7th Pay Commission: क्या केंद्रीय कर्मचारियों की बेसिक सैलरी में शामिल होगा 53% डीए? जानें ताजा अपडेट और सरकार का रुख

7th Pay Commission: क्या केंद्रीय कर्मचारियों की बेसिक सैलरी में शामिल होगा 53% डीए? जानें ताजा अपडेट और सरकार का रुख
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केंद्रीय कर्मचारियों के महंगाई भत्ते (डीए) में हाल ही में हुई 3% की बढ़ोतरी के बाद एक बार फिर चर्चा में है कि क्या सरकार इसे उनकी बेसिक सैलरी में मर्ज करेगी। नरेंद्र मोदी सरकार ने हाल ही में कर्मचारियों को महंगाई भत्ते का बड़ा तोहफा देते हुए इसे 50% से बढ़ाकर 53% कर दिया, जो कि 1 जुलाई 2024 से लागू है। इस बदलाव के बाद यह अटकलें तेजी से लगाई जा रही हैं कि क्या जनवरी 2025 में होने वाले अगले डीए संशोधन से पहले ही इसे बेसिक सैलरी में जोड़ दिया जाएगा या नहीं। आइए इस मुद्दे पर विस्तार से समझते हैं कि सरकार और विशेषज्ञ क्या कहते हैं और इसका केंद्रीय कर्मचारियों पर क्या असर पड़ सकता है।

डीए में 3% बढ़ोतरी के बाद, बेसिक सैलरी में मर्ज करने की संभावनाएं?

केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों के डीए में 3% की वृद्धि की घोषणा की थी, जिससे डीए अब 50% से बढ़कर 53% हो गया है। यह भत्ता केंद्र सरकार के कर्मचारियों को मुद्रास्फीति के प्रभाव को संतुलित करने के लिए दिया जाता है। मौजूदा वेतन आयोग के तहत डीए में यह वृद्धि एक सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन इस बार डीए के 50% की सीमा पार करने के बाद चर्चा हो रही है कि इसे बेसिक सैलरी में शामिल किया जा सकता है।

हालांकि, बिजनेस टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार ने अभी तक इस बारे में कोई संकेत नहीं दिया है कि यह बदलाव किया जाएगा। एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से यह बताया गया कि 5वें वेतन आयोग के दौरान यह सुझाव दिया गया था कि डीए 50% की सीमा पार करने पर बेसिक सैलरी में जोड़ दिया जाना चाहिए, लेकिन 6वें और 7वें वेतन आयोग के तहत इस सुझाव को मान्यता नहीं दी गई। ऐसे में 53% डीए के बाद भी इसे मर्ज करने की संभावनाएं कम नजर आती हैं।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स? बेसिक सैलरी में डीए मर्ज को लेकर विशेषज्ञों का नज़रिया

कई एक्सपर्ट्स का मानना है कि डीए को बेसिक सैलरी में मर्ज करने की संभावना नहीं है। करंजावाला एंड कंपनी के प्रिंसिपल एसोसिएट और सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड, विशाल गेहराना का कहना है कि पांचवें वेतन आयोग के दौरान यह सिफारिश की गई थी कि डीए को मूल वेतन में जोड़कर सैलरी स्ट्रक्चर को सरल बनाया जाए। इसे महंगाई भत्ते में अनिश्चित काल तक बढ़ोतरी से बचने के एक तरीके के रूप में देखा गया था। हालांकि, 6वें और 7वें वेतन आयोगों के तहत इस सिफारिश को अमल में नहीं लाया गया और डीए को बेसिक सैलरी में नहीं जोड़ा गया।

इंडसलॉ की पार्टनर देबजानी ऐच ने भी इस बात को साफ करते हुए कहा कि मौजूदा समय में डीए को बेसिक सैलरी में मर्ज करने की चर्चाएं केवल अटकलें हैं। लूथरा एंड लूथरा लॉ ऑफिस इंडिया के पार्टनर संजीव कुमार ने भी कहा कि 7वें वेतन आयोग की रिपोर्ट में डीए को बेसिक सैलरी में जोड़ने के किसी भी उपाय की सिफारिश नहीं की गई थी।

महंगाई भत्ते में संशोधन कब होता है? साल में दो बार होता है डीए में बदलाव

सरकार साल में दो बार केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए डीए और डीआर में संशोधन करती है। यह संशोधन आमतौर पर मार्च और सितंबर-अक्टूबर में होते हैं और क्रमशः जनवरी और जुलाई से प्रभावी होते हैं। इसका मतलब है कि कर्मचारियों को अप्रैल और अक्टूबर के वेतन में 2-3 महीने का एरियर भी मिलता है। हर साल महंगाई के बढ़ते दबाव को ध्यान में रखते हुए सरकार डीए को संशोधित करती है ताकि कर्मचारियों की क्रय शक्ति प्रभावित न हो।

जनवरी 2025 में डीए में संभावित बढ़ोतरी: क्या मर्ज हो सकता है डीए?

वित्त मंत्रालय के अनुसार, डीए में अगली बढ़ोतरी का ऐलान मार्च 2025 में हो सकता है, संभवतः होली के त्योहार से पहले। सरकार हर 6 महीने में डीए में वृद्धि करती है ताकि केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी महंगाई के अनुसार समायोजित हो सके। जनवरी 2025 में महंगाई दर को देखते हुए डीए में बढ़ोतरी संभव है, लेकिन इसे बेसिक सैलरी में मर्ज करने को लेकर सरकार ने कोई पुख्ता संकेत नहीं दिया है।

डीए में मर्ज न होने पर कर्मचारियों पर क्या असर पड़ेगा?

अगर डीए को बेसिक सैलरी में मर्ज नहीं किया गया, तो यह केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी पर बड़ा प्रभाव डाल सकता है। मर्ज न होने का मतलब यह है कि महंगाई भत्ता वेतन के अन्य हिस्सों के साथ जुड़ा नहीं होगा, जिससे कुल वेतन पर इसका असर सीमित रहेगा। हालांकि, डीए में बढ़ोतरी का फायदा महंगाई दर के अनुसार कर्मचारियों को मिलता रहेगा, लेकिन बेसिक सैलरी में इसे मर्ज करने से कुल वेतन में बड़ी बढ़ोतरी होती, जो इस मर्जर के अभाव में संभव नहीं है।

डीए मर्ज के पीछे क्या है संभावित कारण?

डीए और बेसिक सैलरी को मर्ज करने की मांग लंबे समय से चली आ रही है, लेकिन इसके पीछे कुछ संभावित कारण हैं जिनकी वजह से सरकार इसे मर्ज करने के फैसले पर विचार नहीं कर रही।

  1. फंड आवंटन का बोझ: अगर डीए को बेसिक सैलरी में मर्ज किया जाता है, तो सरकार पर भारी वित्तीय दबाव आ सकता है। इससे महंगाई भत्ते के बढ़ने पर भी कर्मचारी की बेसिक सैलरी में इजाफा होगा, जिसके चलते भविष्य में बढ़ते वेतन का प्रावधान करना सरकार के लिए मुश्किल हो सकता है।
  2. वेतन आयोग की सिफारिशें: 5वें वेतन आयोग के दौरान डीए को बेसिक सैलरी में मर्ज करने की सिफारिश की गई थी, लेकिन 6वें और 7वें वेतन आयोगों में इस सिफारिश पर आगे कोई निर्णय नहीं लिया गया। इसलिए सरकार अब तक इस नीति पर कायम है कि डीए को बेसिक सैलरी में न जोड़ा जाए।
  3. संविधानिक अड़चने: डीए और बेसिक सैलरी का मर्जर करने पर संविधानिक और कानूनी समस्याएं भी हो सकती हैं, जो भविष्य में इसे फिर से बदलना सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण बना सकता है।

केंद्रीय कर्मचारियों के लिए डीए में मर्ज न होने का संभावित विकल्प

डीए मर्ज न होने पर, सरकार महंगाई दर को देखते हुए समय-समय पर डीए में वृद्धि करती रहती है। इस वृद्धि के जरिए कर्मचारियों की क्रय शक्ति बनी रहती है। केंद्र सरकार यह सुनिश्चित करने का प्रयास करती है कि बढ़ते डीए के बावजूद सैलरी स्ट्रक्चर में कोई बड़ा बदलाव न हो।

क्या डीए मर्ज न होने से घटेगा कर्मचारियों का फायदा?

डीए को बेसिक सैलरी में मर्ज न किए जाने से केंद्रीय कर्मचारियों को उतना फायदा नहीं मिलता जितना वे उम्मीद करते हैं, लेकिन महंगाई भत्ते में समय-समय पर बढ़ोतरी से उन्हें महंगाई के प्रभाव से बचाया जा सकता है। डीए मर्ज न होने से कुल वेतन पर इसका असर कम होता है, जिससे कर्मचारियों को वह वित्तीय राहत नहीं मिल पाती जो बेसिक सैलरी में मर्ज होने से मिल सकती थी।

अंततः, यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में सरकार इस मुद्दे पर क्या निर्णय लेती है, लेकिन फिलहाल ऐसा कोई संकेत नहीं है कि डीए को बेसिक सैलरी में मर्ज किया जाएगा।

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