ईरान का मिसाइल प्रोग्राम ठप, इजरायल ने किया सटीक हमला

ईरान का मिसाइल प्रोग्राम ठप, इजरायल ने किया सटीक हमला
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इजरायल ने ईरान के ठोस ईंधन मिसाइल प्रोडक्शन प्लांट पर हमला कर उसके मिसाइल कार्यक्रम को बड़ा झटका दिया है। इजरायली सेना ने ‘ऑपरेशन डेज ऑफ रिपेंटेंस’ के तहत इस हमले को अंजाम दिया, जिसमें ईरान की लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों के निर्माण के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले प्लेनेटरी मिक्सर पूरी तरह नष्ट कर दिए गए।

कैसे हुआ ऑपरेशन डेज ऑफ रिपेंटेंस का आगाज?

इजरायल की सेना आईडीएफ ने शनिवार तड़के इस बड़े हमले की शुरुआत की। जानकारी के मुताबिक, इस ऑपरेशन को नाम दिया गया – ‘ऑपरेशन डेज ऑफ रिपेंटेंस’ यानी पछतावे के दिन। इस ऑपरेशन के तहत इजरायल ने ईरान के कई मिसाइल ठिकानों को तबाह किया। आईडीएफ ने यह दावा किया कि उनका मिशन इरान के सैन्य ठिकानों को नष्ट करना था, न कि आम जनता को नुकसान पहुंचाना।

12 प्लेनेटरी मिक्सर्स ध्वस्त, ईरानी मिसाइल प्रोग्राम को तगड़ा झटका

इजरायली सूत्रों ने बताया कि इजरायली सेना ने उन 12 प्लेनेटरी मिक्सर्स को ध्वस्त कर दिया जिनका उपयोग ईरान ठोस ईंधन बनाने के लिए करता था। ये मिक्सर ईरान के मिसाइल शस्त्रागार में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और इन्हें बनाना बेहद मुश्किल होता है। ईरान ने इन मिक्सर्स को भारी कीमत पर चीन से खरीदा था, और अब उनके नष्ट होने से ईरानी मिसाइल भंडार में नया ईंधन डालना आसान नहीं रहेगा।

अमेरिका और इजरायल का गठबंधन – ईरान के खिलाफ सख्त रुख

इजरायल के मुताबिक, इस हमले में अमेरिका ने भी उसका समर्थन किया। अमेरिका ने स्पष्ट किया कि वह इजरायल की सुरक्षा को लेकर गंभीर है। एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने पुष्टि की कि इस हमले में ईरान की मिसाइल उत्पादन क्षमताओं को गंभीर रूप से क्षति पहुंची है। अमेरिका ने चेतावनी दी है कि अगर ईरान जवाबी हमला करता है तो वह इजरायल की पूरी सहायता करेगा।

ईरानी मिसाइल कार्यक्रम की भारी क्षति: क्या है प्लेनेटरी मिक्सर्स का महत्व?

प्लेनेटरी मिक्सर्स, जिनका उपयोग ईरान ठोस ईंधन बनाने के लिए करता है, काफी दुर्लभ और अत्यधिक महंगे उपकरण हैं। ये मिक्सर्स मिसाइलों में लंबे समय तक चलने वाले ईंधन तैयार करने में सहायक होते हैं और इन्हें बनाना इतना आसान नहीं होता। इजरायल द्वारा इन उपकरणों को नष्ट करना, ईरान के मिसाइल कार्यक्रम के लिए गंभीर झटका है। रिपोर्ट्स के अनुसार, ईरान इन उपकरणों को पुनः खरीदने में असमर्थ हो सकता है, जिससे उसका मिसाइल निर्माण लगभग ठप हो गया है।

इजरायल का दावा – ‘हमले और बचाव दोनों के लिए तैयार हैं’

इजरायली सेना ने कहा कि अगर ईरान हमला करता है तो वे जवाब देने के लिए तैयार हैं। इजरायल ने यह भी स्पष्ट किया कि हाल ही में ईरान द्वारा किए गए हमलों के जवाब में यह अभियान चलाया गया है। आईडीएफ के प्रवक्ता ने बताया कि ईरान ने पिछले कुछ महीनों में इजरायल पर कई मिसाइलें दागी हैं। ईरान के इन हमलों का जवाब देने के लिए ‘ऑपरेशन डेज ऑफ रिपेंटेंस’ को अंजाम दिया गया, और इस अभियान का मुख्य उद्देश्य ईरानी सैन्य ठिकानों को नष्ट करना था।

ईरान की प्रतिक्रिया – 2 सैनिक मारे जाने की पुष्टि

ईरानी सेना ने स्वीकार किया कि इस हमले में उनके मिसाइल प्रोग्राम से जुड़े दो सैनिक मारे गए हैं। ईरान ने भी यह स्पष्ट कर दिया है कि इजरायल की यह कार्रवाई अस्वीकार्य है। ईरानी सेना के प्रवक्ता ने कहा कि वे इस हमले की गहराई से जांच करेंगे और उचित कार्रवाई करने से पीछे नहीं हटेंगे।

इजरायल के हमले की सटीकता और रणनीति

इजरायल के इस हमले को एक सटीक ऑपरेशन माना जा रहा है। आईडीएफ के प्रवक्ता ने बताया कि उनके सभी विमान सफलतापूर्वक अपने बेस पर लौट आए हैं और इस हमले में कोई नुकसान नहीं हुआ। ऑपरेशन के दौरान मिसाइल ठिकानों को निशाना बनाने के साथ ही इजरायल ने ईरान के कुछ पॉवर प्लांट्स और ऑयल रिफायनरी पर भी हमला किया, जिससे ईरान की तेल और ऊर्जा क्षेत्र पर भी असर पड़ा है।

मीडिल ईस्ट की स्थिरता पर पड़ता असर

यह हमला केवल इजरायल और ईरान के बीच तनाव को ही नहीं बढ़ाता बल्कि पूरे मीडिल ईस्ट क्षेत्र की स्थिरता को भी प्रभावित करता है। इजरायल के मुताबिक, ईरान मीडिल ईस्ट की सुरक्षा को खतरे में डालने का प्रयास कर रहा है, और इसी को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया गया। इजरायल ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी आगाह किया कि ईरान के बढ़ते मिसाइल शस्त्रागार को नियंत्रित करने की आवश्यकता है, ताकि मीडिल ईस्ट में स्थिरता बनी रहे।

ऑपरेशन का उद्देश्य पूरा हुआ: आईडीएफ का बयान

आईडीएफ के प्रवक्ता ने हमले के बाद बयान जारी करते हुए कहा कि उनका मुख्य उद्देश्य ईरान की मिसाइल क्षमताओं को नुकसान पहुंचाना था और यह पूरा हो गया है। इजरायली सेना ने बताया कि यह एक असाधारण रणनीतिक कदम था और इजरायल अब भी अपनी सुरक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

ईरान की भविष्य की संभावनाएं

इस हमले के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि ईरान कैसे प्रतिक्रिया देगा और अपने मिसाइल कार्यक्रम को कैसे पुनः संगठित करेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि ईरान के लिए अब मिसाइलों का निर्माण चुनौतीपूर्ण हो सकता है क्योंकि ठोस ईंधन उत्पादन के बिना नई बैलेस्टिक मिसाइलें बनाना संभव नहीं होगा। साथ ही, चीन से पुनः उपकरण आयात करना भी ईरान के लिए आसान नहीं होगा क्योंकि वैश्विक स्तर पर उसे काफी विरोध का सामना करना पड़ सकता है।

निष्कर्ष: मीडिल ईस्ट में नया मोड़

इजरायल के इस हमले ने मीडिल ईस्ट के सामरिक संतुलन को एक नई दिशा दी है। ईरान की मिसाइल क्षमता को कमजोर करने का यह प्रयास इजरायल की सुरक्षा नीति का महत्वपूर्ण हिस्सा माना जा रहा है। इस हमले के बाद मीडिल ईस्ट में भू-राजनीतिक स्थिति में नया बदलाव आने की संभावना है, और यह देखना अहम होगा कि भविष्य में ईरान और इजरायल के बीच संबंधों में यह घटना क्या असर डालती है।

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