रक्षा सहयोग में नई ऊंचाइयां
भारत और अमेरिका ने अपने रक्षा संबंधों को और मजबूत करने के लिए ‘यूएस-इंडिया कॉम्पैक्ट’ नामक नई पहल की शुरुआत की है। इसका उद्देश्य सैन्य साझेदारी, त्वरित वाणिज्य, और प्रौद्योगिकी के लिए अवसर उत्पन्न करना है। दोनों देशों ने संयुक्त विकास, संयुक्त उत्पादन, और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण पर जोर देते हुए अगले दशक के लिए रक्षा सहयोग ढांचा तैयार करने पर सहमति व्यक्त की है। इसके तहत रक्षा इंटर-ऑपरेबिलिटी, लॉजिस्टिक्स, मरम्मत और रखरखाव को प्राथमिकता दी जाएगी। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “भारत की रक्षा तैयारी में अमेरिका की महत्वपूर्ण भूमिका है।” citeturn0search12
व्यापार और ऊर्जा सुरक्षा में सहयोग
दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय व्यापार को 2030 तक 500 बिलियन डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस संदर्भ में, पारस्परिक लाभकारी व्यापार समझौते को शीघ्र संपन्न करने पर जोर दिया गया है। ऊर्जा सुरक्षा के क्षेत्र में, तेल और गैस व्यापार को बढ़ावा देने के साथ-साथ ऊर्जा अवसंरचना में निवेश पर भी चर्चा हुई। परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में, छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों के विकास में सहयोग बढ़ाने पर सहमति बनी है।
प्रौद्योगिकी और नवाचार में साझेदारी
इक्कीसवीं सदी को प्रौद्योगिकी-प्रेरित सदी मानते हुए, भारत और अमेरिका ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, सेमीकंडक्टर्स, क्वांटम कंप्यूटिंग, और बायोटेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में मिलकर काम करने का निर्णय लिया है। ‘ट्रांसफॉर्मिंग रिलेशनशिप यूटिलाइजिंग स्ट्रैटेजिक टेक्नोलॉजी’ (TRUST) पहल के तहत, महत्वपूर्ण खनिजों, उन्नत सामग्री, और फार्मास्यूटिकल्स की मजबूत आपूर्ति श्रृंखलाओं के निर्माण पर बल दिया जाएगा। इसके अलावा, लिथियम और रेयर अर्थ जैसे खनिजों की पुनर्प्राप्ति और प्रसंस्करण के लिए संयुक्त पहल शुरू की जाएगी।
अंतरिक्ष क्षेत्र में सहयोग
अंतरिक्ष क्षेत्र में सहयोग को और विस्तारित करते हुए, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी (नासा) द्वारा संयुक्त रूप से विकसित ‘निसार’ सैटेलाइट को जल्द ही भारतीय प्रक्षेपण वाहन के माध्यम से अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। यह मिशन पृथ्वी की सतह में होने वाले परिवर्तनों की उच्च सटीकता से निगरानी करेगा।
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता
दोनों देशों ने स्वतंत्र, खुले, शांतिपूर्ण, और समृद्ध हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए अपने संकल्प को दोहराया। इस संदर्भ में, ‘क्वाड’ साझेदारी को मजबूत करने पर विशेष जोर दिया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने घोषणा की कि इस वर्ष भारत में होने वाले क्वाड शिखर सम्मेलन में साझेदार देशों के साथ नए क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाया जाएगा। इसके अलावा, ‘आई-मेक’ और ‘आई-टू-यू-टू’ पहलों के तहत आर्थिक गलियारों और कनेक्टिविटी अवसंरचना पर संयुक्त कार्य किया जाएगा।
आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त संकल्प
आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में, भारत और अमेरिका ने सीमापार आतंकवाद के उन्मूलन के लिए ठोस कार्रवाई की आवश्यकता पर बल दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति ट्रंप का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि 2008 के मुंबई हमलों के दोषी को भारत को सौंपने के अमेरिकी निर्णय से न्याय की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है।
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चीन की प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप की बैठक के बाद, चीन ने सधी हुई प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि द्विपक्षीय सहयोग में किसी तीसरे देश को निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने कहा, “चीन का मानना है कि देशों के बीच संबंधों और सहयोग में चीन को मुद्दा नहीं बनाया जाना चाहिए या अन्य के हितों को नुकसान नहीं पहुंचाया जाना चाहिए।” citeturn0search5
भारतीय समुदाय के साथ संबंध
अमेरिका में बसे भारतीय समुदाय के साथ संबंधों को और प्रगाढ़ करने के लिए, भारत ने लॉस एंजिल्स और बॉस्टन में नए वाणिज्य दूतावास खोलने की घोषणा की है। इसके साथ ही, अमेरिकी विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों को भारत में अपने कैंपस स्थापित करने के लिए आमंत्रित किया गया है, जिससे शैक्षिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा मिलेगा।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह अमेरिकी यात्रा भारत-अमेरिका संबंधों में एक नए अध्याय की शुरुआत है। दोनों देशों ने विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को गहरा करने के लिए ठोस कदम उठाए हैं, जो वैश्विक शांति, स्थिरता, और समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति ट्रंप को भारत आने का निमंत्रण देते हुए कहा, “एक सौ चालीस करोड़ भारतवासियों की ओर से मैं आपको भारत आने के लिए आमंत्रित करता हूँ।” citeturn0search12
इस यात्रा ने न केवल द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत किया है, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की भूमिका को भी सुदृढ़ किया है।