करनाल, हरियाणा: हाल ही में भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे प्रदेश सरकार के खिलाफ नाराज पटवारियों ने अब काम पर लौटने का निर्णय लिया है, जिससे जिले में कामकाजी स्थिति में सुधार की उम्मीद जताई जा रही है। यह फैसला तब लिया गया, जब अधिकारियों और सरकार ने लंबे समय से पटवारियों से संवाद स्थापित करने में कोई प्रगति नहीं की। इसके साथ ही, इनकी तरफ से छोड़ा गया अतिरिक्त हलकों का काम भी अब संभाल लिया गया है।
पटवारियों का सरकार से नाराजगी का सिलसिला
पटवारी कर्मचारी पिछले कुछ महीनों से प्रदेश सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। यह विरोध प्रदर्शन सरकार द्वारा उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए जाने और कार्यक्षेत्र में अनदेखी करने के बाद बढ़ा। प्रदेश भर के पटवारियों ने काली पट्टी बांधकर सरकार के खिलाफ अपनी नाराजगी जताई थी। पिछले दो सप्ताहों से पटवारियों का रोष उबाल पर था, लेकिन कामकाजी जज़्बा भी बरकरार रहा, जिससे उनका रोजाना कार्य रुकने से बचा।
सरकार के खिलाफ आंदोलन की शुरुआत
भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद, प्रदेश सरकार ने उन पटवारियों की एक सूची जारी की थी, जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। इस सूची ने पटवारियों के बीच और अधिक असंतोष को जन्म दिया। परिणामस्वरूप, पटवारी कर्मचारी एकजुट हुए और सरकार के खिलाफ विभिन्न जगहों पर विरोध प्रदर्शन करने लगे। इस विरोध का उद्देश्य सरकार से उनके साथ उचित व्यवहार की मांग करना था।
कामकाजी स्थिति की विडंबना
पटवारियों के विरोध प्रदर्शन के कारण, करनाल जिले की तहसीलों और पटवारखानों में लगभग 35,000 फाइलें लंबित हो गईं। इनमें रिहायशी प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, इंतकाल, जमाबंदी, पैमाइश आदि जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेज शामिल थे। इन कार्यों के लंबित रहने से आम नागरिकों को भी परेशानी का सामना करना पड़ा था।
पटवारियों की वापसी: एक नई उम्मीद
हालांकि सरकार से उचित संवाद न होने के बावजूद, अब पटवारियों ने अपने काम पर लौटने का निर्णय लिया है। यह कदम न केवल करनाल बल्कि पूरे प्रदेश के लिए राहत का संदेश लेकर आया है। इससे जिले में हजारों लंबित फाइलों पर काम शुरू हो सकेगा, और नागरिकों को भी राहत मिलेगी।
गिरदावरी का काम हुआ शुरू
पटवारियों के काम पर लौटने के साथ-साथ गिरदावरी के काम भी फिर से शुरू हो गए हैं। फिलहाल, मौजूदा पटवारी नवनियुक्त ट्रेनी पटवारियों के साथ मिलकर खेतों में जाकर फसलों की गिरदावरी कर रहे हैं। इससे पटवारियों के कार्य में कुछ आसानियां आई हैं, लेकिन जमीनी मामलों से जुड़े अन्य कार्य अब भी पहले जैसे ही लंबित हैं।
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भूमि और संपत्ति से संबंधित मामलों में बढ़ोतरी
पटवारियों के काम पर लौटने से यह तो तय है कि वे उन कार्यों को भी पूरा करेंगे, जो पहले रुक गए थे। हालांकि, भूमि और संपत्ति से जुड़े मामलों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है। ये मामले अक्सर समय पर निपटाए नहीं जा सकते थे, जिससे आम लोगों के लिए परेशानी और बढ़ गई थी।
पटवारी और कानूनगो एसोसिएशन की भूमिका
पटवारी और कानूनगो एसोसिएशन के जिला प्रधान पदम सिंह ने इस बारे में कहा कि, “अब तक सरकार ने हमारे साथ कोई बातचीत नहीं की है। अगर सरकार ने किसी पटवारी के साथ कुछ गलत किया तो प्रदेश संगठन के आदेश पर हम धरना प्रदर्शन करेंगे और आगे की कार्रवाई करेंगे।”
सरकार का रुख
अभी तक, सरकार ने पटवारियों के साथ कोई सार्थक बातचीत नहीं की है। उनके कार्यों को लेकर कोई स्पष्ट समाधान नहीं दिया गया है। पटवारियों के आंदोलन के बाद भी सरकार की ओर से कोई जवाबी कदम नहीं उठाया गया, जिसके कारण उनकी नाराजगी और गहरी हो गई। हालांकि, अब यह निर्णय पटवारियों ने खुद लिया है और काम पर लौटने का रास्ता अपनाया है।
क्या है भविष्य का रास्ता?
जब तक सरकार और पटवारियों के बीच कोई स्थायी समाधान नहीं निकलता, तब तक इस प्रकार की समस्या बनी रह सकती है। पटवारियों के लिए यह एक महत्वपूर्ण मोड़ है, क्योंकि अगर भविष्य में सरकार से संवाद नहीं हो पाता है तो वे फिर से विरोध प्रदर्शन कर सकते हैं।
पटवारियों के काम पर लौटने से एक बार फिर आम जनता को उम्मीद जगी है कि उनके लंबे समय से लटके हुए दस्तावेजों को जल्दी निपटाया जाएगा। इससे प्रशासन के कार्यों में भी कुछ सुधार आ सकता है।
राज्य सरकार का अगला कदम
अब यह देखना होगा कि राज्य सरकार इस स्थिति में सुधार के लिए क्या कदम उठाती है। क्या वह पटवारियों के साथ किसी समझौते तक पहुंच पाती है, या फिर स्थिति फिर से खराब होती है। इसके बावजूद, यह स्थिति प्रदेश के प्रशासनिक ढांचे के लिए एक बड़ा संकेत है कि नागरिकों की सेवा के लिए पटवारियों की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है।
निष्कर्ष
पटवारियों के काम पर लौटने का निर्णय न केवल करनाल बल्कि पूरे राज्य के लिए महत्वपूर्ण है। इसके जरिए सरकार को यह संदेश गया है कि यदि वह प्रशासनिक सुधारों पर ध्यान नहीं देती तो उसका प्रतिकार जनता और कर्मचारियों द्वारा किया जाएगा। इस मामले में अब जो भी अगला कदम उठाया जाएगा, वह प्रशासनिक तंत्र की स्थिरता और जनता की समस्याओं के समाधान के लिहाज से अहम होगा।
आखिरकार, इस स्थिति में सुधार तभी होगा जब सरकार और पटवारी कर्मचारी दोनों के बीच संवाद और समझ बनी रहे।