इजरायल के ‘ऑपरेशन ग्रिम बीपर’ ने हिज्बुल्लाह के कम्युनिकेशन सिस्टम को तबाह कर दिया: कैसे पेजर ब्लास्ट से अंजाम दिए गए 4 बड़े हमले?

इजरायल के 'ऑपरेशन ग्रिम बीपर' ने हिज्बुल्लाह के कम्युनिकेशन सिस्टम को तबाह कर दिया: कैसे पेजर ब्लास्ट से अंजाम दिए गए 4 बड़े हमले?
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इजरायल और हिज्बुल्लाह के बीच की तनातनी किसी से छिपी नहीं है। हाल ही में इजरायल द्वारा एक बेहतरीन और खतरनाक ऑपरेशन को अंजाम दिया गया, जिसे ‘ऑपरेशन ग्रिम बीपर’ नाम दिया गया। इस ऑपरेशन के तहत हजारों पेजर और वॉकी-टॉकी में विस्फोट किए गए, जिनसे लेबनान में 37 लोगों की मौत और 3000 से ज्यादा लोग घायल हो गए। यह ऑपरेशन हाल के इतिहास में सबसे योजनाबद्ध और सावधानीपूर्वक तरीके से किए गए हमलों में से एक माना जा रहा है। आइए जानते हैं इस ऑपरेशन के सभी पहलुओं को विस्तार से।

क्या था ‘ऑपरेशन ग्रिम बीपर’?

ऑपरेशन ग्रिम बीपर इजरायल की एक गुप्त योजना थी, जिसका मुख्य उद्देश्य हिज्बुल्लाह के कम्युनिकेशन सिस्टम को तबाह करना और उसके लड़ाकों की सप्लाई चेन में गहरी घुसपैठ करना था। इस ऑपरेशन के जरिए इजरायल ने एक साथ चार अलग-अलग उद्देश्यों को पूरा किया, जिससे हिज्बुल्लाह को बड़ा नुकसान हुआ। इस ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए इजरायल ने पेजर और वॉकी-टॉकी में छोटे विस्फोटक उपकरण लगाए और उन पर नियंत्रण बनाए रखा, जिससे सटीक समय पर विस्फोट किए जा सके।

एक साथ 4 ऑपरेशन: कैसे इजरायल ने बनाई यह अनोखी रणनीति?

इस ऑपरेशन के जरिए इजरायल ने एक ही समय में 4 अलग-अलग ऑपरेशन अंजाम दिए। इनमें से हर एक ऑपरेशन का अपना खास उद्देश्य था। इजरायल की इस योजना के तहत हिज्बुल्लाह के कम्युनिकेशन सिस्टम को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया गया और उसकी सप्लाई चेन को भी कमजोर किया गया। इस ऑपरेशन की सफलता में इजरायली खुफिया एजेंसियों का बड़ा हाथ था, जिन्होंने हिज्बुल्लाह के अंदरूनी कामकाज को समझा और उनकी कमजोरियों का फायदा उठाया।

पहला ऑपरेशन: हिज्बुल्लाह की सप्लाई चेन में घुसपैठ

इजरायल ने इस ऑपरेशन के जरिए हिज्बुल्लाह की सप्लाई चेन को पूरी तरह से मैप किया। हिज्बुल्लाह को जो पेजर सप्लाई किए गए थे, उनमें छोटे विस्फोटक उपकरण लगाए गए थे। यह उपकरण इतने छोटे थे कि किसी को उन पर शक नहीं हुआ। इजरायली खुफिया एजेंसियों ने हिज्बुल्लाह की सप्लाई चेन को समझने के लिए विदेशों में भी ऑपरेशन चलाए और बुडापेस्ट में एक शेल कंपनी खोलकर इन उपकरणों को हिज्बुल्लाह तक पहुंचाया। इससे यह पता चलता है कि इजरायली एजेंसियों ने कितनी गहराई से इस पूरे ऑपरेशन की योजना बनाई थी।

दूसरा ऑपरेशन: परफेक्ट विस्फोटक उपकरणों का निर्माण

पेजर में विस्फोटक उपकरण लगाने के लिए PETN नामक एक खास प्रकार के विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया। इस विस्फोटक की मात्रा इतनी सही थी कि एक पेजर में न एक ग्राम ज्यादा था और न एक ग्राम कम। इसका मकसद यह था कि पेजर को इतना बड़ा विस्फोटक न बनाया जाए कि उससे शक हो। साथ ही, यह भी ध्यान रखा गया कि इन पेजर में लगे उपकरण से हिज्बुल्लाह के लड़ाकों को नुकसान पहुंचे, पर किसी तरह का बड़ा हंगामा न हो। यह इजरायल के खुफिया एजेंटों की सूक्ष्म योजना और सावधानी का नतीजा था।

तीसरा ऑपरेशन: नकली उपकरणों को लक्ष्यों तक पहुंचाना और ब्लास्ट करना

इजरायल की इस रणनीति का सबसे चुनौतीपूर्ण हिस्सा यह था कि पेजर और वॉकी-टॉकी जैसे उपकरणों को हिज्बुल्लाह के लड़ाकों तक बिना किसी शक के पहुंचाया जाए। इसके लिए इजरायली एजेंटों ने महीनों तक इंतजार किया और सही समय का इंतजार करते रहे। ऑपरेशन की कामयाबी इस बात पर निर्भर थी कि कब और कैसे इन पेजर का इस्तेमाल किया जाएगा।

पेजर के ब्लास्ट होने से पहले, इजरायली एजेंसियों ने सटीक समय का निर्धारण किया और सुनिश्चित किया कि इन उपकरणों के पकड़े जाने का खतरा न हो। इस ऑपरेशन का बड़ा उद्देश्य यह भी था कि इजरायली खुफिया एजेंसियां बिना किसी शक के हिज्बुल्लाह के अंदर घुसपैठ कर सकें। इसी योजना के तहत इजरायल ने सौर पैनलों के जरिए भी निगरानी के उपकरण भेजे थे, जिनका उद्देश्य सीरिया में ईरानी गतिविधियों पर नजर रखना था।

चौथा ऑपरेशन: हिज्बुल्लाह के कम्युनिकेशन सिस्टम को पंगु बनाना

कम्युनिकेशन यानी संचार व्यवस्था किसी भी संगठन की रीढ़ होती है, खासकर जंग के समय। इजरायल का अंतिम और सबसे बड़ा उद्देश्य यही था कि हिज्बुल्लाह की संचार व्यवस्था को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया जाए। इस ऑपरेशन के तहत हिज्बुल्लाह के सभी संचार उपकरण जैसे पेजर, वॉकी-टॉकी और मोबाइल फोन निष्क्रिय कर दिए गए। इससे हिज्बुल्लाह के लड़ाकों के बीच संवाद टूट गया और उनकी योजनाओं पर असर पड़ा।

इजरायल की इस रणनीति का असर इतना व्यापक था कि हिज्बुल्लाह के चीफ हसन नसरल्लाह ने अपने लड़ाकों को आदेश दिया कि वे अपने मोबाइल फोन का इस्तेमाल बंद कर दें। इससे यह साफ हो गया कि हिज्बुल्लाह के खिलाफ इजरायल की खुफिया एजेंसियों की घुसपैठ कितनी गहरी थी।

हिज्बुल्लाह पर इजरायल का प्रहार: क्या होंगे भविष्य के परिणाम?

इजरायल के इस ऑपरेशन के बाद हिज्बुल्लाह की क्षमताओं को बड़ा नुकसान हुआ है। हिज्बुल्लाह की सप्लाई चेन में घुसपैठ, कम्युनिकेशन सिस्टम को ध्वस्त करना और उसके लड़ाकों को पंगु बनाना इजरायल की एक बड़ी कामयाबी मानी जा रही है। इस ऑपरेशन ने न केवल हिज्बुल्लाह की मौजूदा स्थिति को कमजोर किया है, बल्कि उसके भविष्य की योजनाओं पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।

इस ऑपरेशन के बाद इजरायल और हिज्बुल्लाह के बीच तनाव और बढ़ सकता है। हिज्बुल्लाह पर हुए इस हमले से लेबनान में भी इजरायल के खिलाफ गुस्सा बढ़ सकता है। अब देखना होगा कि हिज्बुल्लाह इस हमले का किस तरह से जवाब देता है और इजरायल की इस रणनीति का असर किस हद तक देखने को मिलता है।

क्या यह ऑपरेशन इतिहास का सबसे बड़ा साइबर-हमला था?

इस ऑपरेशन को कई विशेषज्ञ साइबर-हमले का हिस्सा मानते हैं, क्योंकि इसमें इजरायल ने न केवल हिज्बुल्लाह के कम्युनिकेशन सिस्टम को ध्वस्त किया, बल्कि उसकी सप्लाई चेन में भी गहरी घुसपैठ की। इजरायल की यह रणनीति बताती है कि भविष्य में जंग केवल हथियारों से नहीं लड़ी जाएगी, बल्कि तकनीक और खुफिया जानकारी के इस्तेमाल से भी दुश्मनों को कमजोर किया जा सकता है।

इस ऑपरेशन की कामयाबी यह भी दर्शाती है कि इजरायल के खुफिया तंत्र कितने उन्नत हैं और वह किस तरह से अपने दुश्मनों की कमजोरियों का फायदा उठा सकते हैं।

अंत में…

‘ऑपरेशन ग्रिम बीपर’ ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि इजरायल अपनी सुरक्षा और रणनीतिक लक्ष्यों को हासिल करने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। इस ऑपरेशन ने हिज्बुल्लाह को तगड़ा झटका दिया है और उसकी कमजोरियों को उजागर किया है। अब देखना यह होगा कि इजरायल और हिज्बुल्लाह के बीच यह संघर्ष किस दिशा में बढ़ता है और इसका असर लेबनान और पूरे मध्य पूर्व पर किस हद तक पड़ता है।

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