणनीति बन रही है। यदि ऐसा हुआ तो कई वरिष्ठ नेताओं का टिकट कट सकता है, जिससे असंतोष बढ़ सकता है।

कांग्रेस में पुराने वफादारों और नए चेहरों में टकराव

कांग्रेस उन नेताओं को टिकट देने की तैयारी कर रही है, जो पार्टी के वफादार रहे हैं। लेकिन इससे कई युवा और नए नेताओं की उम्मीदों पर पानी फिर सकता है।

आगे क्या? टिकट के फैसले से बनेगी चुनावी तस्वीर

अगले कुछ घंटों में भाजपा और कांग्रेस की सूची जारी होते ही पूरा समीकरण बदल जाएगा। टिकट से वंचित नेता या तो बगावत कर सकते हैं या फिर अन्य दलों में शामिल हो सकते हैं।

टिकट वितरण से जुड़े बड़े सवाल:

  1. क्या भाजपा पुराने चेहरों को दोहराएगी या नए चेहरों को मौका देगी?
  2. कांग्रेस में गुटबाजी को कैसे संभाला जाएगा?
  3. क्या टिकट से वंचित नेता बगावत करेंगे?
  4. छोटे दलों को क्या भाजपा-कांग्रेस के असंतुष्ट नेता फायदा पहुंचाएंगे?

निष्कर्ष:

निकाय चुनाव में टिकट को लेकर गहमागहमी अपने चरम पर है। जैसे ही भाजपा, कांग्रेस और अन्य दलों की सूची जारी होगी, यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन नेता खुश होते हैं और कौन नाराज। लेकिन एक बात तय है—इस चुनाव में टिकट वितरण ही हार-जीत की दिशा तय करेगा

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